Move to Jagran APP

सोनचिरैया, चरस और एशियाई हाथी के संरक्षण में अब पूरी दुनिया बंटाएगी भारत का हाथ

कांफ्रेस में भारत की तीन प्रवासी प्रजातियों को शामिल करने को लेकर सहमति बनी है। इनमें सोन चिरैया को प्रमुखता से शामिल किया गया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 08:50 PM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 08:53 PM (IST)
सोनचिरैया, चरस और एशियाई हाथी के संरक्षण में अब पूरी दुनिया बंटाएगी भारत का हाथ
सोनचिरैया, चरस और एशियाई हाथी के संरक्षण में अब पूरी दुनिया बंटाएगी भारत का हाथ

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विलुप्त होने के कगार पर खड़ी सोनचिरैया (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड), चरस ( बंगाल फ्लोरिकन पक्षी) और एशियाई हाथी के संरक्षण में अब पूरी दुनिया हाथ बंटाएगी। गुजरात के गांधीनगर में वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण को लेकर 15 फरवरी से शुरु हो रही कांफ्रेस में इन तीनों भारतीय वन्यजीवों को दुनिया भर के वन्यजीवों की क्रिटिकल सूची में शामिल किया जा सकता है। यह कांफ्रेस 22 फरवरी तक चलेगी।

loksabha election banner

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने सोमवार को गुजरात के गांधीनगर में प्रवासी वन्यजीवों के संरक्षण (सीएमएस) को लेकर 15 से 22 फरवरी चलने वाली इस वैश्विक कांफ्रेस (कॉप-13) की जानकारी दी। साथ ही बताया कि इसका शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इसमें दुनिया के 130 से ज्यादा देशों के करीब 18 सौ से ज्यादा प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इनमें करीब 18 देशों के मंत्री भी शामिल होंगे।

सोनचिरौया को किया गया प्रमुखता से शामिल

फिलहाल इस कांफ्रेस में भारत की तीन प्रवासी प्रजातियों को शामिल करने को लेकर सहमति बनी है। इनमें सोन चिरैया को प्रमुखता से शामिल किया गया है, क्योंकि मौजूदा समय में यह सिर्फ 150 बची है। चरस या बेंगाल फ्लोरिकन चिडि़या उत्तर प्रदेश के तराई इलाकों समेत अरुणाचल प्रदेश, असम और नेपाल के कुछ हिस्सों में पाई जाती है।

हालांकि केंद्र सरकार ने इसके संरक्षण का काम शुरू कर दिया है। बावजूद इसके दुनिया भर से इसके संरक्षण को लेकर सहयोग मिलने इस दिशा में और तेजी से काम हो सकेगा। फिलहाल गुजरात में होने वाले इस कांफ्रेस की जो थीम तय की गई है, वह सोनचिरैया ( ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) पर आधारित है।

जावडेकर ने इस दौरान प्रवासी पक्षियों को कोरोना वायरस से जोड़ कर देखने को गलत बताया और कहा यह एक मनगढ़ंत विचार हो सकता है।

गैंजेटिक डाल्फिन के संरक्षण को लेकर भी होगी चर्चा

दुनिया भर के वन्यजीव विशेषज्ञों की मौजूदगी में होने वाली इस बैठक में गैंजेटिक डाल्फिन के संरक्षण को लेकर भी चर्चा होगी। इसके साथ ही भारत में अफ्रीका से लाने जाने वाले चीतों को लेकर भी चर्चा हो सकती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में दुनिया भर में प्रवासी वन्यजीवों की करीब 10 हजार ऐसी प्रजातियां है, जिनके संरक्षण की जरूरत है। यदि इन्हें समय रहते संरक्षित नहीं किया गया, तो इनका अस्तित्व खत्म हो जाएगा। कॉप से जुड़े अधिकारियों की मानें तो इनमें दुनिया के दूसरे देशों के भी प्रवासी वन्यजीवों को भी शामिल किया जा सकता है।

कांफ्रेस से पहले सोनचिरैया को लेकर आई खुशखबरी

सोनचिरैया के संरक्षण को लेकर चल रही मुहिम के ट्रायल प्रोजेक्ट में ही फिलहाल एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। राजस्थान के जैसलमेर में करीब साठ मिलियन डॉलर के इस प्रोजेक्ट के शुरुआत में सोनचिरैया के कुनबे को बढ़ाने में सफलता मिली है। जिसमें इसके नौ अंडों को एक अनुकूल माहौल में रखा गया। जिनमें से अब चूजे बाहर निकल आए है। जो तेजी से विकास कर रहे है। फिलहाल यह प्रोजेक्ट पांच साल का है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.