सरकार ने पेगासस स्पाईवेयर के जरिए निगरानी करने की रिपोर्टों को किया खारिज, जानें क्या कहा
केंद्र सरकार ने पेगासस प्रोजेक्ट मीडिया रिपोर्ट पर जवाब दिया है। सरकार ने रविवार को कहा कि भारत एक मजबूत लोकतंत्र है जो अपने सभी नागरिकों को निजता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। पढ़ें यह रिपोर्ट...
नई दिल्ली, एजेंसियां। दुनिया के विभिन्न देशों में सरकारों द्वारा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों की जासूसी कराने का मामला एक बार फिर उछला है। इंटरनेशनल मीडिया कंसोर्टियम की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 300 से ज्यादा लोगों के फोन टैप कराए गए हैं। इनमें दो केंद्रीय मंत्री, विपक्ष के तीन नेता, 40 से अधिक पत्रकार, एक मौजूदा जज, सामाजिक कार्यकर्ता और कई उद्योगपति शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2018 और 2019 के बीच फोन टैप कराए गए थे।
फोन टैपिंग के लिए इजरायली निगरानी कंपनी एनएसओ ग्रुप के पिगासस साफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत, अजरबैजान, बहरीन, कजाखस्तान, मेक्सिको, मोरक्को, रवांडा, सऊदी अरब, हंगरी और संयुक्त अरब अमीरात ने जासूसी के लिए पिगासस साफ्टवेयर का इस्तेमाल किया। इनमें से भारत, रवांडा, मोरक्को और हंगरी ने फोन हैक करने के आरोपों को खारिज दिया है जबकि अजरबैजान, बहरीन, कजाखस्तान, सऊदी अरब, मेक्सिको और यूएई ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
केंद्र सरकार ने इजरायली कंपनी की ओर से तैयार जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए पत्रकारों एवं अन्य विशिष्ट हस्तियों की जासूसी कराने संबंधी रिपोर्टों को खारिज कर दिया है। सरकार ने रिपोर्टों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास है। भारत अपने नागरिकों के निजता के अधिकारों की रक्षा करने को प्रतिबद्ध है। सरकार ने पेगासस के साथ संबंध के कथित दावों को खारिज करते हुए कहा है कि कोई अनधिकृत अवरोधन (unauthorised interception) नहीं हुआ है।
Government of India’s response to inquiries on the ‘Pegasus Project’ media report. pic.twitter.com/F4AxPZ8876— ANI (@ANI) July 18, 2021
सरकार ने कहा कि हमने नागरिकों के निजता के अधिकार को सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2019 और सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 को प्रस्तुत किया है ताकि लोगों के निजी जानकारियों की रक्षा की जा सके और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के उपयोगकर्ताओं को सशक्त बनाया जा सके। सरकार का कहना है कि विशिष्ट लोगों पर सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई भी ठोस आधार नहीं है।
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कुछ लोगों की सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई भी ठोस आधार नहीं है। पूर्व में भी व्हाट्सऐप पर पेगासस के इस्तेमाल को लेकर भी इसी तरह के आरोप लगाए गए थे। उन रिपोर्टों का भी कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था और सुप्रीम कोर्ट में व्हाट्सऐप समेत सभी पक्षों के जरिए इसका स्पष्ट रूप से खंडन किया गया था। यह रिपोर्ट भी भारतीय लोकतंत्र और इसकी संस्थाओं को बदनाम करने की एक कोशिश प्रतीत होती है।
सरकार ने कहा है कि देश में एक पूरी तरह से स्थापित प्रक्रिया है जिसके जरिए राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक संचार का वैध सर्विलेंस किया जाता है। खास तौर पर केंद्र और राज्यों की एजेंसियों द्वारा किसी आपात स्थिति या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में ऐसा किया जाता है। ऐसे इंटरसेप्शन भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885 की धारा 5 (2) और सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम 2000 की धारा 69 के प्रावधानों के तहत सार्वजनिक सुरक्षा के हित में किए जाते हैं।
इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव डा. राजेंद्र कुमार ने भी उक्त आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि भारत अपने नागरिकों को निजता का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए सख्त कानून बनाए गए हैं। डा. कुमार ने कहा है कि भारत सरकार को भेजी गई प्रश्नावली से संकेत मिलता है कि कहानी गढ़ी गई है जो न केवल तथ्यों से रहित है बल्कि पहले ही उसका निष्कर्ष भी निकाल लिया गया है।
गौरतलब है कि इस तरह का मामला पहले भी आया था, जिसमें भारत में वाट्सएप पर पिगासस साफ्टवेयर के जरिये लोगों पर नजर रखने की बात कही गई थी। उस समय भी सरकार ने स्पष्ट रूप से खबर को खारिज किया था। सरकार ने संसद में भी कहा था कि सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर लोगों के फोन टेप कराने की कानूनी व्यवस्था है। इससे इतर न तो सरकार द्वारा और न ही किसी एजेंसी द्वारा लोगों के फोन टैप कराए जाते हैं। वाट्सएप समेत अन्य पक्षों ने भी सुप्रीम कोर्ट में जासूसी के आरोपों से इन्कार किया था।