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Unnao Case : पीड़िता का लखनऊ में ही होगा इलाज, चाचा को दिल्‍ली तिहाड़ जेल किया जाएगा शिफ्ट

उन्‍नाव दुष्‍कर्म पीड़िता और वकील के परिवार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि वे अभी उन्हें लखनऊ के अस्पताल से शिफ़्ट नहीं करना चाहते हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 01 Aug 2019 11:21 PM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2019 12:03 PM (IST)
Unnao Case : पीड़िता का लखनऊ में ही होगा इलाज, चाचा को दिल्‍ली तिहाड़ जेल किया जाएगा शिफ्ट
Unnao Case : पीड़िता का लखनऊ में ही होगा इलाज, चाचा को दिल्‍ली तिहाड़ जेल किया जाएगा शिफ्ट

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उन्‍नाव दुष्‍कर्म पीड़िता के चाचा को तिहाड़ जेल शिफ्ट करने का आदेश दिया। पीड़िता को दिल्ली एयरलिफ्ट करने पर फिलहाल रोक लगा दी गई है, इस पर फैसला सोमवार को किया जाएगा। पीड़िता की मां ने सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी कि वह अपनी बेटी का उपचार लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में ही जारी रखना चाहती है। वह उसे उपचार के लिए दिल्ली शिफ्ट नहीं करना चाहती। सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि वकील का परिवार भी उन्‍हें अभी दिल्‍ली शिफ्ट नहीं करना चाहता है। परिवार का कहना है कि जब तक उनकी स्थिति सामान्‍य नहीं हो जाती, तब तक उन्‍हें दिल्‍ली शिफ्ट न किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया से पीड़िता की पहचान छुपाने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी लखनऊ में ही पीड़िता का इलाज होने दें, अगर जरूरत पड़ती है तो पीड़िता की तरफ रजिस्ट्री आकर ट्रांसफर के लिए कहा जा सकता है।

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उन्‍नाव एक्‍सीडेंट केस अभी ट्रांसफर नहीं होगा दिल्‍ली
सॉलिसिटर जनरल आज सीबीआइ की ओर से पेश हुए उन्‍होंने यह कहा कि आपने उन्‍नाव के एक्‍सीडेंट केस में 7 से 15 दिनों में जांच पूरी करने का आदेश दिया है। इस आदेश की वजह से हमें आरोपियों की रिमांड आदि लेने में दिक्‍कत आ रही है। इसलिए जब तक मामले की जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक केस को दिल्‍ली ट्रांसफर न किया जाए। सॉलिसिटर जनरल की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बदलाव करते हुए एक्‍सीडेंट वाले केस को 15 दिनों तक दिल्‍ली ट्रांसफर करने पर रोक लगा दी है।

इससे पहले गुरुवार को उन्नाव दुष्कर्म कांड में जल्द और पूर्ण न्याय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने पीड़ित की चिट्ठी और उसकी मां की स्थानांतरण याचिका पर सुनवाई करते हुए मामले से जुड़े सभी पांचों मुकदमे लखनऊ की सीबीआइ अदालत से दिल्ली की अदालत स्थानांतरित कर दिए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने रविवार को हुई दुर्घटना मामले की जांच सीबीआइ को सात दिन में पूरी करने का आदेश दिया है।

हालांकि, बहुत जरूरत पड़ने पर जांच अधिकारी सात दिन और ले सकते हैं, लेकिन इसे अपवाद समझा जाए। कोर्ट ने पांचों मुकदमों का ट्रायल रोजाना सुनवाई कर 45 दिन में पूरा करने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं, कोर्ट ने पीड़िता की मां को 25 लाख रुपये अंतरिम मुआवजा देने के साथ ही पीड़िता और उसके परिवार को सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) सुरक्षा देने का भी आदेश दिया।

इसके बाद देर रात लखनऊ के जिलाधिकारी कौशल नाथ शर्मा और एसएसपी कलानिधि नैथानी ट्रॉमा सेंटर पहुंचे और 25 लाख रुपये का चेक पीड़िता की मां को सौंप दिया। अधिकारियों ने कहा कि शुक्रवार को पीड़िता के परिवार को सीआरपीएफ सुरक्षा भी प्रदान कर दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट मामले पर शुक्रवार को फिर सुनवाई करेगा।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने गुरुवार को मामले पर सुनवाई के बाद ये आदेश दिए। उन्नाव दुष्कर्म कांड में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर सहित कई अभियुक्त हैं। गत रविवार को सड़क दुर्घटना में उन्नाव दुष्कर्म कांड की पीड़िता के दो रिश्तेदारों की मौत हो गई थी, जबकि पीड़िता और वकील गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

दुर्घटना से पहले पीड़िता और उसके परिवार ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को चिट्ठी भेजकर अभियुक्तों पर धमकी देने और सुलह के लिए दबाव डालने की शिकायत की थी। इसी चिट्ठी पर संज्ञान लेते हुए शीर्ष कोर्ट ने गुरुवार को विस्तृत आदेश जारी किए।

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तीसहजारी में जिला जज धर्मेश की अदालत में स्थानांतरित

कोर्ट ने पीड़ित परिवार की ओर से मुकदमों का स्थानांतरण उत्तर प्रदेश के बाहर स्थानांतरित करने की मांग स्वीकारते हुए दुर्घटना सहित मामले से जुड़े सभी पांचों मुकदमे दिल्ली की तीसहजारी में जिला जज धर्मेश शर्मा की अदालत में स्थानांतरित कर दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि मामले की विशेष परिस्थितियों को देखते हुए एकतरफा सुनवाई में ये आदेश दिए गए हैं। ऐसे में अभियुक्तों को आदेश में बदलाव कराने की मांग कोर्ट के सामने रखने की छूट होगी।

परिवार चाहे तो पीड़िता व वकील को इलाज के लिए दिल्ली भेज सकते हैं
कोर्ट ने दुर्घटना में घायल पीड़िता और वकील का इलाज कर रहे लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों से पूछा था कि क्या दोनों की हालत ऐसी है कि उन्हें इलाज के लिए दिल्ली स्थानांतरित किया जा सके। कोर्ट को बताया गया कि इसकी जरूरत नहीं है, लेकिन फिर भी उन्हें एयरलिफ्ट करके स्थानांतरित करने की स्थिति है। कोर्ट ने दोनों को बेहतर इलाज के लिए स्थानांतरित करने पर पीड़िता और घायल वकील के परिवार की राय पूछी है। राय जानने के बाद कोर्ट इस पर आदेश देगा।

आज दाखिल होगी सीआरपीएफ सुरक्षा पर अनुपालन रिपोर्ट
कोर्ट ने सीआरपीएफ को आदेश दिया है कि वह पीड़िता, उसकी मां और भाई-बहनों के अलावा चाचा महेश सिंह के परिवार को भी पर्याप्त सुरक्षा दे। सुरक्षा तत्काल दी जाए और आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट शुक्रवार को कोर्ट को दी जाए।

पीड़िता के चाचा को दिल्ली जेल स्थानांतरित करने पर जवाब आज
प्रदेश सरकार शुक्रवार को कोर्ट को बताएगी कि क्या सुरक्षा कारणों से पीड़िता के चाचा को रायबरेली की जेल से दिल्ली जेल स्थानांतरित किया जा सकता है। पीड़िता के चाचा को अभियुक्तों के साथ मार-पिटाई के 2001 के विवाद में हत्या के प्रयास के आरोप में सजा हुई है। उसकी पत्नी की भी रविवार को हुई दुर्घटना में मौत हो गई है और उसके अंतिम संस्कार के लिए वह फिलहाल पैरोल पर है।

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पीड़िता को न्याय देने के लिए कोर्ट सुबह से दिखा तत्पर
पीड़िता के साथ न्याय करने के लिए कोर्ट कितना तत्पर था इसकी झलक सुबह कोर्ट शुरू होते ही दिखी। जैसे ही अदालत मुकदमों की सुनवाई के लिए बैठी प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अदालत कक्ष में बैठे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह सीबीआइ निदेशक से बात करें और 12 बजे सीबीआइ का कोई जिम्मेदार अधिकारी पेश होकर कोर्ट को मामले की जांच स्थिति बताए। इसके थोड़ी देर बाद मेहता फिर कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने कहा कि उनकी सीबीआइ निदेशक से बात हुई है जिन्होंने कहा है कि मामले की जांच लखनऊ में हो रही है इसलिए सारे रिकॉर्ड लखनऊ में हैं। जैसे ही पहली फ्लाइट मिलेगी, रिकॉर्ड दिल्ली मंगाया जाएगा।

मेहता ने कोर्ट से सुनवाई शुक्रवार तक टालने का अनुरोध किया, लेकिन कोर्ट इसके लिए राजी नहीं हुआ। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सीबीआइ निदेशक जांच अधिकारी से जांच की प्रगति पता करके आज ही कोर्ट बताएं। इस बीच, उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट को बताया कि दुर्घटना की जांच भी सीबीआइ को सौंप दी गई है। इसके बाद 12 बजे सीबीआइ की संयुक्त निदेशक संपत मीणा कोर्ट में पेश हुईं और जांच की स्थिति कोर्ट को बताई गई।

जब कोर्ट ने पूछा कि दुर्घटना की जांच पूरी होने में कितना समय लगेगा तो मेहता ने कहा- एक महीना। इस पर कोर्ट ने दो टूक कहा- नहीं, सात दिन में जांच पूरी होनी चाहिए। फिर कोर्ट ने पीड़िता की सेहत और दुष्कर्म कांड से जुड़े मुकदमों की स्थिति जानी। कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले की तीन बार सुनवाई की।

सीजेआइ बोले- यह क्या हो रहा है, हम अपनी ड्यूटी में फेल हैं
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) ने पूरी घटना पर नाराजगी जताते हुए गुरुवार को सुनवाई के दौरान कहा कि यह क्या हो रहा है। हम अपनी ड्यूटी में फेल हैं। कोर्ट ने यह बात उस वक्त कही जब सुनवाई के दौरान मुआवजा देने के सुझाव पर कोर्ट रजिस्ट्रार ने इस बारे में विधायी नीति का जिक्र करना चाहा। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि विधायी नीति से आपका क्या मतलब है। यह क्या घटित हो रहा है और आप कोर्ट से कानून के चौखाने में फिट मुआवजे का आदेश देने की बात कर रहे हैं।

भाजपा से निकाले गए आरोपित विधायक कुलदीप सेंगर
उन्नाव दुष्कर्म कांड और रायबरेली हादसे के आरोपों से घिरे विधायक कुलदीप सेंगर को भाजपा ने गुरुवार को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। रात करीब 9.30 बजे भाजपा मुख्यालय से जारी विज्ञप्ति में उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव ने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व ने निलंबित विधायक कुलदीप सेंगर को पार्टी से निष्कासित कर दिया है।

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