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नई उम्मीदें लेकर आई ऑगमेंटेड एवं वर्चुअल रिएलिटी (एआर-वीआर) की दुनिया

कोविड 19 के कारण दुनियाभर में बिजनेस को काफी नुकसान पहुंचा है। एक नकारात्मक माहौल पैदा हुआ है। लेकिन ऑगमेंटेड एवं वर्चुअल रिएलिटी (एआर-वीआर) की दुनिया नई उम्मीदें लेकर आई है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 03:45 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 03:45 PM (IST)
नई उम्मीदें लेकर आई ऑगमेंटेड एवं वर्चुअल रिएलिटी (एआर-वीआर) की दुनिया
नई उम्मीदें लेकर आई ऑगमेंटेड एवं वर्चुअल रिएलिटी (एआर-वीआर) की दुनिया

नई दिल्ली [अंशु सिंह]। ट्रैवल टाइम की बचत कैसे हो? ट्रैफिक में फंसना न पड़े? दुकान या स्टोर जाने के बजाय घर पर ही सामान को देखना संभव हो जाए? मानसिक स्वास्थ्य को कैसे परखा जाए, कैसे सर्जन्स एवं मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े कामगारों को ट्रेन किया जाए? ऐसे ढेरों सवालों का जवाब है ऑगमेंटेड रिएलिटी एवं वर्चुअल रिएलिटी यानी एआर-वीआर।

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देश की शीर्ष ऑगमेंटेड ऐंड वर्चुअल रिएलिटी एप्लीकेशंस डेवलपमेंट कंपनी ‘क्विपलिन’ (Queppelin) के सह-संस्थापक डॉ.प्रफुल्ल माथुर ने एआर-वीआर आधारित एक ऐसा प्लेटफॉर्म क्रिएट किया है, जिसकी मदद से लोग घर बैठे, रियल टाइम में फर्नीचर्स आदि ऑनलाइन देख सकेंगे। उसे एक्सपीरिएंस कर सकेंगे। 

कोविड 19 के कारण दुनियाभर में बिजनेस को काफी नुकसान पहुंचा है। एक नकारात्मक माहौल पैदा हुआ है। लेकिन ऑगमेंटेड एवं वर्चुअल रिएलिटी (एआर-वीआर) की दुनिया नई उम्मीदें लेकर आई है। जैसे बीते तीन महीने में ऑगमेंटेड रिएलिटी कंपनी ‘क्विपलिन’ के सभी एआर-वीआर प्लेटफॉर्म्स ने 300 प्रतिशत के करीब डिमांड ग्रोथ दर्ज की है। आखिर क्या है एआर-वीआर? इस बारे में कंपनी के प्रफुल्ल माथुर बताते हैं, ‘मान लीजिए किसी को फर्नीचर खरीदना है, तो उसके लिए सीधे दुकान या स्टोर पर जाने की जरूरत नहीं है।

हमारे प्लेटफॉर्म की मदद से कस्टमर घर बैठे उपयुक्त फर्नीचर का चुनाव कर सकते हैं। इसके लिए हमने ई-कॉमर्स एप्लीकेशंस को प्लेटफॉर्म से इंटीग्रेट किया है, जिससे यूजर अपने स्मार्टफोन कैमरे से ही कैटलॉग के फर्नीचर आइटम्स को विजुअलाइज कर सकते हैं। कोई भी कलर, टेक्सचर या सही साइज सेलेक्ट कर सकते हैं। इस टेक्नोलॉजी से फर्नीचर ई-कॉमर्स कंपनियों को भी फायदा हुआ है। रिफंड की दर कम हुई है।‘ एआर फर्नीचर ट्राई ऑन के अलावा इनकी कंपनी एआर शूज ट्राई ऑन और वीआर मीटिंग्स एवं इवेंट्स की सुविधा भी ऑफर कर रही है। 

एआर-वीआर का होगा आने वाला दौर 

जानकारों की मानें, तो जिस प्रकार स्मार्टफोन एवं इंटरनेट ने दुनिया को पूरी तरह बदल कर रख दिया, आने वाले समय में उस जैसा ही प्रभावकारी असर होगा ऑगमेंटेड एवं वर्चुअल रिएलिटी का। प्रफुल्ल बताते हैं, ‘एआई एवं ब्लॉकचेन बैकएंड टेक्नोलॉजीज हैं, जिन्हें फ्रंट एंड डिस्प्ले की जरूरत है। एआर-वीआर उसी कमी को पूरा कर सकते हैं। इनका ट्रेनिंग, मार्केटिंग, हेल्थकेयर, मैन्युफैक्चरिंग, एंटरटेनमेंट में इस्तेमाल हो सकता है।‘

वैसे भी, वैश्विक महामारी के कारण जो हालात पैदा हुए हैं, उससे लोगों के आपस में संवाद करने का पूरा तरीका ही बदल जाएगा। ऑफिसेज में वर्क फ्रॉम होम, वीआर मीटिंग की शुरुआत तो हो ही चुकी है। शॉपिंग, ट्रैवल, एडवेंचर एवं एंटरटेनमेंट के लिए भी लोग ऑनलाइन माध्यमों पर निर्भर रहेंगे। इन सबसे ये भी साफ होता है कि आने वाले समय में एआर-वीआर कितना प्रभावी होगा, क्योंकि इसमें काम का जोखिम नहीं होगा।

टेक्नोलॉजी का बढ़ेगा दखल 

कोरोना काल में जिस प्रकार से टेक्नोलॉजी का प्रभावशाली इस्तेमाल हुआ है, उसे देखते हुए प्राय: अब हर कंपनी या बिजनेस तकनीक को एडॉप्ट करेगी। इस समय कई बड़ी कंपनियों में भी ऑटोमेशन या डिजिटल प्रोसेस सिस्टम नहीं है, जो आने वाले दिनों में बदल सकता है। प्रफुल्ल बताते हैं, ‘हाल ही में मेरी बात डेनवर (कोलोराडो) के अपने एक दोस्त से हुई, तो उसने बताया कि कैसे अमेरिका की एक टेक कंपनी को कैसे मुश्किल आई। 

उसे वर्क फ्रॉम होम कर रहे एम्प्लॉयीज को डेस्कटॉप के बदले लैपटॉप उपलब्ध नहीं करा सकी। ऐसे में भारत जैसे दूसरे विकासशील देशों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि एआर-वीआर की मांग में तेजी आई है, जिसे देखते हुए हमने टीम को एडवांस्ड कॉन्सेप्ट्स में प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही हम एआर डेवलपर्स एवं 3डी डिजाइनर्स भी हायर कर रहे हैं।‘

छोटे भाई के साथ शुरू की थी कंपनी 

जयपुर के जेवियर स्कूल के एलुमिनस प्रफुल्ल माथुर ने जोधपुर के एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज से केमिकल इंजीनियरिंग करने के बाद भारत और ब्रिटेन में कई वर्ष नौकरी की। हैलिफैक्स बैंक ऑफ स्कॉटलैंड, लेहमन ब्रदर्स, मास्टेक आदि में काम करने के बाद 2010 इन्होंने अपने छोटे भाई पुलकित के साथ मिलकर ‘क्विपलिन’ कंपनी लॉन्च की, जो मोबाइल एप डेवलपमेंट के क्षेत्र में सक्रिय रही।

फेसबुक, रिलायंस, सैमसंग, गाना डॉट कॉम, निसान, नोकिया जैसी कंपनियां इनकी क्लाइंट्स रही हैं। 2011 में इन्हें ‘रेड हेरिंग’ अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। प्रफुल्ल बताते हैं, ‘छोटे भाई के साथ कंपनी शुरू करना जीवन का सबसे सर्वश्रेष्ठ फैसला था। हम दोनों को टेक्नोलॉजी से लगाव है।

हालांकि दोनों के अपने-अपने स्किल सेट्स हैं। भाई से ज्यादा हम दोस्त हैं। पुलकित कंपनी का ऑपरेशन एवं परफॉर्मेंस मेट्रिक्स देखते हैं, जबकि मैं टेक प्लेटफॉर्म्स के साथ स्ट्रेटेजी बनाने पर फोकस करता हूं। लेकिन किसी भी समस्या का क्रिएटिव समाधान हम साथ मिलकर ही निकालते हैं। 


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