जनजातीय युवाओं को डिजटल माध्यम से किया जाएगा प्रशिक्षित, फेसबुक के साथ शुरू की गई ये खास पहल
जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए जनजातीय युवाओं को प्रशिक्षित करने का यह एक अच्छा और कारगर माध्यम होगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हर वर्ग और हर क्षेत्र में बढ़ रहे डिजटलीकरण के प्रभाव से आदिवासी वंचित नहीं रह सकते। उन्हें भी डिजिटल माध्यम से न सिर्फ प्रशिक्षित किया जाएगा बल्कि उनकी कार्य कुशलता और उद्यम क्षमता को भी विकसित किया जाएगा। जनजातीय मंत्रालय ने इस बारे में फेसबुक के साथ मिल कर काम शुरू किया है। केन्द्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने इसके लिए गोइंग आनलाइन एज लीडर (गोल) कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इस योजना का शुभारंभ करते हुए अर्जुन मुंडा ने कहा कि इस कार्यक्रम के जरिये आदिवासी युवाओं के बहुआयामी व्यक्तित्व का विकास होगा। इस कार्यक्रम में मेंटर और मेंटी होगे जैसे गुरू शिष्य होते हैं। इसमें 2500 मेंटर और 5000 मेंटी होंगे जो डिजिटल माध्यम से आदिवासी युवाओं को प्रशिक्षित करेंगे उनकी जिज्ञासाओं का जवाब देंगे और कार्य कुशलता को निखारेंगे। ये मेंटरशिप सात महीनें के लिए होगी। इसमें और लोग भी जोड़े जा सकते हैं ये शुरुआती है संख्या है।
जनजातीय युवाओं को एक अच्छा कारगर माध्यम
मुंडा ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए जनजातीय युवाओं को प्रशिक्षित करने का यह एक अच्छा और कारगर माध्यम होगा। इसका पायलेट प्रोजेक्ट पहले किया गया था जिसमें बहुत ही उत्साहवर्धक परिणाम देखने को मिले जिसके बाद इस योजना को शुरू किया जा रहा है। इसके लिए 15 मई से 14 जुलाई तक पंजीकरण कराया जा सकता है। आज के दौर में करीब करीब हर वर्ग सोशल मीडिया का प्रयोग करता है ऐसे में सोशल मीडिया के इस सकारात्मक रूप का इस्तेमाल कर जनजातीय युवाओं को उनके वन उत्पादों को बढ़ाने और उनकी उद्यमशीलता को धार देने का काम किया जाएगा।
मुंडा ने यह भी बताया कि कोरोना महामारी मे आदिवासियों को इसके संक्रमण से बचाने के लिए सरकार लगातार उपाय कर रही है और उन्हें शारीरिक दूरी बनाए रखने, मास्क लगाने आदि के बारे में जागरुक किया जा रहा है। हालांकि उन्होंने माना कि कुछ आदिवासी भी इस महामारी की चपेट मे आये है लेकिन उनकी संख्या नगण्य है और सरकार पूरे प्रयास कर रही है कि संख्या नगण्य ही रहे आगे न बढ़े।