वाट्सएप ग्रुप के जरिये इस तरह बिछड़े लोगों को घर पहुंचा रहे मप्र पुलिस के तीन जवान
ग्रुप को तैयार करने में जवानों को डेढ़ महीने का समय लगा। उनकी यह निजी पहल रंग भी लाई। कई लोगों को उनके स्वजन तक पहुंचाया गया है। इससे पहले पुष्पेंद्र और राधा रमन लोगों के खातों व ई-वॉलेट से ठगी रोकने के लिए वाट्सएप ग्रुप तैयार कर चुके हैं।
जोगेंद्र सेन, ग्वालियर। इंटरनेट मीडिया के कुछ स्याह पक्ष हैं तो कुछ उजले भी, निर्भर करता है कि समाज कौन से पक्ष को अपनाता है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में पुलिस की साइबर सेल में पदस्थ आरक्षक पुष्पेंद्र यादव, राधा रमन त्रिपाठी और गिरीश शर्मा ने उजले पक्ष का इस्तेमाल करते हुए एक वाट्सएप ग्रुप बनाया और परिवार से बिछड़ जाने वाले लोगों को उनके स्वजन तक पहुंचाने का बीड़ा उठा लिया। इस ग्रुप को नाम दिया है- भटके हुए का सहारा। ग्रुप से देश के विभिन्न स्थानों के पुलिस अधिकारियों, जवानों के साथ सामाजिक संगठनों के लोगों को जोड़ा गया है।
ग्रुप को तैयार करने में तीनों जवानों को डेढ़ महीने का समय लगा। उनकी यह निजी पहल रंग भी लाई। कई लोगों को उनके स्वजन तक पहुंचाया गया है। इससे पहले पुष्पेंद्र और राधा रमन लोगों के खातों व ई-वॉलेट से ठगी रोकने के लिए वाट्सएप ग्रुप तैयार कर चुके हैं। ये आरक्षक अपने अन्य साथियों के साथ समाज सेवा के कार्य भी करते हैं। पुष्पेंद्र और रमन ने बताया कि वे गुढ़ा-गुढ़ी का नाका स्थित निराश्रित लोगों के आश्रम स्वर्ग सदन में मदद की मंशा से गए थे। यहां कई लोग मिले जो घर जाना जाते थे, लेकिन मानसिक रूप से कमजोर होने से पता नहीं बता पा रहे थे। इनकी मदद करने का विचार आया।
ठगी के प्रकरणों की जांच व जानकारी के लिए देश भर के साइबर सेल के अधिकारियों- कर्मचारियों का ग्रुप और नेटवर्क पहले से तैयार था। उन्हीं अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ समाजसेवी संगठनों के लोगों को जोड़कर 'भटके हुए का सहारा' ग्रुप तैयार किया। इसमें निराश्रित मिले लोगों के फोटो व उनकी उपलब्ध जानकारियां शेयर की जाती हैं। ग्रुप के अन्य सदस्य अपने इलाके के पुलिस थानों या अन्य वाट्सएप ग्रुप से गुमशुदा लोगों की जानकारी से इसका मिलान करते हैं। फोटो अन्य ग्रुप में शेयर किए जाते हैं और कई लोगों के समन्वित प्रयासों से बिछड़े लोगों के स्वजन का पता चल जाता है।
इन लोगों का सहारा बना ग्रुप
60 साल के नरेश यादव ग्राम महानंदपुर थाना दीप नगर जिला नालंदा (बिहार) से भटककर ग्वालियर पहुंच गए थे। वे मानसिक रूप से कमजोर थे। इस ग्रुप के माध्यम से नालंदा में स्वजनों से संपर्क किया गया। नरेश का पुत्र मिथलेश यहां आया और पिता को साथ घर ले गया। इसी तरह मानसिक रूप से कमजोर एक वृद्ध शहर की सड़कों पर भटकते हुए आश्रम स्वर्ग सदन पहुंचे थे। इसी ग्रुप के माध्यम से उनके ग्वालियर के चीनौर इलाके स्थित घर की तलाश की गई और उनके घर पहुंचाया गया।
लोगों के रुपये बचाकर पुरस्कृत भी हो चुके हैं आरक्षक पुष्पेंद्र और राधा रमन
समय पर सूचना मिलने के कारण लोगों के खातों और ई-वॉलेट से ठगी रोक भी चुके हैं। सूचना मिलते ही भुगतान रकवाकर उन्होंने कई लोगों के रपये बचा लिए। डीजीपी ने इस उपलब्धि के लिए उन्हें पांच हजार रुपये का पुरस्कार भी दिया था।