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Budget 2020-21: मंदी की आहट के बीच सरकार से राहत की आस में ये सेक्‍टर, उठाने होंगे ये कदम

देश में मंदी की आहट साफ सुनी जा सकती है। ऐसे में आगामी बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं। सरकार की कोशिशों से पहले जानिए आखिर कहां-कहां है सुधार की जरूरत...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 29 Dec 2019 01:17 PM (IST)Updated: Sun, 29 Dec 2019 04:40 PM (IST)
Budget 2020-21: मंदी की आहट के बीच सरकार से राहत की आस में ये सेक्‍टर, उठाने होंगे ये कदम
Budget 2020-21: मंदी की आहट के बीच सरकार से राहत की आस में ये सेक्‍टर, उठाने होंगे ये कदम

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार कुछ वक्त से धीमी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों साफ किया था कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती जरूर है, लेकिन मंदी का डर नहीं है। बावजूद इसके कई ऐसे पहलू हैं, जिनसे मंदी की आहट साफ सुनी जा सकती है। ऐसे में आगामी बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं। सरकार की कोशिशों से पहले जानिए आखिर कहां-कहां है सुधार की जरूरत और कौन से सेक्टर बदहाली में हैं।

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बेहतर नहीं हैं वैश्विक हालात

अर्थव्यवस्था को लेकर भारत की चिंताओं के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति भी ज्यादा ठीक नहीं है। अमेरिका और चीन के बीच टे्रड वार के बाद मचे बवाल के बीच दुनिया पिस रही है। उस पर नीतियों की अनिश्चितताओं ने इस संकट को और बढ़ा दिया है। दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में यह संकट ज्यादा देखा जा रहा है। वैश्विक जीडीपी विकास दर 3 फीसद है। यह पिछले साल की अपेक्षा 0.6 फीसद कम है। जबकि व्यापार वृद्धि दर 2018 के 3.8 के मुकाबले घटकर के 1.1 हो गई है।

आर्थिक बदहाली

दुनिया की सबसे तेज गति से आगे बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था थम सी गई है। सितंबर में खत्म दूसरी तिमाही में जीडीपी की विकास दर घटकर 4.5 फीसद रह गई। यह मार्च 2013 के बाद सबसे सुस्त चाल है। मार्च 2013 में विकास दर 4.3 थी। रुपये का गिरना जारी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट लगातार जारी है। जुलाई के आखिर में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 68.9 थी, लेकिन एक महीने में ही यह 72 के पास पहुंच गया। फिलहाल डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 71.43 है।

मांग में कमी

भारत में वस्तुओं की मांग में काफी कमी आई है। यह किसी एक क्षेत्र की बात नहीं है, बल्कि ज्यादातर क्षेत्रों में ऐसा ही है। निजी उपभोग में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है। यह सकल घरेलू उत्पाद का करीब 60 फीसद है।

पांच ट्रिलियन का सपना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024-25 तक देश को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का सपना देखा है। हालांकि इन हालातों में यह काफी मुश्किल लगता है। इसका कारण है कि हम अभी आधे रास्ते से कुछ ही आगे पहुंचे हैं। हमारी अर्थव्यवस्था करीब 2.9 ट्रिलियन की है। पांच ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने के लिए देश की अर्थव्यवस्था को करीब 8 फीसद की रफ्तार चाहिए, लेकिन इसकी सूरत दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है।

किसानों का हाल

साल 2019 की दूसरी तिमाही में कृषि अर्थव्यवस्था 4335.47 अरब रुपये थी जो तीसरी तिमाही में गिरकर 3651.61 अरब पहुंच गई। 2011 से 2019 तक कृषि अर्थव्यवस्था का औसत 4126.42 था। आज हम इस औसत से भी नीचे आ गए हैं, जबकि 2018 की चौथी तिमाही में यह अब तक के सर्वोच्च स्तर 5869.41 अरब पर पहुंची थी। वहीं 2011 के तीसरी तिमाही में यह अपने सबसे कम स्तर 2690.74 अरब पर पहुंच गई थी।

रोजगार की स्थिति

रेटिंग एजेंसी केयर के मुताबिक, 2017-18 में रोजगार की दर 3.9 फीसद थी, जो 2018-19 में गिरकर 2.8 फीसद रह गई है। एजेंसी के मुताबिक, बड़े उद्योग वास्तविकता में रोजगार में नकारात्मक विकास के गवाह हैं।

निर्यात में गिरावट

अप्रैल 1991 से नवंबर 2019 के दौरान औसत निर्यात दर 10.8 फीसद रही है। नवंबर 2019 में सालाना कुल निर्यात में 0.34 फीसद की कमी आई है। नवंबर में भारत का कुल निर्यात 26 अरब अमेरिकी डॉलर था। इसी महीने में कुल आयात 38.1 अरब डॉलर रहा। इस महीने का घाटा 12.1 अरब अमेरिकी डॉलर रिकॉर्ड किया गया है। अगस्त से हर महीने निर्यात नकारात्मक ही रहा है। अगस्त 2019 में निर्यात में 6.180 फीसद की गिरावट थी जो सितंबर में 6.303 और अक्टूबर में 0.980 दर्ज की गई है। 

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