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आत्मनिर्भर भारत: मजदूर से मालिक बने हरज्ञान के कायल हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

Atmanirbhar Bharat शादियों में बांधते थे पंडाल आज खुद का टेंट हाउस पं. दीनदयाल उपाध्याय स्वरोजगार योजना का मिला सहारा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 24 Aug 2020 09:57 AM (IST)Updated: Mon, 24 Aug 2020 03:33 PM (IST)
आत्मनिर्भर भारत: मजदूर से मालिक बने हरज्ञान के कायल हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
आत्मनिर्भर भारत: मजदूर से मालिक बने हरज्ञान के कायल हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

अनुज मिश्र, मुरादाबाद। Atmanirbhar Bharat कुछ कर गुजरने वालों की राह में आपदा रोड़ा नहीं, नया अवसर लेकर आती है। हरज्ञान सिंह कोरोनाकाल से पहले टेंट हाउस में पंडाल बांधते थे। संक्रमणकाल में स्वरोजगार की राह पकड़ी तो अनलॉक में खुद ही आत्मनिर्भरता की कहानी लिख दी। अब खुद का टेंट हाउस है। उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद जिले के ब्लाक कुंदरकी के गांव अबुपुर खुर्द के रहने वाले हरज्ञान सिंह का जीवन आसान नहीं था। वह दूसरे के टेंट हाउस पर काम करते थे। शादी समारोह में पंडाल बांधते थे। मन में कसक थी कि खुद का काम करेंगे। इसी दृढ़ संकल्प ने रास्ता बनाया।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भरता भारत के भाषण ने उनमें जोश भरा दिया। साथियों से सलाह मशविरा के बाद उन्होंने समाज कल्याण विकास की ओर से अनुसूचित जाति के लिए संचालित पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्वरोजगार योजना में ऑनलाइन आवेदन किया। एक लाख रुपये का ऋण मंजूर हो गया तो खुद का टेंट हाउस शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी हरज्ञान के इस प्रयास के कायल हैं।

बेटों को भी संग लगा लेना : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने योजना के लार्भािथयों से बातचीत के दौरान हरज्ञान के प्रयास को सराहा। पूछा कि क्या हाल हैं हरज्ञान, घर में बाल-बच्चे सब ठीक हैं। बहुत बढ़िया प्रयास है तुम्हारा। इस काम में बेटों को भी संग लगाना। मेहनत करोगे तो काम खूब आगे बढ़ेगा। हरज्ञान बताते हैं कि मुख्यमंत्री के बात करने के बाद आत्मविश्वास और बढ़ गया है।

एक साथी से मिली योजना की जानकारी : हरज्ञान ने बताया कि पैसों का प्रबंध न होने के चलते लंबे अर्से से काम शुरू नहीं कर सके थे। एक साथी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्वरोजगार योजना के बारे में जानकारी दी। बताया कि समाज कल्याण विकास अधिकारी कार्यालय में आवेदन करना होता है। चयनित होने पर दस हजार रुपये समाज कल्याण विभाग अनुदान देता है और 90 हजार बैंक से मंजूर होता है। बिना ब्याज पांच वर्षों में ऋण चुकता करना होता है।

चार से पांच हजार रुपये ही थी आय : हरज्ञान की आय सीमित थी। हर माह चार से पांच हजार रुपये ही कमा पाते थे। सीजन नहीं होने पर घर पर बैठना मजबूरी थी। परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटियां और दो बेटे हैं। ऐसे में आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता। अब खुद का टेंट हाउस होने पर न सिर्फ उनकी आय बढ़ेगी, वरन हरज्ञान ने दो लोगों को रोजगार से जोड़ने की रूपरेखा भी तैयार कर ली है। उसके काम शुरू करने से अन्य युवाओं को प्रेरणा मिल रही है।


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