अरुणाचल मुद्दे पर राज्यसभा में हंगामा, विपक्षी दलों ने सदन का किया बहिष्कार
अरुणाचल प्रदेश में राजनीतिक गतिरोध पर कांग्रेस ने राज्यसभा में जमकर हंगामा किया। भारी हंगामे के बाद राज्यसभा में कार्यवाही 21 दिसंबर तक स्थगित कर दी गई। कांग्रेस सांसदों ने केंद्र सरकार से अरुणाचल के राज्यपाल को वापस बुलाने की मांग की।
नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश में राजनीतिक गतिरोध पर कांग्रेस ने राज्यसभा में जमकर हंगामा किया। भारी हंगामे के बाद राज्यसभा में कार्यवाही 21 दिसंबर तक स्थगित कर दी गई। कांग्रेस सांसदों ने केंद्र सरकार से अरुणाचल के राज्यपाल को वापस बुलाने की मांग की। गवर्नर के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस जेडीयू सीपीएम के सदस्यों ने कांग्रेस के साथ सदन का बहिष्कार किया। बसपा अध्यक्ष मायवती ने कहा कि जो पार्टी, केंद्र में सत्ता में होती है वो अपने हिसाब से राज्यपाल का चयन करती है जो सही नहीं है।
लोकसभा में वेल में हंगामा करने वाले कांग्रेस सांसदों का नाम लिखे जाने का आदेश स्पीकर सुमित्रा महाजन ने दिया। सदन में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ऐसा लग रहा है लोकसभा अध्यक्ष पूर्वाग्रह से काम कर रही हैं। खड़गे ने कहा कि अरुणाचल के मुद्दे पर कांग्रेस ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया लेकिन स्पीकर ने उसे खारिज कर दिया। संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने कहा विपक्ष बिना किसी मुद्दे के हंगामा कर रहा है। संसद में व्यवधान पैदा करके देश के विकास को पटरी से उतारने की कोशिश की जा रही है।
अरुणाचल प्रदेश में गुरुवार को अभूतपूर्व संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा हो गई। हाई-वोल्टेज सियासी ड्रामे के बीच विपक्षी भाजपा व कांग्रेस के बागी विधायकों ने एक होटल में विधानसभा सत्र बुलाकर नबाम तुकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया। साथ ही बागियों ने कांग्रेस विधायक कलिखो पुल को नया मुख्यमंत्री चुन लिया। लेकिन शाम तक बाजी पलट गई।
गुवाहाटी हाई कोर्ट ने अस्थायी विधानसभा द्वारा बुधवार को स्पीकर नेबाम रेबिया को हटाने समेत तमाम फैसलों पर एक फरवरी तक रोक लगा दी।
अनुच्छेद 174-175 का उल्लंघन
रेबिया ने राज्यपाल द्वारा नौ दिसंबर को जारी अधिसूचना में 24 जनवरी 2016 की बजाए 16 दिसंबर से विधानसभा सत्र बुलाने को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इसकी सुनवाई करते हुए जस्टिस हरिकेश रॉय ने राज्यपाल के कदम को अनुच्छेद 174 और 175 का उल्लंघन बताया। उन्होंने डिप्टी स्पीकर टी. नोरबू थांगडॉक द्वारा कांग्रेस के 14 निलंबित विधायकों को बहाल करने, नए स्थान पर बैठक बुलाने व स्पीकर को हटाने के फैसले पर अगली सुनवाई (एक फरवरी) तक रोक लगा दी। थांगडॉक ने बताया कि उप्र में कल्याण सिंह सरकार बनाम जगदंबिका पाल के वक्त सुप्रीम कोर्ट ने 'कंपोजिट फ्लोर टेस्ट' को पहली बार मान्यता दी थी। इसमें विधानसभा सदस्य सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर सकते हैं।
कार्रवाई असंवैधानिक
मुख्यमंत्री तुकी व उनके समर्थक 26 विधायकों ने होटल की बैठक का बहिष्कार किया और कार्रवाई को असंवैधानिक बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है।वहीं संसद के दोनों सदनों में भी अरुणाचल का मसला छाया रहा। कांग्रेस ने सरकार पर लोकतंत्र और संविधान की हत्या का आरोप लगाया। वहीं, सत्ता पक्ष का कहना था कि कांग्रेस अपने विधायकों को एकजुट नहीं रख पाने का ठीकरा सरकार पर फोड़ने की कोशिश कर रही है। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में भाजपा कांग्रेस विधायकों में फूट डालने का प्रयास कर रही है। यह अलोकतांत्रिक व असंवैधानिक है। संसदीय कार्यमंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि इसमें केंद्र की कोई भूमिका नहीं है।
विधानसभा की दलीय स्थिति
कांग्रेस : 41 (20 बागी समेत)
भाजपा : 12
पीपुल्स पार्टी अरुणाचल : 5
निर्दलीय : 2
बगावत के बाद स्थिति
कांग्रेस के बागी : 20
भाजपा : 12
निर्दलीय : 2
कुल : 34
कांग्रेस : 21
पीपुल्स पार्टी अरुणाचल : 5
कुल : 26