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कोरोना को हराने के लिए आदिवासियों ने संभाला मोर्चा, प्रवासियों को करा रहे भोजन; सेंटर को करते सैनिटाइज

धनौली पंचायत के क्वारंटाइन केंद्र में प्रवासियों को सुबह-शाम नाश्ता और भोजन कराने के अलावा क्वारंटाइन केंद्र को रोज सैनिटाइज करना इन बैगाओं के सेवाभाव और सूझबूझ को दर्शाता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 20 May 2020 11:13 AM (IST)Updated: Wed, 20 May 2020 11:13 AM (IST)
कोरोना को हराने के लिए आदिवासियों ने संभाला मोर्चा, प्रवासियों को करा रहे भोजन; सेंटर को करते सैनिटाइज
कोरोना को हराने के लिए आदिवासियों ने संभाला मोर्चा, प्रवासियों को करा रहे भोजन; सेंटर को करते सैनिटाइज

राधाकिशन शर्मा, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां भी बड़े शहरों से पलायन कर श्रमिकों का अपने गांवों को लौटना अनवरत जारी है। दो तरह की तस्वीरें देखने को मिल रही हैं। एक ओर तो जहां गांवों में इनके पहुंचने पर क्वारंटाइन केंद्रों में अव्यवस्था का आलम है, तो वहीं कुछ ग्रामीण प्रवासियों की मदद को आगे आ रहे हैं और इनसे हमदर्दी जता रहे हैं। साथ ही गांव में रहने वालों की सुरक्षा का पुख्ता प्रबंध भी कर रखा है। धनौली और करंगरा गांव के बैगा परिवार ऐसी ही मिसाल पेश कर रहे हैं।

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धनौली पंचायत के क्वारंटाइन केंद्र में बाहरी श्रमिकों को ठहराया गया है। इनमें महिला, पुरुष और बच्चे भी हैं। प्रवासियों को सुबह-शाम नाश्ता और भोजन कराने के अलावा क्वारंटाइन केंद्र को रोज सैनिटाइज करना इन बैगाओं के सेवाभाव और सूझबूझ को दर्शाता है। ग्राम पंचायत धनौली के अंतर्गत दो गांव आते हैं। धनौली और करंगरा। धनौली में बैगा जनजाति की आबादी 80 फीसद है। करंगरा में शत- प्रतिशत। बीते चार दिनों से इन गांवों का माहौल पूरी तरह से बदल गया है।

बाहरी संपर्क से बचने को बैगा जनजाति के लोगों ने गांव पहुंचने वाले मार्ग को खोद और बाड़ लगाकर बंद कर दिया है। नईदुनिया

बस्तियों से कुछ कदमों की दूरी पर बालिका छात्रावास है। जिला प्रशासन ने इसे बाहर से आए श्रमिकों के लिए क्वारंटाइन सेंटर बनाया है। इसमें प्रवासी श्रमिकों के अलावा बाहरी प्रांत के श्रमिकों को रखा गया है। बैगा परिवार पहले दिन से ही इनकी सहायता कर रहे हैं। श्रमिकों के आने से पहले छात्रावास को पूरी तरह सैनिटाइज कर दिया गया था। प्रवासियों के लिए सैनिटाइजर और मास्क की व्यवस्था भी पंचायत ने पहले से कर रखी थी।

ग्रामीणों ने क्वारंटाइन अवधि में प्रवासियों का हरसंभव खयाल रखने का जिम्मा ले लिया। जो लोग गांव से ही संबंधित हैं और जो बाहर के हैं, दोनों के बीच में कोई भेदभाव नहीं कर रहे हैं। सुबह से ही हर घर में तैयारी शुरू हो जाती है। नाश्ता बनता है और फिर कोई दाल, तो कोई चावल, कोई रोटी तो कोई सब्जी तैयार कर प्रवासियों के लिए ले जाता है। खास बात ये कि ग्रामीण पहले क्वारंटाइन सेंटर पहुंचकर मेहमानों को खाना मुहैया कराते हैं उसके बाद घरों में खुद भोजन करते हैं।

ग्रामीणों का मिल रहा पूरा सहयोग, प्रवासियों को उपलब्ध करा रहे मास्क : सरपंच जीवन सिंह रौतेल ने बताया, क्वारंटाइन सेंटर में 35 प्रवासी श्रमिक ठहरे हैं। सभी को सुबह का नाश्ता और दो वक्त का भोजन कराया जा रहा है। ग्रामीणों का पूरा-पूरा सहयोग मिल रहा है। वे क्वारंटाइन सेंटर को हर दिन सैनिटाइज भी करते हैं। प्रवासियों को मास्क उपलब्ध कराए गए हैं। ग्रामीण स्वत: भी पूरी सावधानी बरत रहे हैं। बैगाओं ने अपने गांवों को कोरोना संक्रमण से बचाए रखने का पुख्ता उपाय किया है। बाहरी संपर्क पर नियंत्रण रखने को गांव में पहुंच मार्ग को उन्होंने अवरुद्ध कर दिया है।


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