DATA STORY: 2020 में इस तरह कम हुआ कार्बन उत्सर्जन, पर्यावरण को हुआ फायदा
कार्बन मीटर की रिपोर्ट के अनुसार भारत में कार्बन उत्सर्जन में बीते साल के बनिस्पत 9.9 फीसदी की कमी आई है। पावर सेक्टर में तीन फीसदी के कार्बन उत्सर्जन ग्राउंड ट्रांसपोर्ट में 1.7 फीसदी इंडस्ट्री में 5.2 फीसदी और घरेलू एविएशन में 0.2 फीसदी कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है।
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/पीयूष अग्रवाल। कोरोना महामारी ने बहुत सारी चुनौतियां पैदा करने के साथ ही बेहतर पर्यावरण की तरफ भी दुनिया का ध्यान खींचा है। इस दौरान लॉकडाउन और अन्य प्रतिबंधों की वजह से लोगों को घरों में रहने को बाध्य होना पड़ा, जिससे कार्बन उत्सर्जन में बड़ी कटौती देखने में आई। अगर वैश्विक स्तर पर देखें तो इस दौरान कार्बन उत्सर्जन में 5.5 फीसदी की कमी आई है।
कार्बन मीटर की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कार्बन उत्सर्जन में बीते साल के बनिस्पत 9.9 फीसदी की कमी आई है। पावर सेक्टर में कुल तीन फीसदी के कार्बन उत्सर्जन, ग्राउंड ट्रांसपोर्ट में 1.7 फीसदी, इंडस्ट्री में 5.2 फीसदी और घरेलू एविएशन में 0.2 फीसदी कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। अमेरिका और ब्रिटेन के कार्बन उत्सर्जन में क्रमश: 12.8 प्रतिशत और 10.2 प्रतिशत की कमी आई है। चीन और जापान के कार्बन उत्सर्जन में 0.9 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत की गिरावट हुई है।
लॉकडाउन के बाद आई ऐसी गिरावट
लॉकडाउन के बाद भारत में 31 मार्च को कार्बन उत्सर्जन का स्तर 4.56 मीट्रिक टन था, जबकि इसी तारीख को 2019 में कार्बन उत्सर्जन का स्तर 7.15 मीट्रिक टन था। 30 अप्रैल को कार्बन उत्सर्जन का स्तर 4.18 मीट्रिक टन था, तो 2019 में 30 अप्रैल को 7.09 मीट्रिक टन था। 31 मई, 2020 को कार्बन उत्सर्जन 0.50 मीट्रिक टन था, वहीं, 2019 में 0.74 मीट्रिक टन था। इसमें लगातार गिरावट जारी रही। 30 सितंबर, 2010 को कार्बन उत्सर्जन का स्तर 0.92 मीट्रिक टन था, जो 2019 में इसी तारीख को 0.98 मीट्रिक टन था। 31 अक्तूबर, 2020 को कार्बन उत्सर्जन का स्तर 0.69 मीट्रिक टन था, इसके बनिस्पत 31 अक्तूबर, 2019 को यह 1.14 मीट्रिक टन था।
प्रधानमंत्री ने गुजरात के गांधीनगर में एक यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में कहा था कि आज हमारा देश कार्बन उत्सर्जन में एक-तिहाई से ज्यादा कमी लाने के लक्ष्य को पाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। जब हमने यह बात विश्व के सामने रखी थी, तो सब आश्चर्यचकित रह गए थे कि क्या भारत इस लक्ष्य को हासिल भी कर सकता है। असेसमेंट ऑफ़ क्लाइमेट चेंज ओवर इंडियन रीजन रिपोर्ट कहती है कि अगर तुरंत कार्बन उत्सर्जन काबू करने के उपाय नहीं किये गए तो हीट वेव्स (लू के थपेड़ों) में 3 से 4 गुना की बढ़त होगी और ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से ही समुद्र जल स्तर में करीब 30 सेंटीमीटर यानी 1 फुट बढ़ जाएगी। कोलकाता, चेन्नई और मुंबई जैसे महानगरों समेत तटीय इलाकों के लिये यह एक गंभीर चुनौती होगी।