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एनएसए डोभाल के बेटे की मानहानि केस में दो गवाहों ने दर्ज कराए बयान

विवेक ने अपनी शिकायत में कहा था कि कारवां पत्रिका और रमेश ने जानबूझकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की ताकि उनके पिता पर निशाना साधा जा सके।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 11 Feb 2019 07:35 PM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 07:35 PM (IST)
एनएसए डोभाल के बेटे की मानहानि केस में दो गवाहों ने दर्ज कराए बयान
एनएसए डोभाल के बेटे की मानहानि केस में दो गवाहों ने दर्ज कराए बयान

नई दिल्ली, एजेंसी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ( एनएसए ) अजीत डोभाल के बेटे विवेक डोभाल द्वारा एक पत्रिका 'कारवां' तथा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जयराम रमेश के खिलाफ दायर मानहानि केस में सोमवार को दो गवाहों ने विवेक के समर्थन में कोर्ट में बयान दर्ज कराए।

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विवेक डोभाल ने कारवां पत्रिका के खिलाफ दायर किया है केस

पत्रिका पर कथित अपमानजनक लेख प्रकाशित करने तथा रमेश पर उस आलेख का इस्तेमाल करने का आरोप है। 'कारवां' के खिलाफ दाखिल आपराधिक मानहानि केस में विवेक के दोस्त निखिल कपूर तथा बिजनेस पार्टनर अमित शर्मा ने उनके समर्थन में अपने बयान दर्ज कराए।

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने मामले की अगली सुनवाई 22 फरवरी को मुकर्रर की है। इसके पहले विवेक ने 30 जनवरी को दर्ज कराए अपने बयान में कहा था कि पत्रिका द्वारा लगाए गए सारे आरोप 'बेबुनियाद' तथा 'झूठे' हैं, जिन्हें बाद में कांग्रेसी नेता रमेश ने भी एक प्रेस कांफ्रेंस में दोहराए थे। इससे उनके पारिवारिक सदस्यों तथा कारोबारी सहयोगियों के बीच उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है।

शर्मा ने अपने बयान में कहा है कि इस आलेख के प्रकाशन के बाद निवेशकों में भारी बेचैनी पैदा हुई। वे विवेक पर इस्तीफे के लिए जोर डाल रहे थे, क्योंकि उन्हें शक था कि पारिवारिक पृष्ठभूमि के चलते उन्हें 'लगातार निशाना' बनाया जाता रहेगा।

उन्होंने आलेख में लगाए गए इस आरोप को खारिज किया कि विवेक का कारोबार उनके ब़़डे भाई शौर्य डोभाल के कारोबार से जु़़डा है। शर्मा ने कहा कि यद्यपि विवेक के ब़़डे भाई शौर्य निवेश का कारोबार करते हैं लेकिन हमारी कंपनियों के बीच कोई वित्तीय हित नहीं है।

कारवां का यह बयान करना कि विवेक डोभाल के ओवरसीज उद्यम उनके भाई शौर्य डोभाल के एशियाई बिजनेस से जु़़डे हैं-- बिलकुल गलत और दुर्भावनापूर्ण हैं।

शर्मा ने कहा कि यद्यपि आलेख में उनके नाम का उल्लेख नहीं है, लेकिन उससे उनकी भी मानहानि हुई है। वहीं, विवेक के सहपाठी रहे पुणे के कारोबारी कपूर ने अपने बयान में कहा कि आलेख में 'कॉपी पेस्ट' किया गया है और उसमें कोई मेरिट नहीं है। जो बातें आलेख में प्रकाशित हुई हैं, विवेक उनमें शामिल नहीं है।

विवेक ने अपनी शिकायत में कहा था कि कारवां पत्रिका और रमेश ने जानबूझकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की ताकि उनके पिता पर निशाना साधा जा सके।

कारवां ने लगाए आरोप

मालूम हो कि कारवां ने 16 जनवरी को 'द डी कंपनीज' शीर्षक से प्रकाशित ऑनलाइन आलेख में कहा था कि विवेक डोभाल 'केमन आइलैंड में हेज फंड' चलाते हैं, जो एक स्थापित टैक्स हैवन है और इसका पंजीयन नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 2016 में घोषित नोटबंदी के महज 13 दिन बाद हुआ था।


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