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छत्तीसगढ़ में नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों के कैंप कोरोना से बेअसर, पिछली लहर का अनुभव आया काम

छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सल मोर्चे पर तैनात अर्धसैन्य बलों के जवानों को कोरोना के संक्रमण से बचाने में पिछला अनुभव बहुत काम आ रहा है। कोरोना की पिछली लहर से सबक लेते हुए इस बार तैयारी पहले से की गई है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 10:29 PM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 10:29 PM (IST)
पिछले साल बस्तर संभाग में तैनात 400 से अधिक जवान कोरोना संक्रमित हुए थे।

अनिल मिश्रा, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सल मोर्चे पर तैनात अर्धसैन्य बलों के जवानों को कोरोना के संक्रमण से बचाने में पिछला अनुभव बहुत काम आ रहा है। कोरोना की पिछली लहर से सबक लेते हुए इस बार तैयारी पहले से की गई है। यही वजह है कि दूसरी लहर में जहां शहरों और गांवों में कोरोना से हालत बदतर होते जा रहे हैं वहीं फोर्स के कैंपों में कोरोना का एक भी केस सामने नहीं आया है।

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पिछले साल बस्तर संभाग में तैनात 400 से अधिक जवान कोरोना संक्रमित हुए थे

पिछले साल लाॅकडाउन के बाद भी कैंपों में तेजी से संक्रमण फैल रहा था। बस्तर संभाग में 400 से अधिक जवान कोरोना संक्रमित पाए गए थे। दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ के एक जवान की कोरोना से मौत भी हुई थी। पिछले साल की स्थिति को देखते हुए इस बार कोरोना की लहर आते ही फोर्स ने सुरक्षा के उपाय किए हैं।

कैंप में हर जवान की कोरोना जांच, कैंपों को सैनिटाइज करना, मास्क अनिवार्य 

कैंप में हर जवान की कोरोना जांच की गई। कैंपों को सैनिटाइज करने और मास्क को अनिवार्य करने जैसे उपाय किए गए। कैंपों में कोरोना नहीं था, खतरा यही था कि जो जवान अवकाश पर गए हैं वह लौटेंगे तो कहीं कोरोना न ले आएं।

हर कैंप में आइसोलेशन बैरक, अवकाश से लौटने वाले जवानों के लिए 14 दिन क्वारंटाइन

कोरोना से बचने के लिए हर कैंप में आइसोलेशन बैरक बनाए गए हैं। अवकाश से लौटने वाले जवानों के लिए 14 दिन क्वारंटाइन में रहना अनिवार्य किया गया। क्वारंटाइन रहने वालों की जांच और उपचार किया गया। 14 दिन नजर रखी गई। पूर्ण स्वस्थ होने पर ही उन्हें कैंप में प्रवेश दिया गया।

जंगल में गश्त के दौरान भी कोरोना प्रोटोकाल का पालन

जवान जंगल में गश्त के दौरान भी कोरोना प्रोटोकाल का पालन कर रहे हैं। सभी कैंपों में वैक्सीन का इंतजाम किया गया है। 90 फीसद जवानों को वैक्सीन लगाया जा चुका है। बता दें कि बस्तर में अर्धसैन्य बलों के करीब 70 हजार जवान तैनात हैं। इन्हें दूरदराज के नक्सल इलाकों में स्थित फोर्स के 118 कैंपों में तैनात किया गया है।

पहले से तैयारी के चलते कैंपों तक कोरोना नहीं पहुंच पाया

पिछले साल कैंपों में तेजी से कोरोना फैल रहा था। इसे देखते हुए इस बार पहले से तैयारी की गई। बाहर से आने वालों को आइसोलेट कर जांच की गई। पूर्ण स्वस्थ जवानों को ही कैंपों में प्रवेश दिया जा रहा है। सभी को वैक्सीन लगा रहे हैं। इन उपायों से इस बार कैंपों तक कोरोना नहीं पहुंच पाया है- सुंदरराज पी, आइजी बस्तर।


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