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छत्तीसगढ़: मंदिर निर्माण की खुदाई में मिली डेढ़ हजार साल पुरानी ईटें व लंदन में बनी घंटी

छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में मंदिर निर्माण की नींव खुदाई के दौरान हजारों साल पुरानी ईटें मिली हैं। इसके साथ ही खुदाई में रायल कंपनी लंदन द्वारा निर्मित 182 साल पुरानी घंटी मिली है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 22 May 2019 12:30 AM (IST)Updated: Wed, 22 May 2019 12:30 AM (IST)
छत्तीसगढ़: मंदिर निर्माण की खुदाई में मिली डेढ़ हजार साल पुरानी ईटें व लंदन में बनी घंटी
छत्तीसगढ़: मंदिर निर्माण की खुदाई में मिली डेढ़ हजार साल पुरानी ईटें व लंदन में बनी घंटी

जगदलपुर, जेएनएन। इंद्रावती नदी किनारे स्थित ग्राम रामपाल में पुराने शिव मंदिर की नींव खुदाई के दौरान ग्रामीणों को एक-एक फुट लंबी कई पुरानी ईटें और रायल कंपनी लंदन द्वारा निर्मित 182 साल पुरानी घंटी मिली है। पुरातत्व विभाग के अनुसार यह ईटें नलयुग की हैं और करीब डेढ़ हजार साल पुरानी हैं।

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इनके पुरातात्विक महत्व को देखते हुए ग्रामीणों ने इन्हें मंदिर परिसर में सहेजकर रखा है। 1836 की घंटी को मंदिर में लगाया गया है। जिला मुख्यालय से 13 किमी दूर करनपुर पंचायत अंर्तगत रामपाल बस्ती है। यहां माता मंदिर के अलावा पुराना शिवालय भी है। ग्रामीणों के अनुसार यह शिवलिंग लगातार बढ़ रहा है। यह पिंड लिंगेश्वर महादेव के नाम से क्षेत्र में चर्चित है।

डेढ़ हजार साल पुरानी ईटें 

आसपास के 12 गांवों के ग्रामीण जन सहयोग से करीब 45 लाख रुपये की लागत से नया शिवालय बनाने जा रहे हैं, इसलिए पुराने मंदिर के चारों तरफ करीब पांच फीट गहरी नींव खुदाई की गई है। नया मंदिर बनाने के लिए करीब 15 दिन पहले ग्रामीणों ने नींव खुदाई का काम किया था। उसी दौरान करीब एक फीट लंबी, आठ इंच चौड़ी तथा पांच इंच मोटी दर्जनों ईटें मिली हैं।

संस्कृति व पुरातत्व कार्यालय रायपुर के उप संचालक जेआर भगत बताते हैं कि इस तरह की लाल ईंटें बकावंड ब्लाक के कोसमी पंचायत के आश्रित ग्राम लिंगोगुड़ा जंगल में भी मिली हैं। यह ईटें नलयुग की हैं और कम से कम डेढ़ हजार साल पुरानी हैं। इंद्रावती किनारे मंदिरों की नगरी बारसूर में भी ऐसी ही ईटें मिलती हैं।

दबी मिली पुरानी घंटी

रामपाल में शिव मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान एक पुरानी घंटी भी मिली है। यह घंटी संभवत: कांसे की है और इसमें रायल कंपनी लंदन 1836 अंकित है। ग्रामीण इंदर ठाकुर, प्रेमलाल ठाकुर, त्रिलोचन ठाकुर, मनेर सिंह, लिमेश्वर वशिष्ठ बताते हैं कि जिस स्थान पर अभी छोटा शिवालय है, उसे 13 साल पहले ही बनाया गया था। तब माता पुजारी के दिशा निर्देंश पर यहां पहली बार खुदाई की गई थी तब पिण्डी मिली थी। उसके पहले यहां एक मंदिर का भग्नावशेष था। इधर 15 दिनों पहले की गई खुदाई के दौरान ही पुरानी ईंटे और 182 साल पुरानी घंटी मिली है। इन सभी को सहेज कर रखा गया है।  

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