Move to Jagran APP

सुपोषण की जंग: कुपोषण भगाने वाले 'दांगी चाचा', सैकड़ों बच्चों को दिया है नया जीवन

पोषण से लड़ाई के सिपाही डॉक्टर दांगी ने सैकड़ों बच्चों को नई जिंदगी दी है। कुपोषण के खिलाफ लड़ने के लिए वह कई राज्यों में प्रशिक्षण देते हैं।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Fri, 06 Sep 2019 09:28 AM (IST)Updated: Fri, 06 Sep 2019 09:35 AM (IST)
सुपोषण की जंग: कुपोषण भगाने वाले 'दांगी चाचा', सैकड़ों बच्चों को दिया है नया जीवन
सुपोषण की जंग: कुपोषण भगाने वाले 'दांगी चाचा', सैकड़ों बच्चों को दिया है नया जीवन

 रमण कुमार, हजारीबाग। झारखंड के हजारीबाग सदर अस्पताल में तैनात रहे डॉ. एसआर दांगी कु पोषण के खिलाफ अभियान में राज्य में एक जाना-पहचाना नाम हैं। बच्चों के हित में इन्होंने बहुत काम किए हैं। यही वजह है कि लोग इन्हें प्यार से दांगी चाचा भी कहते हैं। कुपोषण दूर करने के क्रम में वह बच्चों को पढ़ने-लिखने और जिम्मेदार बनने का भी मंत्र देते हैं। वह कई गरीब बच्चों की पढ़ाई और इलाज में व्यक्तिगत तौर पर मदद करते हैं। सेवानिवृत्त होने के बाद भी वह इस अभियान में जुटे हैं।

loksabha election banner

अपने सेवाकाल से ही कुपोषण के उपचार का प्रशिक्षण दे रहे डॉ. दांगी अभी भी विभिन्न केंद्रों में जाकर डॉक्टर, नर्स, आंगनबाड़ी सेविका और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को कुपोषण से जंग जीतने के गुर सिखाते हैं। वह झारखंड के अलावा गुजरात, बिहार, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश व असम में जाकर भी डॉक्टरों को कुपोषित बच्चों के उपचार का प्रशिक्षण दे चुके हैं। राज्य के विभिन्न जिलों में कुपोषण के उपचार के क्षेत्र में बेहतर काम करने वालों में ज्यादातर डॉ. दांगी से ही प्रशिक्षित लोग हैं।

चलाया प्रभावी अभियान

हजारीबाग जिले के चुरचू प्रखंड में डॉ. दांगी ने कुपोषण को लेकर प्रभावी अभियान चलाया है। इनकी पहल से ही यहां अब कुपोषण केंद्र स्थापित हो पाया है। कुपोषित बच्चों का इलाज करने-कराने के अलावा डॉ. दांगी ने माताओं, बच्चों और स्थानीय लोगों को जागरूक भी किया। उन्होंने लोगों को पोषक तत्वों से युक्त भोजन करने, साफ रहने, गंदगी से बचने और दूषित चीजें नहीं खाने, कम कीमत में भी अच्छा आहार लेने आदि के तरीके बताए। पोषण का मतलब और महत्व भी समझाया। या यूं कहें कि डॉ. दांगी ने लोगों की रसोई तक अपनी पहुंच बना ली। इस अभियान का असर भी दिखा। चुरचू में कुपोषित बच्चों की संख्या में लगातार कमी आई।

1500 से ज्यादा शिशुओं को दे चके हैं नया जीवन

कुपोषण को हराने में अहम भूमिका निभाने को लेकर डॉ. दांगी को कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। राज्य स्तर पर 2010 में चतरा सदर अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ के तौर पर कार्य करते हुए उन्हें पहचान मिली। यहां उन्हें विभाग की ओर से कुपोषित बच्चों के उपचार के लिए विशेष प्रशिक्षण देने के लिए चयनित किया गया। तब से आज तक वह कु पोषण के शिकार 1500 से ज्यादा शिशुओं को नया जीवन दे चुके हैं। इनके प्रयास से जिले में शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। उनके द्वारा प्रशिक्षित डॉक्टरों ने भी इस अभियान को लगातार आगे बढ़ाया है।

ऐसा रहा है जीवन

वह चतरा जिला के पत्थलगड़ा प्रखंड के रहने वाले हैं। इस वर्ष भी डॉक्टर दिवस के अवसर पर हजारीबाग के उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला ने उन्हें सम्मानित किया। 1979 में रांची मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी कर सरकारी सेवा में आए डॉ. दांगी ने 2002 में डिप्लोमा इन मैटरनल चाइल्ड हेल्थ की डिग्री ली है। इसके बाद उनका रुझान कुपोषित बच्चों के उपचार के प्रति बढ़ा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.