छत्तीसगढ़ में अब होने लगी गोबर की चोरी, किसान के बाड़े में रखा ढेर उठा ले गए चोर
पहले छत्तीसगढ में गोबर में मिलावट की खबरें सामने आई थी। अब तो राज्य में गोबर की चोरी के मामले भी सामने आने लगे हैं। ताजी घटना कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ विकासखंड की है...
हिमांशु शर्मा, रायपुर। सुनने में बड़ा अजीब लगेगा लेकिन पिछले दिनों छत्तीसगढ में गोबर में मिलावट की खबरें सामने आई थी। अब तो राज्य में गोबर की चोरी के मामले भी सामने आने लगे हैं। कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ विकासखंड के एक गांव में दो किसानों के बाड़े में जमा करके रखा गया करीब सौ किलो गोबर चोर चुरा ले गए। किसान जब सुबह जगा तो उनके बाड़े से गोबर का ढेर गायब था। इसके बाद किसानों ने गोठान समिति पहुंचकर यहां अपनी शिकायत दर्ज कराई। गोठान समिति की ओर से चोर को पकड़ने की फरियाद के साथ एक आवेदन स्थानीय थाने में भी दिया गया है।
अब खड़ी हुई नई समस्या
स्थानीय सूत्रों ने बताया कि मनेंद्रगढ़ विकासखंड के ग्राम रोझी में रहने वाले किसान और गोपालक लल्ला राम और सेमलाल के बाडे में गायों का इकट्ठा किया हुआ गोबर रखा था। सुबह के वक्त दोनों की पत्नियां फूलमति और रिचबुधिया अपने पशुओं के बाड़े में जब गोबर जमा करने की जगह पर पहुंचीं तो ढेर गायब थे। बाद में गोठान समिति में जाकर गोबर चोरी की इस घटना की जानकारी दी गई। गोठान समिति के अध्यक्ष का कहना है कि गोबर चोरी होने की घटना एक तरह की नई समस्या है। इस समस्या को रोकने के लिए चोरों का पकड़ा जाना बहुत जरूरी है।
देश में पहली बार ऐसी घटनाएं
शायद देश में पहली बार गोबर में मिलावट या गोबर की चोरी जैसे मामले सुनने में आ रहे हैं। दरअसल, राज्य सरकार ने गोवंश के संरक्षण के लिए एक योजना लागू की है, जिसके बाद राज्य में गोबर की कीमत तय हो गई है। गोधन न्याय योजना नामकी इस योजना के तहत दो रुपये प्रति किलो की दर से गोठान समितियों के माध्यम से गोपालकों द्वारा संग्रहित गोबर को सरकार खरीदती है। इस गोबर की खाद बनाने के साथ कई तरह के उपयोगी सामान बनाकर गोठान समितियां बाजार में ला रही हैं।
गोबर की कीमत दे रही सरकार
पिछले दिनों गोबर से बनी राखियों ने रक्षाबंधन के त्योहार पर बाजार में अच्छी दखल दी थी। इन राखियों के अलावा गोठान समितियां गोबर से कंडे, मूर्तियां, अच्छी किस्म की जैविक खाद और कुछ अन्य उपयोगी चीजें बना रही हैं। हरेली के त्योहार के मौके पर राज्य में इस योजना की शुरूआत हुई है और पिछली पांच अगस्त को गोबर बेचने वाले पशुपालकों को पहली बार उनके पशुओं के गोबर की कीमत सरकार ने अदा की है।