Tripura Violence PIL: सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर बिप्लब सरकार ने दिया जवाब, बंगाल हिंसा पर PIL क्यों नहीं?
भाजपा शासित त्रिपुरा सरकार ने राज्य में हिंसा की सांप्रदायिक घटनाओं की SIT से जांच वाली याचिका का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया है। त्रिपुरा सरकार ने विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पूर्व और चुनाव के बाद कई हिंसाए हुईं
अगरतला, एएनआइ। भाजपा शासित त्रिपुरा सरकार ने राज्य में हिंसा की सांप्रदायिक घटनाओं की SIT से जांच कराने की मांग वाली याचिका का सुप्रीम कोर्ट में कड़ा विरोध किया है। त्रिपुरा सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि, पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पूर्व और चुनाव के बाद कई हिंसाए हुईं, ये हिंसाएं पूरे देश में चर्चा का विषय बनीं। लेकिन कोई भी याचिकाकर्ता सामने नहीं आया। अचानक त्रिपुरा जैसे छोटे राज्य में कुछ उदाहरणों के कारण उनकी तथाकथित जनता जाग उठी। बिप्लब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में त्रिपुरा हिंसा की जांच SIT को सौंपने की याचिका को भारी जुर्माने के साथ खारिज करने की मांग की है।
दरअसल, वकील एहतेशाम हाशमी ने हाल ही में त्रिपुरा में हुई हिंसा मामले में SIT से जांच कराने वाली मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका का विरोध करते हुए बिप्लब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया। जनहित याचिका का जवाब देते हुए भाजपा सरकार ने कहा कि याचिका स्वंयभू है। उन्होंने कहा कि याचिका पूरी तरह से फाइंडिंग रिपोर्ट्स के आधार पर आधारित है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इसे राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों सीएफडी और पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज की ओर से स्पान्सर किया गया है। उन्होंने कहा कि, हाशमी की वर्तमान याचिका भी ऐसी स्वयंभू रिपोर्ट 'ह्यूमैनिटी अंडर अटैक इन त्रिपुरा - #मुस्लिम लाइव्स मैटर' का परिणाम है।' उन्होंने कहा कि यह त्रिपुरा में घटनाओं का एकतरफा, अतिरंजित और विकृत संस्करण है और उसी पर आधारित है। कानूनन इसमें कोई सच्चाई नहीं है।
त्रिपुरा सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि, याचिकाकर्ताओं की तथाकथित ‘पब्लिक स्प्रिट’ कुछ महीने पहले बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा में नहीं आई, अचानक त्रिपुरा जैसे छोटे राज्य में कुछ उदाहरणों के कारण वो जाग गई। राज्य सरकार ने कहा, SC को पेशेवर रूप से पब्लिकली स्प्रिटिड नागरिकों और सद्भावना वाले वादियों के बीच एक रेखा खींचनी चाहिए। त्रिपुरा सरकार ने रिपोर्ट को "घटनाओं का एकतरफा अतिरंजित और विकृत बयान" कहा है। त्रिपुरा सरकार का कहना है कि पहले से दर्ज मामले जिनमें त्रिपुरा हिंसा के दोषियों के खिलाफ गिरफ्तारी हुई है, पाकिस्तान के ISI के साथ संबंधों की भी जांच की जा रही है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और त्रिपुरा सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा था। याचिकाकर्ता की ओर से प्रशांत भूषण ने कहा था कि इस मामले में राज्य सरकार की ओर से कदम उठाए नहीं जा रहे हैं। याचिकाकर्ता वकील एहतेशाम हाशमी ने याचिका दाखिल कर त्रिपुरा में मुस्लिमों पर हमले की SIT स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच की मांग की है। हाशमी त्रिपुरा हिंसा के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी में थे, जिन पर पुलिस ने यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया था।