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Hepatitis C : इस बीमारी से डरें नहीं लड़ें,जानिए कहां-कहां पर होगा फ्री इलाज

हेपेटाइटिस-सी के इलाज के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत प्रथम चरण में मेरठबनारस एवं लखनऊ में मरीजों का मुफ्त इलाज करेगी।

By Ashu SinghEdited By: Published: Wed, 22 May 2019 10:13 AM (IST)Updated: Wed, 22 May 2019 10:13 AM (IST)
Hepatitis C : इस बीमारी से डरें नहीं लड़ें,जानिए कहां-कहां पर होगा फ्री इलाज
Hepatitis C : इस बीमारी से डरें नहीं लड़ें,जानिए कहां-कहां पर होगा फ्री इलाज

मेरठ, [संतोष शुक्ल]। 2030 तक भारत को हेपेटाइटिस-सी के डंक से मुक्त करने की दिशा में बड़ी पहल हुई है। केंद्र सरकार राष्ट्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत प्रथम चरण में मेरठ,बनारस एवं लखनऊ में मरीजों का मुफ्त इलाज करेगी। मेडिकल कॉलेज में नोडल सेंटर बनाया गया है, जबकि प्यारेलाल शर्मा जिला अस्पताल में चल रही बेल्जियम की क्लीनिक को सरकार दिसंबर तक ओवरटेक कर लेगी। बता दें कि हेपेटाइटिस-सी के इलाज पर तीन माह में करीब 50 हजार रुपये खर्च आता है।
दिल्ली में ट्रेंड हुई मेरठ की टीम
यूरोप की टीम ने जिला अस्पताल में दो वर्ष तक हेपेटाइटिस-सी क्लीनिक का संचालन करते हुए करीब दो हजार मरीजों का इलाज किया। अब यह संस्था मेरठ की क्लीनिक प्रदेश सरकार को देकर देश के अन्य हिस्से में शोध करेगी। मेडिकल कॉलेज के गैस्ट्रोएंट्रोलाजिस्ट डा. तुंगवीर आर्य और माइक्रोबायोलोजिस्ट डा. अमित गर्ग को नई दिल्ली में प्रशिक्षित किया गया है। जिला अस्पताल की टीम लखनऊ में स्लाइड शो भी कर चुकी है।

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क्या है हेपेटाइटिस-सी

  • -यह एक रक्त संक्रमित बीमारी है, जो एक ही सुई से इंजेक्शन लगाने, टैटू, एक्यूपंचर करवाना, दूषित टूथब्रश, लंबी डायलसिस, रक्त चढ़ाने एवं एक ब्लेड से दाढ़ी बनाने से अन्य व्यक्ति में पहुंचती है।
  • -रक्त में वायरस पहुंचने के बाद तीन सप्ताह में पीसीआर टेस्ट में पकड़ में आ जाता है। किंतु यह वायरस 90 फीसद मामलों में संक्रमण जरूर करता है। लीवर में सूजन करने के साथ ही उसे पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर देता है।
  • -सी दो प्रकार का होता है, जिसे जीनो टाइप-1 और जीनो-टाइप-3 कहा जाता है। भारत में 70 फीसद मरीज सी के जीनो-टाइप-3 के होते हैं। सर्जरी में कई बार चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टाफ भी इसकी चपेट में आ जाता है।
  • -मेरठ में 13 ब्लड बैंकों की रिपोर्ट के मुताबिक पांच साल में बी से ज्यादा सी के मरीज मिले हैं।

ये हैं लक्षण

  • लीवर में सूजन। पेट में हल्का दर्द और पीला मूत्र।
  • पेट,हाथ एवं पैर में दर्द।
  • भूख में कमी। अपच।
  • अत्यधिक थकान। सांस का फूलना।
  • उल्टी,कई बार खून की उल्टी।
  • हाथ पांव में सूजन, पेट में सूजन।
  • मल का काला आना।
  • लीवर कैंसर।

पश्चिम की नस-नस में बीमारी, कैंसर के मरीज भी बढ़े
सी नार्थ ईस्ट, पंजाब के साथ ही पश्चिमी उप्र में मेरठ, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, हापुड़, बुलंदशहर, सहारनपुर, बिजनौर समेत दर्जनों जिलों में बड़ी संख्या में हेपेटाइटिस-सी के मरीज हैं। कई गांवों में 40 फीसद लोगों में यह वायरस मिला। लीवर सिरोसिस व लीवर कैंसर के मरीज बढ़े हैं।

इनका कहना है
पश्चिमी उप्र में हेपेटाइटिस-सी विस्फोटक स्थिति में पहुंच रहा है। फायब्रोस्कैन में कई मरीजों में लीवर में सूजन मिली तो सी से संक्रमित थे। 15 से 20 फीसद में कैंसर की आशंका होती है। नई दवाएं इलाज में बेहद कारगर और सस्ती भी हैं। कई मरीज खून की उल्टी के साथ ओपीडी में पहुंचते हैं,इनमें भी हेपेटाइटिस-सी की आशंका बहुत ज्यादा होती है।
- डॉ.सत्यार्थ चौधरी,उदर रोग विशेषज्ञ
हेपेटाइटिस बी व सी दोनों वायरस पश्चिम में लीवर कैंसर के बड़े कारण हैं। यहां बड़ी संख्या में लोग बीमारी की चपेट में हैं। यह जानलेवा साबित हो रहा है। यह सिरोसिस से कैंसर बनाता है। प्रथम स्टेज में सटीक इलाज उपलब्ध है। केंद्र सरकार हेपेटाइटिस पर नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाएगी तो बड़ा सुधार होगा।
- डॉ.अमित जैन,कैंसर रोग विशेषज्ञ,वेलेंटिस
दस साल पहले गांवों में जो संक्रमित हुए, वो अब मरीज बनकर सामने खड़े हैं। बी वायरस सिर्फ पांच फीसद मामलों में बॉडी में एक्टिव होता है, जबकि सी की संक्रमण दर 90 फीसद है। इसकी कोई वैक्सीन भी नहीं है। सरकार ने मेडिकल कालेज को नोडल सेंटर बनाया है।
- डॉ.टीवीएस आर्य,प्रोफेसर मेडिसिन,मेडिकल कालेज 

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