Move to Jagran APP

इस बार आपके लिए, किसानों और देश की अर्थव्यवस्था के लिए खुशखबरी लेकर आएगा मानसून

अर्थव्यवस्था में मानसून की अहमियत का अंदाजा महज इस बात से लगाया जा सकता है कि सामान्य से कम की एक भविष्यवाणी से अक्सर सेंसेक्स धड़ाम हो जाया करता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 11:14 AM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 11:17 AM (IST)
इस बार आपके लिए, किसानों और देश की अर्थव्यवस्था के लिए खुशखबरी लेकर आएगा मानसून
इस बार आपके लिए, किसानों और देश की अर्थव्यवस्था के लिए खुशखबरी लेकर आएगा मानसून

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। देश की अर्थव्यवस्था और संस्कृति से गहरा नाता रखने वाला दक्षिण पश्चिम मानसून इस बार सामान्य के करीब रहने वाला है। देश भले ही कृषि प्रधान अब न रहा हो, लेकिन आज भी देश की 60 प्रतिशत उपजाऊ जमीन जून से सितंबर के बीच के चार मानसूनी महीनों में हुई बारिश पर ही निर्भर है।

loksabha election banner

अर्थव्यवस्था में मानसून की अहमियत का अंदाजा महज इस बात से लगाया जा सकता है कि सामान्य से कम की एक भविष्यवाणी से अक्सर सेंसेक्स धड़ाम हो जाया करता है। कृषि एवं कृषि आधारित उत्पादों उर्वरक, ट्रैक्टर, रसायन एवं एफएमसीजी कंपनियों के शेयर गिर जाते हैं। अच्छे मानसून और सूखे वाले वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था से लेकर विभिन्न क्षेत्रों की उत्पादकता पर पेश है एक नजर...

सामान्य मानसून

भारतीय मौसम विभाग के अनुसार जून से लेकर सितंबर के बीच अगर बारिश दीर्घावधि का 96-104 फीसद होती है, तो उसे सामान्य मानसून माना जाता है। या फिर पिछले पचास साल की औसत बारिश, जो वर्तमान में 89 सेमी है। इस औसत के 90 फीसद से कम वर्षा को सूखे की स्थिति माना जाता है जबकि 110 फीसद से अधिक बारिश को अति मानसून की श्रेणी में रखा जाता है।

आगमन

एक जून को केरल तट पहुंचता है। अगले एक सप्ताह तक यह दक्षिण भारत के क्षेत्रों को अपनी जद में लेता है। आमतौर पर दस दिन के भीतर यह देश के उत्तरी हिस्सों और 15 दिनों के भीतर आधे देश तक अपनी पहुंच बनाता है। जून के तीसरे सप्ताह तक यह मध्य भारत को तरबतर करते हुए जुलाई के पहले सप्ताह तक पश्चिमी क्षेत्रों को भिगोता है।

मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि इस बार मानसून सीजन में बारिश का वितरण बहुत अच्छा रहने वाला है, जो खेती के लिहाज से बहुत ही अच्छा रहेगा। देश की 50 फीसद खेती असिंचित है, जो पूरी तरह बरसात पर आधारित है। देश की अर्थव्यवस्था कृषि की हिस्सेदारी 15 फीसद है। मानसून की बारिश से देश की खेती के प्रभावित होने का सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। खरीफ सीजन में प्रमुख फसलें चावल, गन्ना, मक्का, कपास और सोयाबीन की खेती होती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.