गुजरात के बाद यहां भी जिग्नेश, कन्हैया व हार्दिक के भरोसे चुनावी समर में उतरना चाहती है कांग्रेस
कांग्रेस छत्तीसगढ़ में जिग्नेश मेवाणी, कन्हैया कुमार और हार्दिक पटेल को स्टार प्रचारक के तौर पर लाने का विचार कर रह है।
रायपुर, नईदुनिया। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस ने अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। पार्टी आदिवासी, अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के वोटरों को विशेष रूप से फोकस कर रही है। इसी रणनीति के तहत तीनों वर्ग के वोटरों को साधने के लिए जिग्नेश मेवाणी, कन्हैया कुमार और हार्दिक पटेल को यहां स्टार प्रचारक के तौर पर लाने का विचार चल रहा है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने प्रदेश स्तरीय चुनाव प्रचार समिति और योजना एवं रणनीति समिति का गठन कर दिया है तो तीनों नेताओं को बुलाने का प्रस्ताव पहले समितियों के बीच रखा जाएगा। इसके बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को प्रस्ताव भेजा जाएगा।
जिग्नेश ने भी चुनाव जीतने के बाद ऐलान किया था, वह भाजपा के खिलाफ प्रचार करने के लिए देश का दौरा करेंगे। कन्हैया कुमार और हार्दिक पटेल के स्वर भाजपा व संघ विरोधी हैं। ये दोनों नेता भी युवाओं और दलितों के बीच खासे लोकप्रिय हो गए हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इन नेताओं को चुनाव के समय प्रचार के लिए यहां बुलाने पर पार्टी को फायदा होगा, क्योंकि प्रदेश में 16 फीसद दलित वोटर हैं। वैसे भी प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता साहू, सतनामी और कुर्मी वोटरों के माध्यम से बढ़त बनाने की कोशिश में लगे हैं। इससे दो-तिहाई सीटें प्रभावित हो जाएंगी। साहू और सतनामी समाज के लोग तो पहले संगठित हैं, लेकिन कुर्मी समाज के लोग अब संगठित हो रहे हैं।
प्रतिपक्ष नेता टीएस सिंहदेव का कहना है कि चुनाव के समय स्टार प्रचारकों को बुलाने की कोशिश होती है, लेकिन इसका फैसला अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी लेती है। चुनाव प्रचार समिति में हार्दिक, जिग्नेश व कन्हैया को बुलाने पर चर्चा की होगी। उसके बाद प्रस्ताव भेजा जा सकता है।
बता दें कि गुजरात चुनाव में भी जिग्नेश, कन्हैया और हार्दिक पटेल की तिकड़ी ने कांग्रेस को चुनाव जीताने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। भले ही कांग्रेस चुनाव में जीत नहीं पाई थी लेकिन उसने भाजपा के पसीने छुड़ा दिए थे। गुजरात चुनाव प्रचार में तीनों ने मोदी और बीजेपी पर जमकर वार किया था। गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान इन नेताओं की रैलियों भी काफी भीड़ भी जुटी थी, लेकिन ये भीड़ वोट में तब्दील नहीं हो सकी और बीजेपी गुजरात में जीत के आंकड़े से पार हो गई।