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चीन से मुकाबले को डोकलाम के पास तैनात होगी राफेल की दूसरी स्क्वाड्रन, जानें- क्या है भारत की पूरी रणनीति

राफेल विमानों की इन दो स्क्वाड्रन से वायुसेना बेड़े की कम हो रही ताकत में इजाफा होगा। 18-18 राफेल विमानों की दोनों स्क्वाड्रन की योजना पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तान और पूर्वी मोर्चे पर चीन के खिलाफ आपरेशंस को ध्यान में रखकर बनाई गई है

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Thu, 11 Mar 2021 07:03 PM (IST)Updated: Thu, 11 Mar 2021 10:59 PM (IST)
फ्रांस से खरीद गए हैं राफेल लड़ाकू विमान

नई दिल्ली, आइएएनएस। चीन से खतरों का मुकाबला करने के लिए भारतीय वायुसेना की अगले महीने बंगाल में हाशिमारा एयरफोर्स बेस पर राफेल लड़ाकू विमानों की दूसरी स्क्वाड्रन बनाने की योजना है। वायुसेना के आपरेशंस के लिए हाशिमारा एक सामरिक बेस है क्योंकि यह भूटान और चुंबी घाटी के नजदीक है। चुंबी घाटी में ही भारत, भूटान और चीन के बीच का ट्राई-जंक्शन और डोकलाम स्थित है जहां 2017 में चीन की सेना के साथ काफी लंबा गतिरोध चला था। उक्त ट्राई-जंक्शन तीनों ही देशों के लिए चिंता का सबब है।

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भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने बताया, 'राफेल की दूसरी स्क्वाड्रन इस साल अप्रैल के मध्य में हाशिमारा स्थित अगले मेन आपरेटिंग बेस (एमओबी) पर बनाई जा रही है।' राफेल विमानों की पहली स्क्वाड्रन अंबाला में बनाई गई थी जब 29 जुलाई, 2020 को पांच राफेल विमानों की पहली खेप भारत पहुंची थी। इन विमानों को पिछले साल 10 सितंबर को अंबाला एयरबेस पर '17 गोल्डन एरोज स्क्वाड्रन' में शामिल किया गया था। वायुसेना को फ्रांस से अब तक 36 में से 11 राफेल विमान हासिल हो चुके हैं। अगले एक महीने में छह और विमानों की आपूर्ति होने की संभावना है। जबकि बाकी के विमान अप्रैल, 2022 तक भारत पहुंचने की उम्मीद है। वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पायलटों को फ्रांस में प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।

इससे पहले हाशिमारा में मिग-27 विमानों की थी स्क्वाड्रन 

राफेल विमानों की इन दो स्क्वाड्रन से वायुसेना बेड़े की कम हो रही ताकत में इजाफा होगा। 18-18 राफेल विमानों की दोनों स्क्वाड्रन की योजना पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तान और पूर्वी मोर्चे पर चीन के खिलाफ आपरेशंस को ध्यान में रखकर बनाई गई है। हाशिमारा में इससे पहले मिग-27 विमानों की स्क्वाड्रन थी जिसे अब खत्म किया जा चुका है।

याद दिला दें कि भारत ने सितंबर, 2016 में 58 हजार करोड़ रुपये की लागत से 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए फ्रांस के साथ अंतर-सरकारी समझौता किया था। 4.5वीं पीढ़ी के इस विमान में अत्याधुनिक हथियार, बेहतर सेंसर और एकीकृत आर्किटेक्चर है। यह एक ओमनी रोल एयरक्राफ्ट है जिसका मतलब है कि यह एक उड़ान में कम से कम चार मिशन को अंजाम दे सकता है।


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