ट्विटर ने Deepfake सामग्रियों को सीमित करने के प्रयास शुरू किए
ऐसे ट्वीट को हटाया जा सकता है जिनके साथ छेड़छाड़ की हुई सामग्री डाली गई हो। प्रस्तावित नियमों पर सोशल मीडिया कंपनी ने मांगी है लोगों की राय।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर ने सोमवार को कहा कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर लोगों को बरगलाने वाली डीपफेक (शातिर ढंग से संपादित सामग्रियों) के प्रसार को रोकने के लिए नियम तैयार कर रही है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि इन कदमों में ऐसे ट्वीट को हटाना भी शामिल हो सकता है, जिनके साथ छेड़छाड़ की हुई ऐसी सामग्रियां डाली गई हों, जो किसी की सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हों।
कंपनी ने इस तरह की डीपफेक सामग्रियों वाले ट्वीट के साथ नोटिस लगाने के प्रस्तावित नियमों पर लोगों की राय मांगी है। कंपनी डीपफेक वाले ट्वीट को लाइक या साझा करने से पहले उपयोग करने वालों को चेतावनी देने पर भी विचार कर रही है। उसकी योजना इस तरह के ट्वीट के साथ किसी खबर का लिंक देने की भी है, ताकि लोगों को पता चल सके कि कैसे अमुक ट्वीट के साथ डाली सामग्री बरगलाने के लिए तैयार की गई है। इनके बारे में 27 नवंबर तक राय दी जा सकती हैं। कंपनी इसके बाद सुझावों की समीक्षा करेगी और फिर इन पर अमल किया जाएगा। कंपनी ने कहा कि इन नियमों को लागू करने से कम से कम 30 दिन पहले घोषणा कर दी जाएगी।
क्या है डीपफेक तकनीक
डीपफेक तकनीक का इस्तेमाल कर किसी वीडियो के साथ छेड़छाड़ किया जा सकता है। इसमें व्यक्ति से ऐसी बात कहलवाई जा सकती है, जो बात उसने कही ही नहीं है। पिछले साल अप्रैल में लोगों का ध्यान इस ओर गया, जब जॉर्डन पील ने एक फर्जी वीडियो जारी किया। इसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते दिखाया गया था।