पूर्वोत्तर में शांति और विकास की दिशा में एक और कदम, शाह की मौजूदगी में हुआ कार्बी आंगलोंग का समझौता
केंद्र सरकार ने शनिवार को यहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और कार्बी संगठनों के नेताओं की मौजूदगी में कार्बी शांति समझौते पर दस्तखत किए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे एतिहासिक करार दिया।
नई दिल्ली, जेएनएन। पूर्वोत्तर भारत को उग्रवाद से मुक्त करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र और असम सरकार ने कार्बी आंगलोंग क्षेत्र के छह उग्रवादी संगठनों के साथ समझौता किया। अमित शाह के गृहमंत्री बनने के बाद पिछले दो साल में पूर्वोत्तर में स्थायी शांति और विकास के लिए यह चौथा अहम समझौता है। इसके पहले नेशलन लिबरेशन फ्रंट आफ त्रिपुरा, ब्रू परिवारों के पुनर्वास और बोडो अलगाववादी संगठनों के साथ समझौता हो चुका है।
कार्बी आंगलोंग समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान अमित शाह ने कहा कि 'कार्बी समझौता' प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'उग्रवाद मुक्त समृद्ध पूर्वोत्तर' के दृष्टिकोण में एक और मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में शांति बहाली के लिए इसके पहले भी उग्रवादी संगठनों से समझौते हुए हैं, लेकिन उन्हें पूरा नहीं किए जाने की वजह से उग्रवाद को रोका नहीं जा सका। लेकिन पिछले सात सालों में मोदी सरकार ने जो भी समझौता किया है उस पर पूरी तरह अमल भी किया है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की नीति है कि जो हथियार छोड़कर आता है, उसके साथ और अधिक विनम्रता से बात करके और जो वो मांगते हैं, उससे अधिक देकर उन्हें विकास की मुख्यधारा में समाहित करते हैं। इसी का परिणाम है कि विरासत में मिली पुरानी समस्याएं हम एक एक करके समाप्त करते जा रहे हैं।
कार्बी आंगलोंग के साथ भी इसके पहले 1995 और 2011 में त्रिपक्षीय समझौता हो चुका है, लेकिन पहली बार कार्बी आंगलोंग से सभी पांच उग्रवादी संगठनों पीपुल्स डेमोक्रेटिक कौंसिल आफ कार्बी लोंगरी (पीडीसीके), कार्बी लोंगरी नार्थ कछार हिल्स लिबरेशन फ्रंट (केएलएनएलएफ), कार्बी पीपुल्स लिबरेशन टाइगर्स (केपीएलटी), कुकी लिबरेशन फ्रंट (केएलएफ) और यूनाइटेड पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (यूपीएलए) ने पूरी तरह से हथियार डालने के बाद समझौते पर हस्ताक्षर किए।
समझौते के लिए तैयार पांचों उग्रवादी संगठनों के 1000 से अधिक कैडर ने इस साल 23 फरवरी को अपने हथियारों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जा रही है। शनिवार को हुए समझौते के तहत अगले पांच सालों में कार्बी आंगलोंग क्षेत्र के विकास के लिए 1000 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे।
समझौते के तहत असम की क्षेत्रीय व प्रशासनिक अखंडता को सुनिश्चित रखते हुए कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद को अधिक से अधिक अधिकार हस्तांतरित किये जाएंगे। इससे कार्बी लोगों की संस्कृति, भाषा, पहचान बचाने के साथ ही क्षेत्र का विकास भी संभव हो सकेगा। इसके साथ ही कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद के क्षेत्र से बाहर रहने वाले कार्बी लोगों के विकास के लिए कार्बी कल्याण परिषद की स्थापना की जाएगी।