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महाराष्ट्र और केरल में मामले कम नहीं होने से स्वास्थ्य मंत्रालय हैरान, जल्द भेज सकता है विशेषज्ञों की टीम

केरल और महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी नहीं आने से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय हैरान और परेशान है। इन दोनों राज्यों में पिछले तीन हफ्ते से नए केस आठ हजार से 15 हजार प्रतिदिन के बीच बने हुए हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 11 Jul 2021 09:07 PM (IST)Updated: Mon, 12 Jul 2021 07:04 AM (IST)
महाराष्ट्र और केरल में मामले कम नहीं होने से स्वास्थ्य मंत्रालय हैरान, जल्द भेज सकता है विशेषज्ञों की टीम
केरल और महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी नहीं आने से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय हैरान और परेशान है।

नीलू रंजन, नई दिल्ली। केरल और महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी नहीं आने से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय हैरान और परेशान है। देश के अन्य राज्यों में कोरोना की दूसरी लहर जिस तेजी से फैली, उसी गति से कम भी होती चली गयी। इन दोनों राज्यों में पिछले तीन हफ्ते से नए केस आठ हजार से 15 हजार प्रतिदिन के बीच बने हुए हैं। इसकी मूल वजह का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय अब इन दोनों राज्यों में वैज्ञानिक अध्ययन कराने पर विचार कर रहा है।

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52 फीसद से अधिक केस केरल और महाराष्ट्र से

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पूरे देश में प्रतिदिन कोरोना के नए मामलों में 52 फीसद से अधिक केरल और महाराष्ट्र से आ रहे हैं। यही नहीं, कोरोना के कारण प्रतिदिन होने वाली मौतों में लगभग आधी महाराष्ट्र में हो रही हैं। पूरे देश में कोरोना संक्रमण दर में काफी गिरावट दर्ज की गई है। देश के 66 जिलों में ही 10 फीसद से ज्यादा संक्रमण दर रह गई है। इनमें से केरल के संख्या आठ और महाराष्ट्र में दो जिले शामिल हैं।

वजहों की हो रही पड़ताल 

अधिकारी ने कहा कि दोनों राज्यों में संक्रमण कम नहीं होने के कारणों का पता लगाया जा रहा है। जरूरत पड़ने पर जल्द ही विशेषज्ञों की टीम दोनों राज्यों में भेजी जाएंगी, जो अधिक संक्रमण होने के वैज्ञानिक कारणों की तलाश करेंगी। नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप आन इम्युनाइजेशन (एनटागी) के प्रमुख डा. एनके अरोड़ा ने पिछले दिनों केरल के अधिकारियों से नए केस अधिक आने की वजह जानने की कोशिश की।

80 फीसद आबादी के संक्रमित होने का खतरा

केरल के अधिकारियों का कहना था कि उनके यहां कराए गए सीरो सर्वे में अब भी 20 फीसद लोगों में ही एंटीबाडी पाई गई है। इसका मतलब है कि 80 फीसद आबादी को अब भी संक्रमित होने का खतरा बरकरार है। केरल के अधिकारियों के अनुसार राज्य में अधिक जागरूकता होने की वजह से शारीरिक दूरी, मास्क और सफाई जैसे कोरोना व्यवहार का समुचित पालन किया जाता है और इसी वजह से अधिकांश लोग इससे अब भी बचे हुए हैं, जो धीरे-धीरे संक्रमित हो रहे हैं।

अभी तक कम नहीं हुए मामले

हालांकि केरल का यह तर्क पूरी तरह से गले नहीं उतर रहा है क्योंकि दुनिया के अधिकांश देशों में तमाम सावधानी बरतने के बावजूद संक्रमण तेजी से फैला और कम हुआ है जबकि केरल में जनवरी से ही कोरोना के केस बढ़ने शुरू हो गए थे और अभी तक कम नहीं हुए हैं।

अब तक आए 61 लाख से अधिक केस

महाराष्ट्र के मामले में तो कोरोना बचाव के लिए उचित व्यवहार का तर्क भी नहीं दिया जा सकता है। पहली लहर से अब तक महाराष्ट्र में कोरोना के अब तक 61 लाख से अधिक केस आ चुके हैं और दूसरे नंबर पर 30 लाख से अधिक केस के साथ केरल है। इन दोनों राज्यों से अधिक जनसंख्या के बावजूद अन्य राज्यों में संक्रमण के मामले अपेक्षाकृत कम हैं। अधिकारी ने सही कारण पता चलने की स्थिति में कोरोना के खिलाफ लड़ाई को नई दिशा मिल सकती है। 


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