COVID-19: बस एक बार बन जाएं ये वैक्सीन, कोरोना के लिये साबित होगी रामबाण
COVID-19 क्लिनिकल ट्रायल पशुओं और इंसानों पर छोटे सुरक्षा शोधों से शुरू होते हैं। इसके बाद बड़े परीक्षण के जरिए जाना जाएगा कि क्या टीका इम्यून प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। COVID-19: अबूझ पहेली बने रहे कोरोना वायरस की काट के लिए वैज्ञानिक कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। ऐसे-ऐसे टीके विकास की राह में हैं जो अलग-अलग तरीके के पैथोजेन से निपटने में कारगर साबित होंगे। यानी एक बार ये टीके बन जाएंगे तो कोरोना के लिए रामबाण साबित होंगे।
वायरस और मच्छरजनित रोगों के लिए वैक्सीन : करीब 25 दल ऐसे टीके पर काम कर रहे हैं। इस तरह के वायरस आनुवांशिक रूप से शरीर में कोरोना वायरस प्रोटीन का उत्पादन कर सकते हैं। ये वायरस कमजोर हो जाते हैं और बीमारी का कारण नहीं बन पाते हैं। ये दो प्रकार के हैं, एक वो जो कोशिकाओं में प्रतिकृति बना सकते हैं। वहीं दूसरे यह नहीं कर सकते हैं।
प्रतिकृति वाले वायरल वेक्टर नया इबोला वैक्सीन इसका उदाहरण है। यह कोशिकाओं के साथ प्रतिकृति बनाता है। यह सुरक्षित है और मजबूत इम्यून प्रतिक्रिया देता है। गैर प्रतिकृति वायरल वेक्टर लाइसेंस वैक्सीन इस तरीके का इस्तेमाल नहीं करती हैं, लेकिन इसकी जीन थैरेपी का लंबा इतिहास है। अमेरिका स्थित जॉनसन एंड जॉनसन इस पर काम कर रही है।
न्यूक्लियक एसिड वैक्सीन : कम से कम 20 टीमें जेनेटिक निर्देशों (डीएनए या आरएनए के रूप में) के जरिए आगे बढ़ रही हैं। न्यूक्लिक एसिड को मानव कोशिकाओं में डाला जाता है जो शरीर में वायरस प्रोटीन की प्रतिकृतियों को मथ देते हैं।
प्रोटीन आधारित टीके : कई शोधकर्ता कोरोना वायरस प्रोटीन को सीधे शरीर में इंजेक्ट करना चाहते हैं। 28 टीमें इस पर कार्य कर रही हैं। ज्यादातर वायरस के स्पाइक प्रोटीन या एक हिस्से पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
वायरस जैसे कण : पांच टीमें इस पर कार्य कर रही हैं। खाली वायरस खोल कोरोना वायरस की तरह दिखती है, लेकिन यह संक्रामक नहीं है क्योंकि इसमें जेनेटिक तत्व नहीं होता है। यह मजबूत इम्यून प्रतिक्रिया को आगे बढ़ाता है, लेकिन इसे बनाना बेहद मुश्किल हो सकता है।
औद्योगिक परीक्षण : इन अनुसंधानों का नेतृत्व करने वाले 70 फीसद से अधिक समूह औद्योगिक या फिर निजी फर्मों से हैं। क्लिनिकल ट्रायल पशुओं और इंसानों पर छोटे सुरक्षा शोधों से शुरू होते हैं। इसके बाद बड़े परीक्षण के जरिए जाना जाएगा कि क्या टीका इम्यून प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है। शोधकर्ता इन चरणों को तेज कर रहे हैं और अगले 18 महीने में टीका तैयार होने की उम्मीद है।