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जजों की नियुक्ति की व्यवस्था से नाखुश जस्टिस चेलमेश्वर 22 जून को हो जाएंगे सेवानिवृत

जस्टिस चेलमेश्वर ने कई बार न्यायिक प्रणाली और जजों की नियुक्ति की व्यवस्था में पारदर्शिता न होने की बात कही।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 09:01 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 11:37 PM (IST)
जजों की नियुक्ति की व्यवस्था से नाखुश जस्टिस चेलमेश्वर 22 जून को हो जाएंगे सेवानिवृत

माला दीक्षित, नई दिल्ली। व्यवस्था से नाखुश वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस चेलमेश्वर 22 जून को सेवानिवृत हो रहे हैं। वे मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के बाद सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश और कोलीजियम के सदस्य हैं। जस्टिस चेलमेश्वर करीब एक महीने की छुट्टियां बिता कर रविवार को ही गांव से दिल्ली वापस लौटे हैं।

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- करीब एक महीने बाद रविवार को गांव से दिल्ली वापस लौटे हैं जस्टिस चेलमेश्वर

- देखना होगा कि जस्टिस केएम जोसेफ के नाम पर दोबारा मुहर लगाने के लिए इस बीच कोलीजियम की बैठक होती है कि नहीं

अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि सरकार से पुनर्विचार के लिए वापस आई जस्टिस केएम जोसेफ की सिफारिश पर दोबारा मुहर लगाने के लिए 22 जून तक कोलीजियम की बैठक होती है कि नहीं। हालांकि संभावनाएं कम ही नजर आती हैं क्योंकि कोलीजियम के ज्यादातर सदस्य न्यायाधीश या तो दिल्ली के बाहर हैं या बाहर जा रहे हैं।

पहले माना जा रहा था कि जस्टिस चेलमेश्वर के सेवानिवृत होने से पहले कोलीजियम की बैठक होगी और उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ की सिफारिश दोहराई जाएगी। वैसे तो जोसेफ का नाम दोबारा भेजे जाने पर कोलीजियम में सैद्धांतिक सहमति पहले ही बन चुकी है, लेकिन औपचारिक सिफारिश अभी नहीं भेजी गई है। मौजूदा हालात में जस्टिस चेलमेश्वर की सेवानिवृति से पहले बैठक की संभावना मुश्किल दिखती है क्योंकि फिलहाल कोलीजियम के सभी न्यायाधीश दिल्ली में मौजूद नहीं हैं।

जस्टिस चेलमेश्वर ने जोसेफ के नाम की दोबारा सिफारिश करने के लिए मुख्य न्यायाधीश और कोलीजियम के साथी जजों को पत्र लिखा था। बताते चलें कि अगर पुनर्विचार को भेजी गई सिफारिश कोलीजियम दोबारा सरकार को भेजती है तो दूसरी बार में सरकार के लिए मानना अनिवार्य होता है। जस्टिस चेलमेश्वर की सेवानिवृति के बाद जस्टिस एके सीकरी कोलीजियम में शामिल हो जाएंगे।

जस्टिस चेलमेश्वर डिसेन्टिंग जज कहे जाते हैं उन्होंने न्यायाधीशों की नियुक्ति की कोलीजियम व्यवस्था खतम करने वाले एनजेएसी कानून को रद करने के बहुमत के फैसले से असहमति जताई थी। इसके अलावा पिछले तीन चार महीनों में उन्होंने कई बार न्यायिक प्रणाली और जजों की नियुक्ति की व्यवस्था में पारदर्शिता न होने की बात कही।

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाली कोलीजियम के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों की ऐतिहासिक प्रेस कान्फ्रेस की अगुवाई भी जस्टिस चेलमेश्वर ने ही की थी। खास बात ये भी है कि वे पहले ही घोषित कर चुके हैं कि सेवानिवृत के बाद कोई पद नहीं लेंगे।

उन्होंने सेवानिवृत होने वाले न्यायाधीश को परंपरा के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा दी जाने वाली विदाई पार्टी लेने से भी इन्कार कर दिया था। 18 मई को कोर्ट की छुट्टियां शुरू हुई थीं। 21 मई को जस्टिस चेलमेश्वर हैदराबाद विजयवाड़ा में अपने गांव चले गए थे और रविवार 17 जून को वापस लौटे हैं। सूत्र बताते हैं कि उनके घर का ज्यादातर सामान शिफ्ट हो चुका है और वे 22 या 23 जून को सरकारी आवास खाली कर सौंप सकते हैं।


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