Move to Jagran APP

पेरिस समझौता एतिहासिक, लेकिन सिर्फ प्रतिबद्धता से नहीं बनेगी बात, करने होंगे जरूरी उपाय

संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव एंटोनियो गुटारेस का कहना है कि सिर्फ पेरिस समझौते के तय लक्ष्‍यों को पूरा करने के लिए संकल्‍प लेना ही जरूरी नहीं है बल्कि इससे आगे बढ़कर काम करने की जरूरत है जिससे धरती का तापमान कम किया जा सके।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 03:26 PM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 03:26 PM (IST)
पेरिस समझौता एतिहासिक, लेकिन सिर्फ प्रतिबद्धता से नहीं बनेगी बात, करने होंगे जरूरी उपाय
पेरिस समझौते के लक्ष्‍यों को पूरा करना जरूरी

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने अमेरिका के पेरिस समझौते में दोबारा वापस आने पर खुशी जताई है। पेरिस समझौते को दुनिया में बढ़ रहे तापमान को रोकने के लिए कारगर और एतिहासिक माना गया था, लेकिन अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने अगस्‍त 2017 में इससे बाहर आने का औपचारिक एलान किया था। दिसंबर 2015 में हुए इस समझौते पर अमेरिका ने ओबामा प्रशासन के दौरान हस्‍ताक्षर किए थे और वो ऐसा करने वाले दुनिया के 194 देशों में शमिल हुआ था। गौरतलब है कि राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने जनवरी 2021 में इस समझौते में अमेरिका की वापसी को लेकर एक एग्‍जीक्‍यूटिव ऑर्डर पर साइन किए थे।

loksabha election banner

अमेरिका की इस समझौते में वापसी को यूएन प्रमुख ने एक उम्मीद भरा दिन करार दिया है। उन्‍होंने कहा है कि बाइडन की वापसी से वैश्विक जलवायु की कार्रवाई को आगे बढ़ाया जा सकेगा। इस समझौते के तहत धरती के बढ़ते तापमान को रोकने और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि इस समझौते के तहत तय लक्ष्‍यों को पाने में जहां भारत सफलता की तरफ है वहीं अन्‍य सभी देश इससे कहीं पीछे हैं। यूएस की वापसी पर एंटोनियो गुटारेस ने कहा कि बाइडन का लौटना पूरी दुनिया के अच्‍छी खबर है। इस दौरान हुए एक समारोह में बाइडेन के विशेष दूत और पूर्व विदेश मत्री जॉन कैरी भी शामिल हुए थे।

यूएन प्रमुख का कहना है कि अमेरिका के इस समझौते के बाहर आने के बाद पेरिस समझौते के तय लक्ष्‍यों को पाने से काफी दूर हो गई थी। इसकी वजह से ये मुहिम कमजोर पड़ रही थी।। अब यूएस की वापसी से इस मुहिम को दोबारा तेजी मिलेगी। हालांकि उन्‍होंने ये भी कहा कि भले ही पेरिस समझौता एक एतिहासिक उपलब्धि हो लेकिन इसमें जो भी संकल्‍प लिया गया है केवल उतना ही पर्याप्‍त नहीं होगा। जलवायु परिवर्तन के जो संकेत इस धरती पर दिखाई दे रहे हैं वो बेहद खतरनाक है। 2020 बीते पांच वर्षों में सबसे गर्म वर्ष रहा है। इस इस दौरान कार्बन डाई ऑक्साइड का रिकॉर्ड स्‍तर रहा। जंगलों की आग से दुनिया का हर कोना प्रभावित हुआ। यदि यही सिलसिला बरकरार रहा तो धरती के तापमान में तीन डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो सकती है। ये बेहद विनाशकारी होगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.