ट्रैफिक जुर्माने अन्य देशों के मुकाबले भारत में कम, लेकिन वाहन चालकों पर असर भारी
शराब पीकर गाड़ी चलाते पकड़े जाने पर भारत में अभी भी केवल 10 हजार रुपये के अर्थदंड की व्यवस्था है। जबकि अन्य देशों में लाखों रुपये जुर्माना वसूला जाता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संशोधित मोटर एक्ट के जिन जुर्मानों को लेकर सड़कों पर हाहाकार मचा हुआ है, वे अभी भी दुनिया के कई नामचीन देशों के मुकाबले कम हैं। इसके बावजूद इन जुर्मानों ने उजड्ड वाहन चालकों को भी न सिर्फ गाड़ी चलाने का शऊर सिखाना शुरू कर दिया है, बल्कि इससे ओवरलोडिंग और प्रदूषण पर भी लगाम लगनी शुरू हो गई है।
विश्व के छह प्रमुख देशों में यातायात नियमों के उल्लंघन पर लगाने वाले जुर्मानो के तुलनात्मक अध्ययन से पता चलता है कि संशोधित मोटर एक्ट के तहत भारी बढ़ोतरी के बावजूद भारत में जुर्माने अपेक्षाकृत कम हैं। उदाहरण के लिए भारत में रेड लाइट जंप करने पर अब 5000 रुपये का जुर्माना है। जबकि हांगकांग में 5505 रुपये, जापान में 6094 रुपये, ब्रिटेन में 6677 रुपये, जर्मनी में 7101 रुपये तथा सिंगापुर में पूरे 25,877 रुपये है।
इसी प्रकार जहां निर्धारित से अधिक रफ्तार पर गाड़ी चलाने पर भारत में 2000 रुपये का जुर्माना है। वहीं हांगकांग में 2936 रुपये, सिंगापुर में 7736 रुपये, ब्रिटेन में 8667 रुपये, अमेरिका में 10,794 रुपये तथा जापान में पूरे 23,599 रुपये का जुर्माना है।
शराब पीकर गाड़ी चलाते पकड़े जाने पर 10 हजार का अर्थदंड
शराब पीकर गाड़ी चलाते पकड़े जाने पर भारत में अभी भी केवल 10 हजार रुपये के अर्थदंड की व्यवस्था है। जबकि अन्य देशों में इसे बहुत बड़ा अपराध माना जाता है और लाखों रुपये जुर्माना वसूला जाता है। उदाहरण के लिए जर्मनी में वहां की मुद्रा में 1,18359 रुपये के बराबर जुर्माना भरना पड़ता है। जबकि अमेरिका में 1,79,905 रुपये के समकक्ष देने पड़ते हैं। ब्रिटेन में 2.16 लाख रुपये, हांगकांग में 2.29 लाख रुपये तथा सिंगापुर में 2.58 लाख रुपये के बराबर अर्थदंड भरना पड़ता हैं। जापान में ड्रंक ड्राइविंग पर जुर्माने की रकम 6 लाख रुपये से भी ज्यादा है।
बढ़े जुर्मानों से उल्लंघनों में कमी
पूरे मामले पर नजर रख रहे सड़क परिवहन मंत्रालय के बड़े अधिकारी का कहना है कि बढ़े हुए जुर्मानों ने लापरवाह और उद्दंड वाहन चालकों के मन में डर पैदा किया है और अब वे ट्रैफिक पुलिस के कहर से बचने के लिए न सिर्फ अपने कागजात खंगाल रहे हैं, बल्कि उन्हें साथ लेकर चलने लगे हैं। कम से कम महानगरों में ट्रैफिक सिगनल पर गाडि़या स्टॉप लाइन पर रुकने लगी हैं। ओवरस्पीडिंग पर भी काफी हद तक अंकुश लगता दिखाई दे रहा है। हेलमेट की बिक्री अचानक बढ़ गई है और प्रदूषण जांच केंद्रों पर पीयूसी बनवाने वालों की लाइने देखी जा सकती हैं।
ओवरलोडिंग में 75 फीसद कमी
परिवहन विशेषज्ञ तथा इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग (आइएफटीआरटी) के संयोजक एसपी सिंह के मुताबिक पिछले छह दिनो में लांग रूट पर ट्रकों की ओवरलोडिंग के मामलों में 75-80 फीसद तक की कमी देखने में आई है।
देश में चल रहे पचास लाख ट्रकों में प्राय: 60 फीसद यानी तीस लाख ट्रक किसी न किसी किस्म की ओवरलोडिंग करते थे। परंतु बमुश्किल दस लाख ट्रकों में ही ओवरलोडिंग हो रही है। हालांकि ओवरलोडिंग घटने से ट्रकों के भाड़े दो-ढाई फीसद बढ़ गए हैं।
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