बंगाल सामूहिक दुष्कर्म की दो पीड़िताएं न्याय की गुहार लेकर पहुंची सुप्रीम कोर्ट, स्वतंत्र जांच एजेंसी जांच कराने की मांग
सामूहिक दुष्कर्म की शिकार 60 वर्षीय महिला ने अर्जी में कहा है कि चार-पांच मई 2021 की रात को सत्ताधारी दल टीएमसी के समर्थकों ने उसके घर पर हमला किया और उसके छह वर्षीय पोते के सामने पांच लोगों ने उसके साथ दुष्कर्म किया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा के दौरान सामूहिक दुष्कर्म की दो पीड़िताओं ने न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इन पीड़िताओं में एक 17 वर्ष की नाबालिग है और दूसरी 60 वर्ष की बुजुर्ग। अपने साथ हुई हैवानियत का ब्योरा देते हुए पीड़िताओं ने कोर्ट से बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा के लंबित मामले में पक्षकार बनाए जाने और उनके मामलों की जांच एसआइटी या किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की है। एक अर्जी में मुकदमे का ट्रायल बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने की भी मांग है।
बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा के मामले की सुप्रीम कोर्ट पहले से ही सुनवाई कर रहा है। मतदान के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) कार्यकर्ताओं और समर्थकों द्वारा भाजपा व अन्य विरोधी पार्टी के समर्थकों पर की गई हिंसा में मारे गए दो भाजपा कार्यकर्ताओं के परिजनों की सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं लंबित हैं। इन पर कोर्ट पहले ही बंगाल सरकार को नोटिस जारी कर चुका है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई होनी है।
सामूहिक दुष्कर्म की शिकार 60 वर्षीय महिला ने अर्जी में कहा है कि चार-पांच मई, 2021 की रात को सत्ताधारी दल टीएमसी के समर्थकों ने उसके घर पर हमला किया और उसके छह वर्षीय पोते के सामने पांच लोगों ने उसके साथ दुष्कर्म किया।
अर्जी में पुलिस द्वारा मामले में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया गया है। दूसरी अर्जी 17 वर्षीय नाबालिग की ओर से दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि वह नौ मई, 2021 को नजदीकी गांव में रहने वाली अपनी दादी से मिलकर सहेली के साथ लौट रही थी। उसे चार लड़कों ने रोक लिया और कहा कि अब इसे भाजपा का समर्थन करने का सबक सिखाएंगे। हमलावरों ने उसे जंगल में ले जाकर सामूहिक दुष्कर्म किया। पीड़िता ने कहा है कि वह अनुसूचित जाति की है। दोनों अर्जियों में पीड़िताओं ने स्वयं और परिवार की सुरक्षा की मांग की है। नाबालिग पीड़िता ने मुकदमे का ट्रायल बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने की मांग भी की है।