मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी में अब नहीं होगी देरी, नियमों में बदलाव कर सकता है ट्राई
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी नियमों में बदलाव पर विचार कर रहा है।
नई दिल्ली (पीटीआई)। मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) के आवेदन खारिज करने की प्रैक्टिस पर रोक लगाने के लिए टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई ने इसके नियम बदलने का प्रस्ताव किया है। नये प्रस्ताव में एमएनपी क्लियरिंग हाउस की भूमिका बढ़ेगी। उसके पास एमएनपी की प्रक्रिया पूरी करने के लिए उपभोक्ताओं की पूरी जानकारी होगी।
कोई उपभोक्ता अपने मोबाइल नंबर किसी अन्य नेटवर्क पर ट्रांसफर करना चाहता है तो उसके अनुरोध पर उसे यूनिक पोर्टिग कोड जारी किया जाता है। लेकिन प्राप्तकर्ता ऑपरेटर जिसके नेटवर्क पर ग्राहक शिफ्ट करना चाहता है, को उपभोक्ता पर पिछले ऑपरेटर के बकाया बिल और कोड की वैधता अवधि जैसी एमएनपी के लिए अहम जानकारी नहीं मिल पाती है।
ट्राई का कहना है कि अप्रैल 2016 से मार्च 2017 के बीच एमएनपी रिपोर्ट के विश्लेषण से पता चलता है कि सभी वर्गो में एमएनपी अस्वीकार होने की औसत दर 11.16 फीसद रही। इसमें 40 फीसद मामले कोड की अवधि खत्म होने या कोड की मैचिंग न होने के कारण रद हुए। उपभोक्ता के कोड की सही जानकारी न होने के कारण भी काफी आवेदन रद होते हैं।
ट्राई ने ड्राफ्ट पेपर में कहा है कि इस समय उपभोक्ता के नये चयनित ऑपरेटर के पास कोड की अवधि और सत्यता जांचने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में एमएनपी क्लियरिंग हाउस कारगर होगा जहां उपभोक्ता का ऑपरेटर, जिसके नेटवर्क से वह शिफ्ट होना चाहता है, द्वारा कोड, उसकी वैधता अवधि के साथ मोबाइल नंबर की जानकारी मिल जाएगी। उपभोक्ता का नया चयनित ऑपरेटर क्लियरिंग हाउस को अनुरोध भेजकर उपभोक्ता की जानकारी जांच सकेगा। इसके जरिये एमएनपी अनुरोध तुरंत स्वीकार या रद हो जाएगा। उपभोक्ता पर बिल बकाया होने की स्थिति में पुराना ऑपरेटर तुरंत आवेदन को रद कर सकेगा। इस समय उपभोक्ता पर बकाया की स्थिति जांचने का कोई तंत्र उपलब्ध नहीं है।
ट्राई का मानना है कि नई व्यवस्था में पुराना ऑपरेटर ग्राहक के नये ऑपरेटर को बकाया बिल से संबंधित जानकारी देगा। क्लियरिंग हाउस इस जानकारी को भविष्य के लिए संभालकर अपने पास रिकॉर्ड करेगा। ट्राई की नई व्यवस्था से एमएनपी प्रोसेसिंग समय पर पूरी हो सकेगी और आवेदन रद होने का अनुपात भी कम होगा। उसने एमएनपी के नये ड्राफ्ट पर 31 अगस्त तक सभी पक्षों और जनता से सुझाव मांगे हैं।
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