जानें- कृषि क्षेत्र में तस्वीर बदल देने वाले क्या हैं वो तीन कदम, जो सरकार ने उठाए
देश में सरकार ने कृषि की दशा सुधारने के लिए जो कदम उठाए हैं उनके सकारात्मक असर भी जरूर दिखाई देंगे।
नई दिल्ली (जेएनएन)। कृषि क्षेत्र में तस्वीर बदल देने वाले तीन कदम उठाए गए हैं। इसको लेकर कुछ विशेषज्ञ बहुत आश्वस्त भले न हों, लेकिन इस बहुप्रतीक्षित मांग के पूरा होने का सकारात्मक असर जरूर दिखेगा। आइए जानते हैं इन कदमों और इनके असर के बारे में?
कृषि उत्पाद विपणन समिति अधिनियम में सुधार
इससे किसान अपनी उपज को जहां उसे उचित और लाभकारी मूल्य मिले, वहां बेच सकते हैं। इस विषय में चार बड़े सुधार किए गए हैं। पहला, अब तक कृषि उत्पादों को केवल स्थानीय अधिसूचित मंडी के माध्यम से ही बेचने की अनुमति थी। अब किसी भी मंडी, बाजार, संग्रह केंद्र, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, कारखाने आदि में फसलों को बेचने के लिए किसान स्वतंत्र हैं। इससे किसानों का स्थानीय मंडियों में होने वाला शोषण कम होगा और फसलों की अच्छी कीमत मिलने की संभावना बढ़ेगी। अब किसानों के लिए पूरा देश एक बाजार होगा। दूसरा, मंडियों में केवल लाइसेंस धारक व्यापारियों के माध्यम से ही किसान अपनी फसल बेच सकते थे। अब मंडी व्यवस्था के बाहर के व्यापारियों को भी फसलों को खरीदने की अनुमति होगी।
इससे मंडी के आढ़तियों या व्यापारियों द्वारा समूह बनाकर किसानों के शोषण करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा। अधिक संख्या में व्यापारी किसानों की फसल खरीद सकेंगे जिससे उनमें आपस में किसान को अच्छा मूल्य देने के लिए प्रतिस्पर्धा होगी। तीसरा, मंडी के बाहर फसलों का व्यापार वैध होने के कारण मंडी व्यवस्था के बाहर भी फसलों के व्यापार और भंडारण संबंधित आधारभूत संरचना में निवेश बढ़ेगा। चौथा, अब अन्य राज्यों में उपज की मांग, आर्पूित और कीमतों का र्आिथक लाभ किसान स्वयं या किसान उत्पादक संगठन बनाकर उठा सकते हैं। किसानों को स्थानीय स्तर पर अपने खेत से ही व्यापारी को फसल बेचने का अधिकार होगा। इससे किसान का मंडी तक फसल ढोने का भाड़ा भी बचेगा।
अनुबंध खेती
यह कदम फसल की बुआई से पहले किसान को अपनी फसल को तय मानकों और तय कीमत के अनुसार बेचने का अनुबंध करने की सुविधा प्रदान करता है। इससे किसान एक तो फसल तैयार होने पर सही मूल्य न मिलने के जोखिम से बच जाएंगे, दूसरे उन्हें खरीदार ढूंढने के लिए कहीं जाना नहीं होगा। किसान सीधे थोक और खुदरा विक्रेताओं, निर्यातकों, प्रसंस्करण उद्योगों आदि के साथ उनकी आवश्यकताओं और गुणवत्ता के अनुसार फसल उगाने के अनुबंध कर सकते हैं। इसमें किसानों की जमीन के मालिकाना अधिकार सुरक्षित रहेंगे और उसकी मर्जी के खिलाफ फसल उगाने की कोई बाध्यता भी नहीं होगी। इसमें फसल खराब होने के जोखिम से भी किसान का बचाव होगा। किसान खरीददार के जोखिम पर अधिक जोखिम वाली फसलों की खेती भी कर सकता है।
आवश्यक वस्तु अधिनियम
इससे अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, आलू और प्याज सहित सभी कृषि खाद्य पदार्थ अब नियंत्रण से मुक्त होंगे। इन वस्तुओं पर राष्ट्रीय आपदा या अकाल जैसी विशेष परिस्थितियों के अलावा स्टॉक की सीमा नहीं लगेगी।
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