Move to Jagran APP

नदियां तो बहुत हैं, लेकिन राज्यों में ना तो पर्याप्त पेयजल आपूर्ति हो पाती है और न ही शुद्ध जलापूर्ति

उत्तर प्रदेश बिहार पश्चिम बंगाल और पंजाब की हालत तंग। हर ग्रामीण परिवार में प्रति व्यक्ति रोजाना 55 लीटर जलापूर्ति का लक्ष्य।

By Nitin AroraEdited By: Published: Tue, 17 Dec 2019 08:51 AM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 08:51 AM (IST)
नदियां तो बहुत हैं, लेकिन राज्यों में ना तो पर्याप्त पेयजल आपूर्ति हो पाती है और न ही शुद्ध जलापूर्ति
नदियां तो बहुत हैं, लेकिन राज्यों में ना तो पर्याप्त पेयजल आपूर्ति हो पाती है और न ही शुद्ध जलापूर्ति

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नदियों की बहुतायत वाले राज्यों में ही शुद्ध पेयजल का गंभीर संकट है। यहां ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की सप्लाई जरूरत से भी कम हो पाती है। ज्यादातर क्षेत्रों में प्रदूषित जलापूर्ति होने से उनकी मुश्किलें बढ़ रही हैं। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए वर्ष 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को घरेलू नल से रोजाना 55 लीटर पेयजल आपूर्ति का लक्ष्य निर्धारित किया है।

loksabha election banner

जल शक्ति मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और पंजाब जैसे राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में न तो पर्याप्त पेयजल आपूर्ति हो पाती है और न ही शुद्ध जलापूर्ति हो रही है। जबकि इन राज्यों में नदियों का जाल है। पेयजल प्रबंधन में इन राज्यों की स्थिति संतोषजनक नहीं है। संसद में पूछे लिखित सवालों के जवाब में मंत्रालय ने विस्तार से ब्यौरा दिया है।

इसके मुताबिक उत्तर प्रदेश के छोटे बड़े कुल 2.60 लाख गांवों में से ज्यादातर में प्रति व्यक्ति रोजाना 40 लीटर पानी की आपूर्ति हो रही है। दो हजार गांवों में तो इतना भी पानी नहीं पहुंच पा रहा है। जबकि एक हजार से अधिक गांवों के लोग अति प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं। फिलहाल ज्यादातर गांवों में नल से पानी की आपूर्ति का बंदोबस्त नहीं है।

मानसून सीजन में नदियों के पानी लबालब रहने वाले बिहार में पेयजल की हालत भी ठीक नहीं है। कुल 1.10 लाख छोटे गांवों में से 70 हजार गांवों में प्रति व्यक्ति को रोजाना 40 लीटर पानी पहुंचाने का दावा किया गया है जबकि 35 हजार से अधिक गांवों को पानी की यह मात्रा भी नसीब नहीं हो पा रही है। लगभग चार हजार गांवों के लोग प्रदूषित व घातक रसायन मिश्रित पानी पीने को मजबूर हैं।

पश्चिम बंगाल की हालत इन राज्यों से भी खराब है। यहां के 1.07 लाख गांव हैं, जिनमें से 61 हजार गांवों को रोजाना प्रति व्यक्ति 40 लीटर जलापूर्ति का दावा है। जबकि 32 गांवों को यह भी मयस्सर नहीं है। 13 हजार से अधिक गांव खतरनाक रसायनयुक्त पानी पीने को मजबूर हैं। उनके पास और कोई विकल्प नहीं है।

उत्तरी राज्यों में पंजाब एक ऐसा राज्य हैं, जहां नदियों की संख्या अधिक है। लेकिन यहां भी पेयजल की सप्लाई कमोबेश वैसी ही है। यहां के 15 हजार गांवों में से 10 हजार में 40 लीटर रोज पानी मिलता है। साढ़े तीन हजार गांवों की हालत बहुत दयनीय है, जहां के लोगों को जहरीले तत्वों से युक्त पानी पीना पड़ता है। इन राज्यों से होकर छोटी बड़ी नदियां निकलती हैं। लेकिन जल प्रबंधन न होने की वजह से हालत तंग हो चुकी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.