अब हर दस लाख लोगों पर होंगे 30 जज
अदालतों में लंबित मामलों के जल्द निपटारे के लिए केंद्र सरकार प्रति दस लाख लोगों पर जजों के अनुपात को दोगुना करने की योजना पर काम कर रही है। प्रवासी भारतीय दिवस, 2014 में बुधवार को कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने बताया, 'मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन के जरिये सरकार ने अगले पांच साल में प्रति दस लाख लोगों पर जजों की संख्या
नई दिल्ली। अदालतों में लंबित मामलों के जल्द निपटारे के लिए केंद्र सरकार प्रति दस लाख लोगों पर जजों के अनुपात को दोगुना करने की योजना पर काम कर रही है। प्रवासी भारतीय दिवस, 2014 में बुधवार को कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने बताया, 'मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन के जरिये सरकार ने अगले पांच साल में प्रति दस लाख लोगों पर जजों की संख्या मौजूदा 14 से बढ़ाकर 30 करने की योजना बनाई है। इसके लिए हम वित्त आयोग से कुछ अतिरिक्त राशि की मांग कर रहे हैं।' दरअसल, कार्यक्रम के दौरान एक एनआरआइ ने भारतीय अदालतों में मामलों के धीमे निपटारे पर चिंता जताई थी।
सिब्बल ने बताया कि विकसित देशों में प्रति दस लाख लोगों पर न्यूनतम 50 न्यायाधीश होते हैं। कुछ मामलों में यह अनुपात दस लाख लोगों पर 100 जजों का है। भारत में मामलों की संख्या को देखते हुए 14-15 जज दस लाख लोगों को सेवाएं नहीं दे सकते। न्याय का प्रशासन राज्यों की जिम्मेदारी है। यह केंद्र का मसला नहीं है। बड़ी संख्या में जजों की नियुक्ति राज्य सरकारों की प्राथमिकताओं में ऊपर नहीं है। इस दौरान सिब्बल ने ब्रिटेन के एनआरआइ करण बिल्मोरिया के विदेशी वकीलों के भारत में वकालत करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। 1बिल्मोरिया हाउस ऑफ लॉर्डस के सदस्य भी हैं। बिल्मोरिया ने कहा, 'मैं वर्षो से भारत से पूछ रहा हूं कि विदेशी वकील भारत में वकालत क्यों नहीं कर सकते। कानून मंत्री ने कहा कि जजों की कमी है। यहां लाखों वकील हैं, लेकिन एक विदेशी वकील भारत में वकालत नहीं कर सकता। इससे विदेशी निवेश को बढ़ाने में मदद मिलेगी।' इस पर सिब्बल ने कहा कि अगर ब्रिटेन भारतीय वकीलों की अपनी अदालतों में वकालत की अनुमति दे तो भारत सरकार उनके प्रस्ताव पर विचार कर सकती है।
एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए सिब्बल ने कहा कि 2025 तक भारत में दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा काम करने की आयु वर्ग के 90 करोड़ लोग होंगे। उन्हें सही अवसर मुहैया कराना सरकार की जिम्मेदारी होगी। आइटी क्रांति से इस क्षेत्र में भारत का राजस्व 2006 के 40 अरब डॉलर से बढ़कर अब 100 अरब डॉलर पहुंच गया है। देश के ज्यादातर लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। ऐसे में सभी लोगों को सिर्फ आइटी क्षेत्र से रोजगार मुहैया कराना संभव नहीं होगा। हमें निर्माण क्षेत्र पर भी ध्यान देना होगा।
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