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दिल्ली पुलिस ने खोला आतंकी टुंडा का पूरा राज, बताई पूरी कहानी

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार आतंकी अब्दुल करीम टुंडा उर्फ अब्दुल कदूस को शनिवार को दिल्ली की कोर्ट ने पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। दिल्ली पुलिस के एडिशनल सीपी के मुताबिक टुंडा कॉमनवेल्थ के दौरान दिल्ली में धमाके कराने की फिराक में था लेकिन दिल्ली पुलिस ने समय रहते उसकी इस साजिश को नाकाम कर दिया। इस दौरान उसके कुछ आतंकियों को भी पकड़ा गया था।

By Edited By: Published: Sat, 17 Aug 2013 01:39 PM (IST)Updated: Sat, 17 Aug 2013 08:18 PM (IST)
दिल्ली पुलिस ने खोला आतंकी टुंडा का पूरा राज, बताई पूरी कहानी

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार आतंकी अब्दुल करीम टुंडा उर्फ अब्दुल कदूस को शनिवार को दिल्ली की कोर्ट ने पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। दिल्ली पुलिस के एडिशनल सीपी के मुताबिक टुंडा कॉमनवेल्थ के दौरान दिल्ली में धमाके कराने की फिराक में था लेकिन दिल्ली पुलिस ने समय रहते उसकी इस साजिश को नाकाम कर दिया। इस दौरान उसके कुछ आतंकियों को भी पकड़ा गया था।

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पुलिस के मुताबिक टुंडा के न सिर्फ दाऊद इब्राहिम के साथ संपर्क हैं बल्कि हाफिज सईद, आजम चीना, लकवी और बड़ा साहिब के साथ भी वह लगातार संपर्क में रहा है। गिरफ्तारी के दौरान उसके पास से पाकिस्तान का फर्जी पासपोर्ट मिला है जिसमें उसका नाम अब्दुल कदूस बताया गया है। दिल्ली में जन्में अब्दुल करीम टुंडा का प्रमुख काम आतंकियों को बम बनाना सिखाना था। उसने न सिर्फ भारत में रहकर आतंकियों को बम बनाने की ट्रेनिंग दी बल्कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी आतंकियों को इसकी ट्रेनिंग दी है। वहीं खुद उसको ट्रेनिंग देने का काम आइएसआइ ने किया था।

पुलिस के मुताबिक फिलहाल उसके एक भाई को छोड़कर परिवार का अन्य कोई भी सदस्य भारत में नहीं रहता है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उसको सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी की जानकारी के बाद भारत नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया। उसके नाम पहले ही रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया जा चुका है।

टुंडा दिल्ली, मुंबई, सोनीपत, पानीपत और हैदराबाद समेत कई जगहों पर हुए बम धमाकों में शामिल रहा है। एक बार इसको पहले भी गिरफ्तार किया जा चुका है लेकिन तब 1994 में यह पुलिस को चकमा देकर बांग्लादेश भाग गया था। यहां से वह पाकिस्तान चला गया। पुलिस के मुताबिक 1996 में वह एक बार फिर से दिल्ली आया था। यहां कुछ समय बिताने के बाद वह 1998 में पाकिस्तान भाग गया। वर्ष 2000 में इसके मारे जाने की खबर भी मिली थी। लेकिन एक आतंकी से पूछताछ के बाद यह साबित हुआ कि टुंडा अभी जिंदा है, जिसके बाद इसकी तलाश फिर से शुरू कर दी गई थी।

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