Move to Jagran APP

चीन से निर्यात बढ़ने और आयात घटने का गणित समझिए, जानें एक्सपर्ट और डाटा के माध्यम से कैसे बदल रही तस्वीर

भारत में पिछले कुछ समय में इन तीनों सेक्टरों में पीएलआई स्कीम शुरू की है। इस स्कीम के तहत उद्योगों को ज्यादा उत्पादन करने पर कई तरह की रियायतें मिलती हैं। इस स्कीम का ही असर है कि भारत का आयात कम हुआ और निर्यात बढ़ा है।

By TilakrajEdited By: Published: Tue, 24 May 2022 05:32 PM (IST)Updated: Tue, 24 May 2022 05:32 PM (IST)
चीन से निर्यात बढ़ने और आयात घटने का गणित समझिए, जानें एक्सपर्ट और डाटा के माध्यम से कैसे बदल रही तस्वीर
चीन से भारत में इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक सामान के साथ ही मशीनरी का आयात बड़े पैमाने पर होता है

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/विवेक तिवारी। बीते कुछ सालों में भारत की निर्यात स्थिति सुदृढ़ हुई है। चीन के मामले में इसमें लगातार सुधार जारी है। आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक, नीतिगत फैसले एवं मैन्यूफैक्चरिंग को लेकर दृढ़ता का नतीजा भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में देखा जा सकता है। यही वजह है कि चीन से होने वाले आयात का ग्राफ गिरावट की ओर है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि आत्मनिर्भर भारत अभियान, पीएलआई स्कीम ने भारत की स्थिति को बेहतर किया है। हालांकि एक्सपर्ट मानते हैं कि अभी भी व्यापार घाटा है। आने वाले समय में इसमें सुधार की गुंजाइश है। एसबीआई इकोरैप की कुछ माह पहले आई रिपोर्ट के मुताबिक, पीएलआई स्कीम की मदद से भारत चीन से होने वाले आयात में 20 फीसदी तक की कमी कर सकता है।

loksabha election banner

चीन से आयात

चीन से आयात वर्ष 2016-17 में 61.28 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 65.21 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है जो 2016-17 की तुलना में 6.41 प्रतिशत की वृद्धि दिखाता है। तथापि, वर्ष 2019-20 और 2020-21 के बीच आयात स्थिर था। चीन से आयात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएं दूरसंचार उपकरण, कंप्यूटर हार्डवेयर और पेरीफेरल, उर्वरक, इलेक्ट्रॉनिक घटक/उपकरण, कार्बनिक रसायन, दवा, इंटरमीडिएट्स, उपभोक्ता, इलेक्ट्रॉनिक्स, विद्युत मशीनरी आदि जैसे उत्पाद है। चीन से हमारे कुछ आयात जैसे सक्रिय फॉर्मास्यूटिकल सामग्री और दवा सूत्रीकरण भारतीय फॉर्मा उद्योग को तैयार माल के उत्पादन के लिए कच्चा माल प्रदान करते हैं जो भारत से बाहर भी निर्यात किए जाते हैं।

भारत से चीन को निर्यात वर्ष में 2016-17 में 10.17 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 21.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, जो 2016-17 की तुलना में 108.35 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्शाता है। चीन को निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएं इंजीनियरिंग सामान, समुद्री उत्पाद मसाले, जैविक और अकार्बनिक रसायन, पेट्रोलियम उत्पाद आदि है।

ये हैं बड़ी वजह

सरकार ने महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे कि स्टर्लिंग मैटीरियल्स (केएसएम)/ड्रग इंटरमीडिएट्स (डीआई), सक्रिय फॉर्मास्यूटिकल सामग्री (एपीआई), चिकित्सा उपकरणों और फॉर्मास्यूटिकल के घरेलू विनिर्माण के अलावा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और मोबाइल, घरेलू सामान (एसी और एलईडी), स्पेशलिटी स्टील, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल, ड्रोन और ड्रोन संघटक आदि में घरेलू विनिर्माण क्षमता को बढ़ावा देने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव स्कीम (पीएलआई) जैसी स्कीम भी शुरू की है। ये स्कीम घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देंगी और निवेश को आकर्षित करेगी और चीन से आयात पर निर्भरता कम होगी।

आत्मनिर्भर अभियान का दिखा असर

लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष बलदेवभाई जी प्रजापति कहते हैं कि देश में जो आत्म निर्भर भारत अभियान शुरू किया गया है इसका सीधा असर भारत के घटते आयात के तौर पर दिखने लगा है। देश में बहुत से ऐसे उत्पाद बनने लगे हैं जिन्हें पहले आयात किया जाता था। कोरोना काल में भी पीपीटी किट हो या अन्य मेडिकल जिनके लिए हम दूसरे देशों पर निर्भर थे वो देश में ही बनने लगे। हाल ही में राजकोट में एक प्रदर्शनी लगाई गई थी जिसमें 72 ऐसे टूल्स या औजार प्रदर्शित किए गए थे जो देश में आयात होते थे। देश के कई उद्यमियों ने इस प्रदर्शनी में हिस्सा लिया इन टूल्स में बहुत से अब भारत में बनाए जाने लगे हैं। जल्द ही ये सभी टूल्स भारत में बनने लगेंगे। ये आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में बड़ा कदम होगा।

जीडीपी में इतने अरब डालर की वृद्धि हो सकती है

एसबीआई इकोरैप की कुछ माह पहले आई रिपोर्ट के मुताबिक पीएलआई स्कीम की मदद से भारत चीन से होने वाले आयात में 20 फीसदी तक की कमी कर सकता है। इससे भारत अपनी जीडीपी में आठ अरब डालर जोड़ सकता है। एसबीआई का मानना है कि बाद में चीन से होने वाले आयात में 50 फीसदी तक की कमी लाई जा सकती है जिससे भारत के जीडीपी में 20 अरब डालर की बढ़ोतरी संभव है। पिछले डेढ़ साल में सरकार ने 14 विभिन्न सेक्टर में पीएलआई स्कीम की घोषणा की है।

निर्यात बढ़ाने में ये स्कीम और रियायत हुई उपयोगी

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के डायरेक्टर जनरल एंड सीईओ डॉक्टर अजय सहाय का कहना है कि चीन से भारत में प्रमुख रूप से इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक सामान के साथ ही मशीनरी का आयात बड़े पैमाने पर होता है। भारत में पिछले कुछ समय में इन तीनों सेक्टरों में पीएलआई स्कीम शुरू की है। इस स्कीम के तहत उद्योगों को ज्यादा उत्पादन करने पर कई तरह की रियायतें मिलती हैं। इस स्कीम का ही असर है कि भारत का आयात कम हुआ और निर्यात बढ़ा है। ग्लोबल इंपोर्ट में 35 फीसदी हिस्सेदारी इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रानिक सामान की ही है। ऐसे में भारत में इन क्षेत्रों में निर्यात को बढ़ाने की काफी संभावना है।

पिछले कुछ समय में कई सारे देश सामान आयात करने के लिए चीन का विकल्प भी तलाश रहे हैं। इसका भी फायदा भारत को मिल रहा है। चीन में कोविड का भी काफी असर रहा। इसके चलते उनके उत्पादन पर भी असर पड़ा है। साथ ही पिछले कुछ सालों में चीन में भी श्रम की लागत बढ़ी है। वहां भी पहले की तुलना में अब श्रमिकों को ज्यादा वेतन देना पड़ रहा है। इसके चलते चीन की प्रतिस्पर्धा की क्षमता पर भी असर हुआ है। आने वाले दिनों में निश्चित तौर पर भारत के निर्यात में बढ़ोतरी देखी जाएगी और बहुत से सेक्टर में भारत आत्मनिर्भर होगा।

घरेलू क्षमता का करना होगा विस्तार

इकोरैप की रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष 2021-22 में पर्सनल कंप्यूटर, टेलीफोन उपकरण, इलेक्ट्रानिक्स सर्किट, सोलर सेल, यूरिया, लिथियम आयन जैसे आइटम का चीन से भारी मात्रा में आयात किया गया। इन वस्तुओं के चीन से आयात में कमी के लिए भारत को घरेलू स्तर पर इन वस्तुओं की मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता स्थापित करने तक दूसरे देश से आयात करना होगा। वहीं, केमिकल्स, फुटवियर व टेक्सटाइल जैसे सेक्टर में चीन से आयात घटाने के लिए घरेलू क्षमता का विस्तार करना होगा। इकोरैप की रिपोर्ट के अनुसार भारत को वैश्विक वैल्यू चेन का हिस्सा बनने के लिए वस्तुओं के निर्यात को बढ़ाना होगा और इसके लिए सही इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.