भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण के लिए की जा रही भरपूर कोशिशें, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को लाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार की ओर से सर्वोच्च अदालत को बताया गया कि कुछ कानूनी अड़चनों के चलते ही इस मामले में देरी हो रही है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार का कहना था कि कुछ कानूनी मसलों के चलते ही इस मामले में देरी हो रही है। केंद्र सरकार की दलीलों को सुनने और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) की ओर से माल्या के प्रत्यर्पण की स्थिति पर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कुछ और समय मांगे जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस यूयू ललित (UU Lalit) और न्यायमूर्ति अशोक भूषण (Ashok Bhushan) की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च तक के लिए मुल्तवी कर दी।
मौजूदा स्थिति पर जानकारी दी
वर्चुअल माध्यम से सुनवाई शुरू होते ही केंद्र की ओर से मेहता ने माल्या के ब्रिटेन से प्रत्यर्पण की स्थिति के बारे में विदेश मंत्रालय के अधिकारी देवेश उत्तम का पत्र पीठ को सौंपा। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी ब्रिटेन की सरकार के समक्ष माल्या के प्रत्यर्पण का मुद्दा उठाया। भगोड़े शराब कारोबारी के प्रत्यर्पण के लिए केंद्र सरकार सभी गंभीर प्रयास कर रही है। राजनयिक स्तर से लेकर प्रशासनिक स्तर तक इस मामले को बार-बार देखा जा रहा है।
ब्रिटेन में है माल्या
बता दें कि माल्या भारतीय बैंकों के नौ हजार करोड़ रुपयों की धोखाधड़ी का आरोपित है। वह मार्च, 2016 में चुपके से ब्रिटेन भाग गया था और तब से वह वहां ब्रिटेन सरकार के प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। वह 2016 से ब्रिटेन में है। प्रत्यर्पण वारंट पर स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस द्वारा किए अमल के बाद से वह 18 अप्रैल, 2017 से जमानत पर है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेशों का उल्लंघन कर अपने बच्चों के खातों में चार करोड़ अमेरिकी डालर हस्तांतरित करने के मामले में उसे 2017 में अवमानना का दोषी ठहराया था।
अब तक शीर्ष स्तर पर किए गए प्रयास
1- नवंबर, 2020 में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल के सामने यह मुद्दा उठाया
2- दिसंबर, 2020 में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब के सामने यह मसला उठाया
3- जनवरी, 2021 में भारत के गृह सचिव ने यह विषय उठाया, लेकिन ब्रिटेन का जवाब पहले वाला ही रहा
ब्रिटिश सरकार गोपनीय मामले की नहीं दे रही जानकारी
शीर्ष कोर्ट ने पिछले साल दो नवंबर को माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर लंबित कार्यवाही की स्थिति रिपोर्ट छह सप्ताह के भीतर पेश करने का निर्देश दिया था। केंद्र ने पांच अक्टूबर को कोर्ट को बताया कि माल्या का उस समय तक भारत प्रत्यर्पण नहीं हो सकता जब तक ब्रिटेन में चल रही एक अलग गोपनीय कानूनी प्रक्रिया का समाधान नहीं हो जाता। केंद्र ने कहा कि उसे ब्रिटेन में माल्या के खिलाफ चल रही इस गोपनीय कार्यवाही की जानकारी नहीं है। ब्रिटेन इस गोपनीय कार्यवाही की जानकारी भी नहीं दे रहा है।
CIC ने मांगी जानकारी
हाल ही में केंद्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission, यानी CIC) ने एक आरटीआइ को लेकर सीबीआई से पूछा था कि वह बताए कि किन नियमों के तहत विजय माल्या (Vijay Mallya) के खिलाफ अक्टूबर और नवंबर 2015 में दो अलग-अलग लुक आउट सर्कुलर जारी किए गए थे। मालूम हो कि सीबीआई ने साल 2015 के नवंबर के अंतिम हफ्ते में भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) के खिलाफ नया लुक आउट नोटिस जारी किया था। माल्या मार्च, 2016 में चुपके से ब्रिटेन भाग गया था और तब से वह वहां ब्रिटेन सरकार के प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहा है।