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मौसम की करवट में बीमार न हो जाएं बच्चे, ऐसे बरतें सतर्कता; पढ़े एक्सपर्ट की राय

डॉ. यशवंत कुमार राव ने बताया कि उमस भरी गर्मी के साथ बारिश ने दस्तक दे दी है। ऐसे में सतर्कता बरतेंगे तो बच्चों को कोविड-19 के अलावा सुरक्षित रख सकेंगे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 02:43 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 02:44 PM (IST)
मौसम की करवट में बीमार न हो जाएं बच्चे, ऐसे बरतें सतर्कता; पढ़े एक्सपर्ट की राय
मौसम की करवट में बीमार न हो जाएं बच्चे, ऐसे बरतें सतर्कता; पढ़े एक्सपर्ट की राय

नई दिल्‍ली, जेएनएन। भले दिनचर्या अब अनलॉक-1 के बाद अगले पायदान अनलॉक-2 पर आ गई है, लेकिन इसका यह कतई अर्थ नहीं कि कोरोना संक्रमण का दौर धीमा हो रहा है। इस सबके साथ अब मौसम में परिवर्तन हो रहा है। तेज गर्मी और उमस के साथ अब मानसून भी सामने है। ऐसे में शिशुओं, बच्चों व किशोरों में कोरोना संक्रमण के साथ ही निमोनिया और एलर्जी का खतरा भी मंडरा रहा है। डायरिया और कॉलरा की बीमारी भी इसी मौसम में बच्चों को संक्रमित करती है। जानें क्या कहते है कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. यशवंत कुमार राव।

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हालांकि फिलहाल हर उम्र के लोगों में इस तरह के संक्रमण का खतरा अभी कम होने की संभावना है, क्योंकि बीते दिनों हमने स्वच्छता, पौष्टिक आहार और संक्रमण से बचाव के लिए बहुत कुछ सीखा और अपनाया। फिर भी सुरक्षा ही हर तरह के संक्रमण का एकमात्र बचाव है। बदलते मौसम के साथ शिशुओं व बच्चों में निमोनिया का खतरा अधिक रहता है। कुछ बच्चों में आनुवांशिक कारणों या वायरसजनित संक्रमण व एलर्जी की समस्या हो जाती है। अगर आप कोरोना संक्रमण से बचने के सारे उपाय आजमा रहे हैं तो खुद के साथ ही बच्चों को भी इस मौसम की बीमारियों से सुरक्षित रखने में काफी सफल रहेंगे।

निमोनिया के लक्षण व परेशानी: निमोनिया से संक्रमित बच्चों को जुकाम, बुखार, खांसी और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने के कारण सांस (पसली चलना) लेने में तकलीफ होती है। कई बार समय से उपचार न मिलने पर बच्चा बेहोश भी हो सकता है। कमजोर इम्युनिटी वाले बच्चों में तेज सांस व खांसी के कारण फेफड़े फटने व पस पड़ने की समस्या हो जाती है। खांसी, जुकाम व बुखार के कारण बच्चे कुछ भी खाना बंद कर देते हैं, इसलिए कोशिश करें कि उन्हें जो पसंद हो वे चीजें खाने को दें। निमोनिया से संक्रमित बच्चे को यदि समय रहते उपचार मिल गया तो अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है लेकिन संक्रमण बढ़ जाने पर ऐसा जरूरी हो जाता है।

बचाव के लिए रहें संवेदनशील: फिलहाल बच्चों के स्कूल बंद चल रहे हैं और संक्रमण के खतरे को देखते हुए लोग सिर्फ जरूरी कामों के लिए घर से बाहर निकल रहे हैं। यदि आप कोविड-19 से बचने के उपायों को आजमाते रहेंगे तो इस तरह के किसी भी संक्रमण से बच्चों के साथ स्वयं को भी सुरक्षित रहेंगे। हालांकि यदि बच्चे को निमोनिया या एलर्जी की समस्या है तो तत्काल चिकित्सक की सलाह लें।


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