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समय की मांग है कि प्रत्येक नागरिक भ्रष्टाचार को समझे और उसके प्रति जागरूक होने का प्रयास करें

क्रॉनिज्म के माध्यम से होने वाले किसी भ्रष्टाचार को रोकने के लिए संबंधित नियामक को प्रतियोगिता या इसके अभाव से संबंधित समस्या का समाधान निकालने का प्रयास करना चाहिए। प्रतिस्पर्धा पारदर्शिता और नवीनता किसी निष्पक्ष व्यापार परिवेश के मुख्य आधार हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 03:56 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 03:56 PM (IST)
समय की मांग है कि प्रत्येक नागरिक भ्रष्टाचार को समझे और उसके प्रति जागरूक होने का प्रयास करें
नीति निर्माताओं को राज्य-व्यापार संबंधों के लिए एक ऐसी नई संरचना बनाने पर जोर देना चाहिए

नई दिल्‍ली, जेएनएन। यह एक कटु सत्य है कि भ्रष्टाचार को पूर्णतया खत्म नहीं किया जा सकता है। फिर भी, नीति निर्माताओं को राज्य-व्यापार संबंधों के लिए एक ऐसी नई संरचना बनाने पर जोर देना चाहिए, जो एक खुले व प्रतिस्पर्धी नियमों पर आधारित संबंधों को परिभाषित करती हो और जो व्यापार समझौते को नियमों में रूपांतरित करने से नौकरशाही को रोकती हो। वहीं दूसरी ओर जनता को भी इस संबंध में जागरूक होना चाहिए कि उनके हितों के लिए बनाई गई नीतियों से उन्हें वास्तव में फायदा हो रहा है या नहीं, इसे समझने का प्रयत्न करे।

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क्रॉनिज्म के माध्यम से होने वाले किसी भ्रष्टाचार को रोकने के लिए संबंधित नियामक को प्रतियोगिता या इसके अभाव से संबंधित समस्या का समाधान निकालने का प्रयास करना चाहिए। प्रतिस्पर्धा, पारदर्शिता और नवीनता किसी निष्पक्ष व्यापार परिवेश के मुख्य आधार हैं। हालांकि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए नेक नीयत रखने वाले, दृढ़निश्चयी व्यक्तियों और क्षमतावान लोगों के साथ मिलकर बेहतर सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता होगी। नई पीढ़ी के नागरिक इस पर ध्यान देने लगे हैं और इस बारे में चिंतित हैं। समाज का संपन्न वर्ग इसके लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर रहा है, जबकि कुछ अन्य लोग जमीनी स्तर पर इस सोच को लागू कर रहे हैं। कुछ अन्य लोग (लाभकारी) जोखिमों, लोगों को जागरूक कर तथा मीडिया का उपयोग कर भ्रष्ट आचरण को उजागर करने और उससे लड़ने का काम कर रहे हैं। इसका शोर गगन को भेदने लगा है और नेता इसे अनदेखा नहीं कर सकते।

यह भी एक सच है कि भ्रष्टाचार को केवल राजनीतिक पहल से खत्म नहीं किया जा सकता है। देश के हर एक नागरिक को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और अपने स्तर पर इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी। साथ ही किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचार का साथ नहीं देने का मुश्किल निर्णय भी लेना होगा। व्यापारिक जगत के नेताओं के पास शक्ति है और इसका सदुपयोग किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री को यह आकलन करना होगा कि कोई भी अर्थव्यवस्था भ्रष्टाचार को खत्म नहीं कर सकती है, पर इसका मतलब यह नहीं कि हमें कोशिश ही नहीं करनी चाहिए। लोगों को समझना होगा कि यदि हम अपने नेताओं से मांग करते हैं, तो जो हम चाहते हैं उससे कहीं अधिक मिलने की उम्मीद होती है।

हमारे मौजूदा कानूनों को अगर अच्छी तरह से लागू किया जाए तो ये भ्रष्टाचार को रोकने और दोषियों को सजा देने के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम हैं। हम एक स्वतंत्र न्यायपालिका, एक जीवंत लोकतंत्र और प्रभावी जनसांख्यिकी से सुसज्जित हैं। जब हमारा नेतृत्व भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए प्रेरित होता है, तो एक तरफ यह प्रयास अक्सर आदर्शवादी विचारों द्वारा संचालित होता है, तो दूसरी तरफ मतदाताओं के लिए एक सख्त रुख प्रदर्शित करने की कथित आवश्यकता होती है। लिहाजा समय की मांग है कि प्रत्येक नागरिक इस तरह के भ्रष्टाचार को समझे और उसके प्रति जागरूक होने का प्रयास भी करे।


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