गांधी आश्रम के पास तीन दशक से चल रहा टॉयलेट गैस प्लांट
इसके किचन का सारा काम यहां बने दीनबंधू बायोगैस प्लांट से निकली मीथेन गैस से होता है, रोशनी का प्रबंध भी इससे हो सकता है।
अहमदाबाद [शत्रुघ्न शर्मा]। देश को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए तौ शौचालय जरूरी है ही, तकनीक के साथ इसका उपयोग हो तो खाना पकाने के लिए इंधन भी यही मुहैया करा सकता है। गांधी आश्रम के बगल में बने सफाई विद्यालय में यह प्रयोग वषरें से चल रहा है। इसके किचन का सारा काम यहां बने दीनबंधू बायोगैस प्लांट से निकली मीथेन गैस से होता है, रोशनी का प्रबंध भी इससे हो सकता है।
आश्रम रोड पर बने गांधी आश्रम में देश व दुनिया के लोग आते हैं लेकिन इसी से सटे सफाई विद्यालय के बारे में कम लोगों को जानकारी है। यहां स्वच्छता, सफाई व मानव शरीर से निकले अपशिष्ट को रिसायकल कर कार्बनिक खाद बनाने, बायोगैस प्लांट से गैस बनाने व स्वच्छता अभियान से जुडे विविध परियोजनाओं पर काम चल रहा है।
छह लोगों का परिवार हो तथा दो पालतु पशु हों तो घर में बने शौचालय से ही रसोई गैस का पूरा इंतजाम हो सकता है। प्लांट लगाने में 60-70 हजार रुपये लगते हैं। सामान्य भाषा में इस प्लांट से निकली गैस को टट्टी गैस कहते हैं जो एलपीजी की तरह ही रसोई में खाना पकाती है। इसी के साथ पेट्रोमेक्स के लेम्प को जोडकर रोशनी भी की जा सकती है। मजे की बात यह भी है कि सुलभ शौचालय में आपको शौच जाने के लिए 5 रु देने पडते हैं पर यहां शौच करने के बाद आपको 5 रु मिलते हैं।
महात्मा गांधी जी के करीबी परीक्षित मजमूदार,अप्पा पटवर्धन व ईश्र्वर भाई पटेल ने वर्ष 1963 में यह काम शुरु किया था, सफाई विद्यालय के संचालन का काम पिछले ढाई दशक से ईश्र्वर भाई के पुत्र जयेश पटेल देख रहे हैं। जयेश पटेल बताते हैं कि व्यक्ति का शरीर अपने आप में एक फर्टीलाइजर कंपनी है, शरीर से निकलने वाले मल को रिसायकल कर खाद व गैस बनाई जा सकती है।
चेम्बर में मल के साथ फल,सब्जी व चाय पत्ती डालनी पडती है यदि गोबर डाला जाए तो और भी अच्छा रहेगा। उत्तर गुजरात व सौराष्ट्र में 20 हजार बायोगैस टॉयलेट बनाए गए हैं। 1963 से अब तक इस संस्था के जरिए साढे तीन लाख लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। आश्रम शाला, ग्राम भारती व सुघड संस्था में भी इसी तरह का बायोगैस प्लांट कार्यरत है। उनका कहना है कि देश में मन की शुद्वि के लिए टेम्पल जरूरी है तो शरीर की शुद्वी के लिए टॉयलेट भी जरूरी है।