पराली जलाने में यूपी भी चला पंजाब हरियाणा की राह, जानें केंद्रीय एजेंसियों ने क्या दिया निर्देश
खेतों में पराली जलाने की बीमारी उत्तर प्रदेश में भी फैल रही है जिस पर अंकुश नहीं लगा तो जहरीले धुएं की चपेट में यूपी के बड़े शहर आने में देर नहीं लगेगी।
नई दिल्ली, अरविंद पांडेय। खेतों में पराली जलाने की पंजाब व हरियाणा की 'बीमारी' से अभी सिर्फ दिल्ली और एनसीआर की ही सांस फूल रही है। अब यह बीमारी तेजी से उत्तर प्रदेश में भी फैल रही है जिस पर समय रहते अंकुश नहीं लगा तो इसके जहरीले धुएं की चपेट में उत्तर प्रदेश के बड़े शहर सहित पड़ोसी राज्य भी आने में देर नहीं लगेगी।
वैसे प्रदूषण के मामले में अभी भी यूपी के कानपुर, प्रयागराज, लखनऊ और वाराणसी जैसे शहरों की स्थिति काफी खराब है। जहां प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा हुआ रहता है। पराली के जहरीले धुएं से दिल्ली को बचाने में जुटी केंद्रीय एजेंसियों ने हाल ही में उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की बढ़ी घटनाओं को देख हैरानी जताई है।
खासबात यह है कि पराली जलाने की यह बीमारी उत्तर प्रदेश के उन क्षेत्रों में भी पहुंच गई है, जहां अब तक धान की कटाई नीचे से ही होती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से जिस तरीके से फसलों की कटाई के लिए मजदूरों की समस्या बढ़ी है, उसमें ज्यादातर किसान मशीनों से कटाई कराने को ही तवज्जो दे रहे है।
बाद में वह फसल के बाकी बचे हिस्से को आग के हवाले कर देते है। पराली जलाने की बढ़ी हुई घटनाओं को लेकर केंद्रीय एजेंसियों ने हाल ही में राज्य को सतर्क किया है। इसके रोकथाम को लेकर तेजी से कदम उठाने के निर्देश दिए है।
पराली प्रबंधन पर काम कर रही केंद्रीय टीम के मुताबिक उत्तर प्रदेश में यह समस्या फिलहाल 71 जिलों में फैल चुकी है, जहां धीरे-धीरे इनमें बढ़ोतरी हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017 में करीब 12-13 लाख टन के आसपास पराली जलाने की घटनाएं देखी गई थी। वह इस बार बढ़कर 20 लाख टन तक पहुंच गई है।
उत्तर प्रदेश को इसकी रोकथाम के लिए वर्ष 2018-19 में तकरीबन 150 करोड़ रुपए भी दिए गए हैं। इसकी मदद से किसानों को पराली खेतों में ही जलाए बगैर नष्ट करने के लिए मशीन उपलब्ध करानी थी। किसानों को इससे होने वाले नुकसान को लेकर जागरूक करना था। हालांकि पंजाब और हरियाणा के मुकाबले के उत्तर प्रदेश में ऐसी घटनाओं की संख्या काफी कम है, जिसके चलते यह अभी दिखाई नहीं दे रही है।