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1760 से 1947 तक: अनसुने स्वतंत्रता सेनानियों का संग्राहलय, यहां मिलेगी पूरी जानकारी

प्रेम कुमार शुक्ल ने 1760 से लेकर 1947 तक के सभी स्वतंत्रता सेनानियों की याद में एक संग्राहलय तैयार किया है। जहां सैकड़ों सेनानियों की वीरगाथा मौजूद है।

By Neel RajputEdited By: Published: Sun, 02 Jun 2019 12:01 PM (IST)Updated: Sun, 02 Jun 2019 12:01 PM (IST)
1760 से 1947 तक: अनसुने स्वतंत्रता सेनानियों का संग्राहलय, यहां मिलेगी पूरी जानकारी
1760 से 1947 तक: अनसुने स्वतंत्रता सेनानियों का संग्राहलय, यहां मिलेगी पूरी जानकारी

[ललित विजय]। कुछ ही स्वतंत्रता सेनानियों के नाम और चेहरे आपके जेहन में होंगे, जबकि न जाने कितने सपूतों ने स्वतंत्रता की लड़ाई में खुद को न्योछावर कर दिया था। ये ऐसे गुमनाम नायक हैं, जिनके बारे में न तो किसी ने ज्यादा सुना और न ही देखा। ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों को गुमनामी से निकाल कर दुनिया के सामने रखने का बीड़ा उठाया दिल्ली की एक संस्था ने।

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शहीद स्मृति चेतना समिति के संचालक पेशे से शिक्षक हैं। दिल्ली के सर्वोदय विद्यालय में हिंदी के व्याख्याता प्रेम कुमार शुक्ल ने देशभर का दौरा कर विभिन्न राज्य सरकारों, संस्थाओं और केंद्र सरकार के पास उपलब्ध विभिन्न दस्तावेजों में मौजूद स्वतंत्रता सेनानियों की जानकारियां और चित्र एकत्र किए। फिर इन विवरणों के आधार पर सभी स्वतंत्रता सेनानियों की रंगीन तस्वीरें और तैल चित्र तैयार कराए।

संस्था ने अब तक करीब 600 स्वतंत्रता सेनानियों की जानकारी और तस्वीरें तैयार करा ली हैं। संस्था की ओर से लालकिला, दिल्ली विधानसभा, गुजरात, छतीसगढ़, उत्तर प्रदेश समेत देशभर में एक दर्जन संग्राहालय भी तैयार किए गए हैं। अब महानगरों में भी ऐसे संग्रहालय तैयार कराए जाने का लक्ष्य है, जहां इन चित्रों को लगाकार पहचान खो रहे स्वतंत्रता सेनानियों से देश को रू-ब-रू कराया जाएगा।

शहीद स्मृति चेतना समिति की तरफ से वृंदावन, उप्र में तैयार कराए गए संग्रहालय का उद्घाटन वर्ष 2010 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। साथ ही संघ प्रमुख मोहन भागवत भी आए थे। लोगों द्वारा दिए गए रक्त से भी शहीदों के चित्र तैयार हुए हैं। प्रेम कुमार शुक्ल का कहना है कि स्वतंत्रता की लड़ाई में करीब 540 बच्चे शहीद हुए थे, जिनके बारे में किसी को ज्यादा जानकारी नहीं है।

इन सभी बच्चों के बारे में जानकारी एकत्र की गई। साथ ही उनसे जुड़े विवरण प्राप्त किए गए। संस्था के चित्रकार गुरुदर्शन सिंह बिक्ल की तरफ से इन सभी 540 बच्चों के तैल चित्र तैयार किए गए। इन तस्वीरों को लालकिला में मौजूद संग्रहालय में लगाया गया है। जहां आने वाले पर्यटक बाल शहीदों के बारे में जानकारी एकत्र कर सकते हैं।

प्रेम कहते हैं, सामान्यत: 1857 के आंदोलन को आजादी का पहला आंदोलन माना जाता है, लेकिन अंग्रेजों से भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने 1760 से ही लड़ना प्रारंभ कर दिया था। संस्था की तरफ से 1760 से लेकर आजादी के समय तक की दुर्लभ तस्वीरें और जानकारियां एकत्र की गई हैं। साथ ही हैदराबाद और गोवा मुक्ति आंदोलन में शहीद हुए सेनानियों की तस्वीरें और जानकारियां भी एकत्र की गई हैं। शहीद स्मृति चेतना समिति की नीव रवि चंद्र गुप्ता ने रखी थी। वह सुभाष चंद्र बोस से काफी प्रेरित थे।

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