जुगत ऐसी कि सालभर लबालब रहते हैं नगर के 25 तालाब, लोगों ने मिलकर लिखी जल संरक्षण की सफल गाथा
खेतों में भर जाने वाला बरसात का पानी अब नालियों से होकर नहर में और फिर नहर से एक-एक कर सभी तालाबों में पहुंच जाता है।
कुणाल दत्त मिश्र, रायपुर। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले का धमधा नगर, जहां लोगों ने बारिश की एक-एक बूंद को बचाने की जुगत लगा रखी है। नालियां और नहर बनाकर नगर के 35 में से 25 तालाबों को आपस में जोड़ा गया है। यह तंत्र कुछ इस तरह है कि यहां-वहां बह जाने वाला या खेतों में भर जाने वाला बरसात का पानी अब नालियों से होकर नहर में और फिर नहर से एक-एक कर सभी तालाबों में पहुंच जाता है।
इस युक्ति के बूते तालाबों में बारह माह भरपूर पानी बना रहता है। इससे धमधा समेत आसपास के कई गांवों में सिंचाई और उपयोग के लिए पानी की समस्या नहीं रही है। भूजल स्तर भी ऊंचा रहने से पेयजल का संकट नहीं है। राजधानी रायपुर से 45 किलोमीटर दूर है धमधा नगर। बारिश के दौरान दूर-दराज खेतों में भर जाने वाला और बह कर नदी में मिल जाने वाला पानी अब नहरों के जरिए चार-पांच किलोमीटर दूर से इन तालाबों में पहुंच जाता है। सभी खेतों को नालियों के जरिये बड़ी नहर (बूढ़ा नरवा) से जोड़ा गया है, जो तालाबों को पूरी तरह से भर देने के बाद अतिरिक्त पानी को शिवनाथ नदी में ले जाती है।
धमधा के जनपद अध्यक्ष अरुण अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 1980 तक क्षेत्र में जल संकट की स्थिति बन जाया करती थी। नहर का पानी गांव में कम पहुंचता था। तालाब भी गर्मियों में सूख जाते थे। तब इस मुहाने पर डायवर्सन बनाया गया और बरसाती पानी को सहेजने के लिए इसे तालाबों से जोड़ा गया। अब हर समय पर्याप्त पानी रहता है। धमधा-खैरागढ़ मार्ग पर खेतों के बीच भारती बगीचा नामक बहुत बड़ा तालाब है।
खेतों का अतिरिक्त पानी नालियों और नहर से होकर सबसे पहले इसमें भरता है। इसे पूरा भर देने के बाद पानी नहर के जरिए ही पैठू और मुनि तालाब तक पहुंचता है। इसके बाद नैया तालाब, मंदिर तालाब, करबला तालाब और दानी तालाब में जाता है। दानी तालाब का ओवरफ्लो (अतिरिक्त पानी) कोष्टा तालाब, 25 एकड़ में फैले टार तालाब और फिर बस्ती के सबसे बड़े बूढ़ा तालाब तक पहुंचता है। इस प्रकार दो दर्जन से अधिक तालाबों को भरने के बाद अतिरिक्त पानी शिवनाथ नदी में पहुंचता है।