सबरीमाला मंदिर में प्रवेश को लेकर तृप्ति देसाई ने केरल के मुख्यमंत्री से सुरक्षा मांगी
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर चल रहे विवाद के बीच महिला एक्टिविस्ट तृप्ति देसाई ने केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को चिट्ठी लिखकर सुरक्षा मांगी है।
दिल्ली, जेएनएन। केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर चल रहे विवाद के बीच महिला एक्टिविस्ट तृप्ति देसाई ने केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को चिट्ठी लिखकर सुरक्षा मांगी है। तृप्ति देसाई ने 17 नवंबर से शुरू हो रहे वार्षिक 'मंडल मकरविल्लक्कु' सत्र के दौरान मंदिर में प्रवेश करने का एलान किया है।
बता दें कि तृप्ति देसाई 'भूमाता ब्रिगेड' की संस्थापक हैं। भूमाता ब्रिगेड ने उत्तर भारत के शनि सिगनापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की सफल लड़ाई लड़ी थी। तृप्ति ने केरल के मुख्यमंत्री से अपनी सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने कहा कि उनको मंदिर में प्रवेश करने को लेकर धमकियां मिल रही हैं। मंदिर में प्रवेश करने पर उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी जा रही है।
इस बीच केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कल यानि 15 नवंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर से जुड़े कई मामलों पर चर्चा होगी। सर्वदलीय बैठक का फैसला मंगलवार को लिया गया जब सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया।
इस मामले में दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई 22 जनवरी को खुली अदालत में करने का फैसला किया गया है। सबरीमाला मंदिर में 17नवंबर से दो महीने तक चलने वाला वार्षिक 'मंडल मकरविल्लक्कु' शुरू होगा। सर्वदलीय बैठक में इस दौरान दर्शनार्थियों को दी जाने वाली सुविधाओं पर चर्चा होने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि सबरीमाला मंदिर में 10 वर्ष से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया था। इसके बावजूद स्थानीय लोगों और कुछ धार्मिक संस्थाओं के विरोध के चलते 10 वर्ष से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया।
क्या है मंडल मकरविल्लक्कु त्योहार
सबरीमाला मंदिर साल भर खुला नहीं रहता। इस मंदिर में कई तरह के नियमों का पालन किया जाता है और साफ सफाई का भी बहुत ध्यान रखा जाता है। सबरीमाला मंदिर में तीर्थ यात्री मंडल पूजा करते हैं। इस दौरान 41 दिनों तक मंदिर के पट खुले होते हैं और भगवान अय्यप्पा की पूजा की जाती है। इस साल यह पूजा 17 नवंबर से 27 दिसंबर तक होगी।