Move to Jagran APP

बिल पर लोकसभा में चर्चा जारी, रविशंकर ने कहा- इस्‍लामी मुल्‍कों में भी नहीं है तीन तलाक

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज लोक सभा में ट्रिपल तलाक विधेयक पेश कर दिया। कांग्रेस की ओर से भी इसे समर्थन मिला है। लेकिन राजद और ओवैसी ने बिल के प्रावधानों पर सवाल उठाए हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 28 Dec 2017 06:35 AM (IST)Updated: Thu, 28 Dec 2017 04:15 PM (IST)
बिल पर लोकसभा में चर्चा जारी, रविशंकर ने कहा- इस्‍लामी मुल्‍कों में भी नहीं है तीन तलाक
बिल पर लोकसभा में चर्चा जारी, रविशंकर ने कहा- इस्‍लामी मुल्‍कों में भी नहीं है तीन तलाक

नई दिल्ली(जेएनएन)। लोकसभा में आज पेश हुए तीन तलाक विधेयक पर चर्चा जारी है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक को पेश किया। इसपर राजद, ओवैसी व अन्‍य कुछ दलों द्वारा विरोध जताया गया वहीं कांग्रेस की ओर से इसे समर्थन दिया गया है। लेकिन कांग्रेस ने इसमें कुछ खामियों का उल्‍लेख करते हुए स्‍टैंडिंग कमेटी के पास भेजने की मांग की जिसे सरकार ने ठुकरा दिया।

loksabha election banner

इस्‍लामी मुल्‍कों में भी तीन तलाक नहीं

कानून मंत्री ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सभी इस्‍लामी मुल्‍कों में भी तीन तलाक नहीं है। वहां भी तलाक से पहले नोटिस देते हैं। इससे तलाक पीड़ितों को मदद मिलेगी न कि शरिया में दखल दिया जाएगा। कानून मंत्री ने आगे कहा, सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक पर रोक लगाने के बावजूद अभी भी यह जारी है। आज सुबह मैंने अखबार में रामपुर का एक मामला देखा जिसमें देर से जगने पर पत्‍नी को तलाक दे दिया।

सरकार ने ठुकराई कांग्रेस की मांग

कांग्रेस ने कहा बिल को स्‍टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाएगा। कांग्रेस नेता मल्‍लिकार्जुन खड्गे ने कहा बिल में कुछ खामियां हैं जो कमेटी दूर कर सकती है हम इसके समर्थन में हैं। कांग्रेस की ओर से की गयी इस मांग को सरकार ने ठुकरा दिया और कहा कि जाे भी चर्चा हो सदन में ही होनी चाहिए। वहीं  कांग्रेस सांसद सुष्‍मिता देव ने कहा, ‘इस विधेयक में तिहरे तलाक को अपराध घोषित किया जा रहा है लेकिन मुआवजे को लेकर स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया है। 1986 के कानून में मुआवजा देने का स्पष्ट प्रावधान है। अधिकतर मुस्लिम देशों में तलाक देने वाले पति को नोटिस देकर सूचना देने का प्रावधान रखा गया है।‘ 

अारोपियों को मिले सजा: मीनाक्षी लेखी

भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने तीन तलाक विधेयक पर अपना पक्ष रखते हुए कहा, जिस रफ्तार से ट्रिपल तलाक दिया जाता है उसे रोकने की जरुरत है। तलाक ए बिदद्त को रोकना ही इस विधेयक का मकसद है। कुछ ही क्षण में महिला को सड़क पर खड़ा कर दिया जाता है। इस प्रथा से औरतों को बचाना होगा। उन्‍होंने आगे कहा, 1937 से पहले देश में कस्टमरी लॉ का पालन होता था। सती प्रथा के खिलाफ मौत की सजा का प्रावधान किया गया। तिहरे तलाक पर मुहर लगाने वालों के खिलाफ ही सजा का प्रावधान हो। जो समाज को गुमराह करते हैं उन्हें भी सजा मिले।

इन्‍होंने जताया है विरोध

इस विधेयक के प्रावधानों पर राजद, बीजद और ओवैसी ने विरोध दर्ज कर सवाल उठाए।  बता दें कि आज सुबह भाजपा के संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वसम्‍मति से संसद में ट्रिपल तलाक बिल पारित कराने की अपील की थी। 

ऑल इंडिया मुस्‍लिम वूमंस पर्सनल लॉ बोर्ड की शाइस्‍ता अंबर ने कहा, 'यह ऐतिहासिक दिन है, कई सालों से महिलाएं इसे झेलती आ रही हैं और यह उनके धैर्य का ही पुरस्‍कार है। सभी सांसदों से मेरा अाग्रह है कि इस विधेयक को पारित करें।'

बिल में मूलभूत अधिकारों का हनन: ओवैसी

एआइएमआइएम के प्रेसिडेंट असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाते हुए कहा, ‘बिल में मूलभूत अधिकारों का हनन है जब पहले से ही घरेलू हिंसा के लिए कानून है तो इस विधेयक की क्‍या जरूरत है।‘ वहीं बीजद की ओर से भी विधेयक के प्रावधानों को लेकर विरोध जताया गया। बीजद की ओर से कहा गया कि तीन तलाक बिल की दोबारा समीक्षा की जाए। बीजद सांसद भतृहरि महताब ने लोकसभा में कहा, ‘यह विधेयक त्रुटिपूण्‍र्ज्ञ है और इसमें कई आंतरिक विरोधाभास हैं।‘

आज का दिन ऐतिहासिक: कानून मंत्री

कानून मंत्री ने कहा, आज ऐतिहासिक दिन है। सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक को पाप बताया गया था। तीन तलाक बिल पूरी तरह संवैधानिक है। यह नारी गरिमा सम्‍मान का बिल है। यह बिल किसी मजहब संप्रदाय के खिलाफ नहीं है। कोर्ट के फैसले के बाद भी तीन तलाक जारी था।

तीन तलाक को खत्‍म करने वाला कानून-

- इसका मसौदा गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले एक अंतर-मंत्री समूह ने तैयार किया है।

- प्रस्तावित कानून एक बार में तीन तलाक या 'तलाक ए बिद्दत' पर लागू होगा। इसके तहत पीड़िता अपने व अपने नाबालिग बच्चों के लिए संरक्षण व गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है।

- इस मामले पर मजिस्‍ट्रेट अंतिम फैसला करेंगे। इसके तहत किसी भी तरह का तीन तलाक (बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) गैरकानूनी होगा।

- तीन तलाक गैरकानूनी होगा और ऐसा करने पर पति को तीन साल की जेल की सजा हो सकती है।

तलाक-ए-बिद्दत मुस्लिम समाज में लंबे समय से चली आ रही एक प्रथा है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को एक बार में तीन तलाक बोलकर रिश्ता खत्म कर सकता है। इसको सायरा बानो नामक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसपर कोर्ट ने अपने फैसले में इसे अवैध करार दिया था।

भाजपा ने जारी किया व्हिप
सत्तारूढ़ दल भाजपा ने लोकसभा में ट्रिपल तलाक का बिल पारित कराने के लिए अपने सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी किया था।

यह भी पढें: जाधव के परिवार के अपमान पर संसद में रोष 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.