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सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर कांग्रेस से दूरी बनाकर चलेगी तृणमूल, दोनों दलों में बढ़ गई दूरी

शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस ने गांधी प्रतिमा के सामने धरना देते वक्त तो विपक्षी एकता दिखाई लेकिन ऐसे किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने से दूरी बनाए रखी जिसमें कांग्रेस नेतृत्व करती दिखे। विरोध का तरीका भी अलग था।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 10:38 PM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 10:38 PM (IST)
सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर कांग्रेस से दूरी बनाकर चलेगी तृणमूल, दोनों दलों में बढ़ गई दूरी
सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर कांग्रेस से दूरी बनाकर चलेगी तृणमूल, दोनों दलों में बढ़ गई दूरी।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस ने गांधी प्रतिमा के सामने धरना देते वक्त तो विपक्षी एकता दिखाई, लेकिन ऐसे किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने से दूरी बनाए रखी जिसमें कांग्रेस नेतृत्व करती दिखे। विरोध का तरीका भी अलग था। कांग्रेस विपक्षी दलों के साथ सदन के बाहर थी तो तृणमूल अंदर। कांग्रेस वेल में थी तो तृणमूल के सदस्य अपनी-अपनी सीटों पर।

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पिछले सत्र में तृणमूल, कांग्रेस के संसदीय कार्यालय में बुलाई गई बैठक में शामिल होती रही थी। लेकिन सूत्रों के मुताबिक अब दोनों दलों में दूरी इतनी बढ़ गई है कि अब यह संभव नहीं है।मंगलवार को 12 सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर कांग्रेस ने जब नेतृत्व करते हुए सदन से वाकआउट किया तो तृणमूल के सदस्य अंदर बैठे रहे और प्रश्नकाल में हिस्सा भी लिया। दरअसल तृणमूल, कांग्रेस से इतर विपक्षी गुट के पक्ष में है। यही कारण है कि पार्टी के एक नेता ने विपक्षी दलों की बैठक बुलाने के कांग्रेस के अधिकार पर ही सवाल खड़ा कर दिया।

सूत्रों के मुताबिक, जिस तरह त्रिपुरा से गोवा तक तृणमूल ने राजनीतिक पारी खेलने का निर्णय लिया है, उसमें कांग्रेस से दूरी ही उसे अच्छी लग रही है। बताते हैं कि कम से कम 2024 तक तृणमूल इसी रास्ते पर चलेगी और उसे ऐसे दलों का साथ मिलने की आशा भी है जो कांग्रेस से अलग चलना चाहते हैं।जाहिर है सरकार को जहां विपक्षी एकता में पड़ी यह दरार पसंद आ रही है, वहीं विपक्ष पर दबाव बढ़ाने की भी कोशिश है। मंगलवार को संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने राज्यसभा में अपील की कि सरकार डैम सेफ्टी बिल ला रही है। यह महत्वपूर्ण बिल है और आशा है कि पूरा विपक्ष इसमें हिस्सा लेगा। बताने की जरूरत नहीं कि विपक्ष का वाकआउट तो सरकार की राह आसान करेगा ही, अगर नहीं किया तो उनका विरोध हल्का होगा।


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