Move to Jagran APP

या तो गंगा निर्मल होगी, या फिर मर के जायेंगे : उमा भारती

गंगा सफाई पर उमा भारती ने कहा कि सरकार पूरी तरह गंभीर है। उन्होंने कहा कि या तो गंगा निर्मल होगा या फिर मर के जाएंगे।

By Lalit RaiEdited By: Published: Thu, 04 Aug 2016 01:38 PM (IST)Updated: Thu, 04 Aug 2016 01:48 PM (IST)
या तो गंगा निर्मल होगी, या फिर मर के जायेंगे : उमा भारती

नई दिल्ली। गंगा की निर्मलता और अविरलता सुनिश्चित करने को मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि इस कार्य को वर्ष 2020 तक पूरा कर लिया जायेगा। उमा भारती ने कहा कि जब आए हैं तो कुछ करके जायेंगे.. या गंगा निर्मल होगी या फिर मरके जायेंगे।’’

loksabha election banner

लोकसभा में सुष्मिता देव, सौगत राय एवं कुछ अन्य सदस्यों के पूरक प्रश्नों के उत्तर में जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्री उमा भारती ने कहा कि गंगा नदी में स्वर्ण मछली, महाशिरा, डाल्फिन जैसे जल जंतु ही साबित करेंगे कि गंगा निर्मल हुई, क्योंकि अभी गंगा नदी में अनेक स्थानों पर इन जीवों के अस्तित्व पर संकट छाया हुआ है। कई स्थानों पर प्रदूषण के कारण डाल्फिन अंधी हो गई हैं। हम देख सकने वाली डाल्फिन छोड़ेंगे और अगर वे अंधी नहीं हुईं तो नदी की निर्मलता साबित हो जाएगी।

'गाय, गंगा और सड़क कटना बंद न हुई तो इस्तीफा दूंगा'

उन्होंने कहा कि नमामि गंगे योजना के माध्यम से गंगा की निर्मलता और अविरलता को सुनिश्चित करने की पहल की है। गंगा में इन जल जंतुओं का फिर से बहाल होना ही यह साबित करेगा कि गंगा निर्मल हो गई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अक्टूबर 2016 में पहला चरण पूरा हो जायेगा, अक्तूबर 2018 में दूसरा चरण और 2020 तक नमामि गंगे परियोजना को पूरा होना है। इसके लिए हमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री समेत सभी का पूरा सहयोग मिल रहा है।‘‘

उमा ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत सात जुलाई 2016 को लघु अवधि एवं मध्यम अवधि की 231 परियोजनाएं शुरू की गई हैं। ये परियोजनाएं गंगा तथा इसकी सहायक नदियों के पास स्थित विभिन्न नगरों में शुरू किए जाने वाले नमामि गंगे कार्यक्रम के साथ घाटों, शवदाह गृहों के आधुनिकीकरण और विकास, जैव विविधता केंद्र स्थापित करने, नदी तल की सफाई के लिए ट्रेश स्कीमर का उपयोग करने, सीवेज शोधन संयंत्र स्थापित करने, सीवेज पंपिंग स्टेशन, मछली पालन केंद्र, नालों के अपशिष्ट जल के परिशोधन के लिए प्रायोगिक परियोजनाओं एवं वनीकरण आदि से संबंधित हैं।

रुद्रप्रयाग में नमामि गंगे अभियान को पलीता लगा रही नगर पालिका

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कुल 123 घाट, 65 शवदाह गृह, 8 जलमल अवसंरचना और 35 अन्य परियोजनाएं शुरू की गई हैं। उमा भारती ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम 20,000 करोड़ रूपये की लागत से शुरू किया गया है जिसमें नए प्रयासों के लिए 12,728 करोड़ रूपये शामिल हैं। इसके अंतर्गत विशेष रूप से 351.42 करोड़ रूपये की स्वीकृत लागत वाली 12 परियोजनाएं मंजूर की गई हैं। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं को 18 माह से 48 माह के बीच पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। संपूर्ण कार्यक्रम को वर्ष 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य है। मंत्री ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम की 20,000 करोड़ रूपये की लागत में से 7,272 करोड़ रूपये मौजूदा एवं नये कार्यक्रमों के लिए है।

कुल बजटीय राशि में से 100 करोड़ रूपये मीडिया और संचार तथा जन जागरूकता एवं गंगा संरक्षण में लोगों की सहभागिता को बढ़ाने एवं जनजागरूकता के लिए रखे गए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2014..15 तथा 2015..16 में विज्ञापनों पर कुल 2.8 करोड़ रूपये खर्च हुए हैं। मंत्री ने कहा कि सरकार ने 110 शहरों की पहचान की है जहां नदी..झीलों में अशोधित जलमल बहाया जाता है और सफाई के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

उमा ने कहा कि जब वह मंत्री नहीं थी तब उन्होंने सभी सांसदों को गंगा जल भेजा था और गंगा के विषय पर सहयोग मांगा था। तब सभी लोगों ने एक स्वर से इसका समर्थन किया था। अब जब संसद में कानून बनाने के लिए विधेयक लेकर आएंगी तब उसी तरह से सर्वसम्मति से उसे पारित करने की सभी से प्रार्थना करेंगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि नदी में डाली जाने वाली पूजन सामग्री गंगा नदी के प्रदूषण का मुख्य कारक नहीं है। यह पूजन सामग्री नदी प्रवाह के साथ स्वयं बह जाती है। किन्तु जब अन्य प्रदूषण के कारण नदी का प्रवाह कम होता है या बाधित होता है तो यह पूजन सामग्री एक जगह एकत्र होकर प्रदूषण बढ़ाती है।

उन्होंने कहा कि गंगा नदी के प्रदूषण का मुख्य कारण इसके किनारे बसी औद्योगिक इकाइयों द्वारा इसमें डाला जाने वाला प्रदूषित जल एवं कचरा तथा सीवेज है। वर्तमान सरकार के सत्ता में आने के बाद सितंबर में प्रदूषण फैलाने वाली इन इकाइयों के साथ बैठक कर उन्हें गंगा में प्रदूषण रोकने के उपाय करने के निर्देश दिये गये। उमा ने कहा कि सरकार गंगा नदी में प्रदूषण को रोकने के लिए एक कानून लाने पर विचार कर रही है जिसमें प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों के खिलाफ कड़े प्रावधान होंगे।

उमा भारती ने कहा कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किये गये सर्वेक्षण में गंगा बेसिन में 501 एमएलडी अपशिष्ट जल उत्पन्न करने वाले 764 पूरी तरह प्रदूषणकारी उद्योगों का पता चला है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को नोटिस जारी किए हैं।

उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार के इस संकल्प को देश एवं विदेशों में काफी समर्थन मिल रहा है। उमा ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को विभिन्न जगहों पर गंगा जल की गुणवत्ता की जांच का पता लगाने के मकसद से उपकरण लगाने के लिए 196 करोड़ रूपये दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि नमामि गंगे योजना के तहत प्रारंभ में छह शहरों.. मथुरा.वृन्दावन, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना और नयी दिल्ली में ‘‘ट्रैश स्कीमरों’’ द्वारा नदी सतह और घाट सफाई कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.