Move to Jagran APP

'ट्रंप के लिए बंद हुए भविष्‍य की राजनीति के दरवाजे, इज्‍जत बचाए रखनी है तो खुद दे दें इस्‍तीफा'

केपिटल बिल्डिंग की घटना के बाद ट्रंप के लिए 2024 में वापस लौटना अब लगभग खत्‍म हो चुका है। इस घटना के बाद उनका साथ उनके ही कई करीबी छोड़ चुके हैं। ऐसे में अच्‍छा होगा कि वो पद से इस्‍तीफा दे दें।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 08 Jan 2021 01:32 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jan 2021 01:32 PM (IST)
'ट्रंप के लिए बंद हुए भविष्‍य की राजनीति के दरवाजे, इज्‍जत बचाए रखनी है तो खुद दे दें इस्‍तीफा'
अमेरिकी राजनीति में दोबारा वापस नहीं आ सकेंगे ट्रंप

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। अमेरिका की केपिटल बिल्डिंग में बुधवार को जो कुछ हुआ उससे देश की छवि को काफी नुकसान हुआ है साथ ही इस पूरे घटनाक्रम ने मौजूदा राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के भविष्‍य में वापस लौटने की सभी उम्‍मीदों पर भी पानी फेर दिया है। इस पूरे घटनाक्रम पर बात करते हुए अमेरिका में भारत की पूर्व राजदूत मीरा शंकर ने कहा कि इस घटना में राष्‍ट्रपति ट्रंप और रिपब्लिकन पार्टी को जबरदस्‍त नुकसान पहुंचा है। रिपब्लिकन पार्टी ट्रंप को ऐसा करने से रोक सकती थी, लेकिन उसमें वो नाकाम रही। अमेरिकी इतिहास की ये पहली घटना है जिसमें मौजूदा राष्‍ट्रपति ने चुनाव परिणामों को मानने से साफ इनकार कर दिया और अंत तक इसके खिलाफ उठ खड़े होने के लिए लोगों को उकसाते दिखाई दिए। मीरा खुद भी इसको लोकतंत्र पर हमला मानती हैं। उनका कहना है कि ये बेहद गंभीर विषय है।

loksabha election banner

ट्रंप के लिए भविष्‍य की राजनीति के दरवाजे हुए बंद

पूर्व राजदूत का ये भी कहना है कि जिस तरह की घटना अमेरिका में घटी है उसके बाद ट्रंप के भविष्‍य की राजनीति में बने रहने के दरवाजे भी बंद हो गए हैं। ऐसा होने की दूसरी बड़ी वजह उनकी बढ़ती उम्र भी है। वहीं उनका कहना है कि इस घटना के बाद में ट्रंप का साथ उनके ही कई करीबी नेता छोड़ चुके हैं। सदन में जिन नेताओं ने चुनाव परिणामों के खिलाफ बोलने के लिए नोटिस दिया था उन्‍होंने भी खुद को पीछे कर लिया। ऐसे में ट्रंप यदि खुद माफी मांगते हुए अपने पद से इस्‍तीफा दे देते हैं तो वो कुछ हद तक अपना आत्‍म सम्‍मान बचा सकेंगे, नहीं तो उन्‍हें काफी मुश्किलें हो सकती हैं। आपको बता दें कि अमेरिकी इतिहास में राष्‍ट्रपति निक्‍सन को भी इसी तरह से माफी दी गई थी। उनके मुताबिक इस घटना से रिपब्लिकन पार्टी के कई नेता भी आहत हुए हैं। यहीं वजह है कि उनके ही दबाव में ट्रंप को बयान देना पड़ा जो सत्‍ता हस्‍तांतरण से जुड़ा है। इस बयान को ट्रंप ने तभी दिया है जब उन्‍हें इस बात की धमकी दी गई होगी कि उनके ऊपर महाभियोग के अलावा 25वें संशोधन का इस्‍तेमाल किया जा सकता है।

25वें संशोधन के हक में कई नेता

गौरतलब है कि हाउस की स्‍पीकर नेंसी पेलोसी ने माइक पेंस से 25वें संशोधन को अमल में लाने की मांग की है। उनके अलावा भी कई सदस्‍य की मांग कर रहे है कि संविधान के 25वें संशोंधन के तहत ट्रंप को अयोगय करार देते हुए उपराष्‍ट्रपति माइक पेंस ट्रंप को हटाकर खुद कार्यकारी राष्‍ट्रपति बनें। हालांकि इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी के साथ दो तिहाई बहुमत की जरूरत होगी। उनके मुताबिक इस संशोधन में तीन मुख्‍य बिंदु हैं जिनके तहत उपराष्‍ट्रपति सत्‍ता अपने हाथों में ले सकते हैं। पूर्व राष्‍ट्रपति जॉर्ज डब्‍ल्‍यू बुश के अस्‍पताल में रहने के दौरान उन्‍होंने कुछ समय के लिए उपराष्‍ट्रपति को अपनी समस्‍त शक्ति का निर्वाहन करने का अधिकार इसी संशोधन के तहत ही दिया था।

क्‍यों नहीं दिए गए नेशनल गार्ड?

मीरा के मुताबिक वाशिंगटन डीसी में जो कुछ देखने को मिला है उसके बाद भी ट्रंप पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, वहां की स्थिति केंद्र शासित राज्‍य की तरह है। वहां के मेयर ने केंद्र से सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी और नेशनल गार्ड की मांग की थी। लेकिन उन्‍हें नेशनल गार्ड देने से इनकार कर दिया गया और भीड़ बड़ी संख्‍या में केपिटल बिल्डिंग में घुस गई। ऐसे में यदि जांच होगी और उसमें ये पाया गया कि इसमें ट्रंप एक बड़ी वजह थे तो उनकी मुश्किलें कहीं अधिक बढ़ जाएंगी। यूं भी उनके खिलाफ कई राज्‍यों में कई मामले कोर्ट के विचाराधीन हैं। राष्‍ट्रपति पद पर रहते हुए उन्‍हें किसी तरह की सजा नहीं हो सकती है लेकिन पद से हटने के बाद ये संभव है।

क्‍या सुनियोजित थी हिंसा?

ये पूछे जाने पर कि बुधवार की घटना क्‍या पूरी तरह से सुनियोजित थी, उन्‍होंने कहा कि इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। हालांकि उन्‍होंने इतना जरूर कहा कि ट्रंप बार-बार अपनी रैलियों में चुनाव परिणामों के खिलाफ अपने समर्थकों को केपिटल बिल्डिंग में मार्च करने के लिए उकसाते रहे हैं। 6 जनवरी को भी उन्‍होंने ऐसा ही किया था। मीरा का ये भी कहना है कि इस घटना के बाद नए राष्‍ट्रपति जो बाइडन इस पर क्‍या रुख अपनाते हैं इस बारे में भी अभी कुछ कहना जल्‍दबाजी होगी। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि बाइडन पहले ही ये साफ कर चुके हैं कि वो ट्रंप के पीछे नहीं पड़े रहना चाहते हैं, बल्कि जो उनका एजेंडा है उसको पूरा करना चाहेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.