U.S-India Relation: चीन को रोकने के लिए अमेरिका को भारत की इसलिए है जरूरत
भारत और अमेरिका के रिश्ते कई और कारणों के साथ इसलिए भी बेहतर हुए हैं कि चीन की बढ़ती आक्रामकता भारत के साथ ही अमेरिका के लिए भी चिंता का विषय है।
नई दिल्ली, जेएनएन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन से बेहद खफा हैं और वे चीन को घेरने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। ऐसे में वे जी-7 में भारत, रूस, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया को शामिल करने की योजना बना रहे हैं। दुनिया की सात बड़ी आर्थिक शक्तियों के संगठन जी-7 के शिखर सम्मेलन को ट्रंप ने सितंबर तक के लिए टाल दिया है। हालांकि अमेरिका के इस प्रस्ताव को लेकर ब्रिटेन पूरी तरह से सहमत नहीं है। ब्रिटेन जी-7 को जी-10 में बदलना चाहता है, जिसमें अन्य तीन देशों से उसे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वह रूस को अलग रखना चाहता है।
अमेरिका के लिए इसलिए जरूरी भारत : चीन के रिश्ते अमेरिका के साथ ठीक नहीं हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई बार यह बात सार्वजनिक रूप से कह भी चुके हैं। चीन की घेराबंदी की कोशिशों में अमेरिका को सबसे बड़ा सहयोगी भारत नजर आ रहा है। अमेरिका और चीन के मध्य दूरी के कारण उसे ऐसे सहयोगी की जरूरत है, जो चीन की सीमाओं के निकट हों। ऐसे में भारत से मजबूत और बड़ा कोई देश नहीं है। यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में अमेरिका ने भारत के साथ रिश्तों को नई ऊंचाइयां दी हैं। अमेरिका ने स्टेट ऑफ द ऑर्ट हथियारों को भारत को मुहैया कराया है। साथ ही खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान भी बढ़ा है।
दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है : हमारे यहां कहा जाता है कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। भारत और अमेरिका के रिश्ते कई और कारणों के साथ इसलिए भी बेहतर हुए हैं कि चीन की बढ़ती आक्रामकता भारत के साथ ही अमेरिका के लिए भी चिंता का विषय है। वहीं ऑस्ट्रेलिया को भी कई बार चीन आंखें दिखा चुका है। सीमा पर भारत और चीन के बीच बढ़ता तनाव भी अमेरिका और भारत को साथ आने के लिए कह रहा है।
इस तरह समझिए जी-7 को द ग्रुप ऑफ सेवन (जी-7) एक आर्थिक संगठन है, जिसमें दुनिया की सात बड़ी अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, इटली, जर्मनी, फ्रांस और कनाडा शामिल हैं। इसका पहला सम्मेलन 1975 में फ्रांस में हुआ था। सबसे पहले इसमें छह देश थे, जिन्होंने वैश्विक आर्थिक संकट के संभावित समाधानों के लिए विचारों के आदान-प्रदान के लिए चर्चा की। अगले साल कनाडा इसमें शामिल हुआ।
इस तरह से करता है काम : प्रत्येक सदस्य देश को बारी-बारी से एक साल के लिए अध्यक्षता सौंपी जाती है। जिन्हें दो दिवसीय सम्मेलन की मेजबानी करता है। ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, वैश्विक सुरक्षा जैसे मुद्दों को पिछले कुछ समय के दौरान हुए शिखर सम्मेलनों में उठाया गया था।
रूस था शामिल : रूस उस समय इस समूह में शामिल हुआ था, जिसे 1998 में जी-8 के रूप में जाना जाता था, लेकिन 2014 में क्रीमिया पर कब्जे को लेकर रूस को हटा दिया गया था।