सरकारी ऊर्जा कंपनियों ने 'नेट जीरो' की ओर बढ़ाए कदम, सोलर ऊर्जा की ओर बड़ी तैयारियों में जुटी एनटीपीसी
सरकारी ऊर्जा कंपनियों ने वर्ष 2070 तक कोयला एवं पेट्रोलियम उत्पादों की खपत को नगण्य करने की तैयारी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि भारत में कोयला खपत वर्ष 2040 में चरम पर होगा और उसके बाद के तीन दशकों में इसमें तेजी से गिरावट होगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वर्ष 2070 तक कोयला एवं पेट्रोलियम उत्पादों की खपत को नगण्य करने की तैयारी सरकारी ऊर्जा कंपनियों ने शुरू कर दी है। कार्बन उत्सर्जन शून्य यानी नेट जीरो पर लाने के लिए इन कंपनियों को कारोबार का पूरा ढांचा ही बदलना होगा। यही वजह है कि बुधवार को देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनी इंडियन आयल ने अगले तीन वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों के 10,000 चार्जिंग स्टेशन खोलने का एलान किया है। कंपनी ने हरित डीजल एक्सट्राग्रीन की बिक्री भी शुरू कर दी है।
दुनिया में सबसे ज्यादा कोयला उत्पादन करने वाली कंपनी कोल इंडिया ने कहा है कि वह जल्द ही अपने खदानों में डीजल से चलने वाले बड़े वाहनों की जगह पर गैस-चालित वाहनों का प्रयोग शुरू करेगी। यह कार्बन उर्त्सजन को काबू करने में काफी मदद करेगा। कोल इंडिया ने ढुलाई करने वाले बड़े वाहनों में सीएनजी किट लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है जो आने वाले दिनों में और तेज की जाएगी। इससे कंपनी चार लाख लीटर डीजल की खपत कम कर सकेगी।
नेट जीरो उत्सर्जन लक्ष्य वर्ष 2070 तक हासिल करने के मामले में सबसे ज्यादा असर कोल इंडिया पर ही होगा। अभी देश की कुल ऊर्जा खपत में कोयला आधारित बिजली घरों की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत है जिसे अगले पांच दशकों के भीतर पूरी तरह से खत्म करना होगा। माना जा रहा है कि भारत में कोयला खपत वर्ष 2040 में चरम पर होगा और उसके बाद के तीन दशकों में इसमें तेजी से गिरावट होगी।
देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी भी नेट जीरो उत्सर्जन लक्ष्यों पर अमल करेगी। वैसे कंपनी ने इस वर्ष जुलाई में ही देश का सबसे बड़ा सोलर प्लांट गुजरात के कच्छ में लगाने का एलान किया है। एनटीपीसी ने वर्ष 2032 तक नवीन ऊर्जा से 60,000 मेगावाट बिजली क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। इसमें आठ विशाल सोलर ऊर्जा प्लांट लगाने का काम भी है। कंपनी इलेक्टि्रक वाहनों की चार्जिग सुविधा का पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर भी खड़ा करना चाहती है।