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वैज्ञानिकों ने बनाया शून्य से कम तापमान में काम करने वाला इंसुलेटर, पढ़े क्या है ये इंसुलेटर

चीन की यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (यूएसटीसी) के प्रोफेसर शू-हांग यू ने बताया कि ध्रुवीय भालू के बालों की खास बनावट उन्हें भीषण सर्दी और नमी से बचाती है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Tue, 11 Jun 2019 01:19 PM (IST)Updated: Tue, 11 Jun 2019 01:19 PM (IST)
वैज्ञानिकों ने बनाया शून्य से कम तापमान में काम करने वाला इंसुलेटर, पढ़े क्या है ये इंसुलेटर
वैज्ञानिकों ने बनाया शून्य से कम तापमान में काम करने वाला इंसुलेटर, पढ़े क्या है ये इंसुलेटर

नई दिल्ली [जागरण ]। लुप्तप्राय होते जा रहे ध्रुवीय भालू के जीवन की रक्षा के लिए वैज्ञानिकों ने एक सिंथेटिक थर्मल इंसुलेटर विकसित किया है। ये इंसुलेटर शून्य से भी कम के तापमान में कारगर सिद्ध होगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि आर्कटिक जैसी बर्फीली जगहों पर ध्रुवीय भालू को जिंदा रहने के लिए उसके फर (बाल)और वसायुक्त चमड़ी रहने के अनुकूल बनाती है। उन्होंने ध्रुवीय भालू के फर की संरचना से प्रेरित होकर सिंथेटिक मैटेरियल से गर्मी को समाहित करने वाला इंसुलेटर बनाया है।

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चीन की यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (यूएसटीसी) के प्रोफेसर शू-हांग यू ने बताया कि ध्रुवीय भालू के बालों की खास बनावट उन्हें भीषण सर्दी और नमी से बचाती है। इसी खासियत को ध्यान में रखते हुए नया सिंथेटिक हीट इंसुलेटर बनाया गया है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि भालू के बाल खोखले होते हैं। मनुष्यों और स्तनधारियों की तुलना में ध्रुवीय भालू के बाल खोखले होते हैं। माइक्रोस्कोप से देखने पर पता चलता है कि इनके बालों के बीच में लंबी बेलनाकार खाली जगह होती है। इनमें गर्मी बनाए रखने की क्षमता होती है। साथ ही इन बालों में जल प्रतिरोधक गुण भी पाया जाता है, जो इसे सबसे बढ़िया प्राकृतिक थर्मल इंसुलेटर बनाता है। यूएसटीसी के एसोसिएट प्रोफेसर जियान-वी लियू ने बताया कि खोखले बाल गर्मी को बनाए रखने के साथ-साथ बहुत ही हल्के होते हैं। जिसका भालूओं को बर्फीले क्षेत्रों में सर्वाधिक लाभ मिलता है।

इस तरह बनाया इंसुलेटर : वैज्ञानिकों ने इसके लिए कार्बन ट्यूब का इस्तेमाल किया। उन्होंने ट्यूब को बीच से खोखला किया और एयरोजेल का इस्तेमाल कर एक लचीला और हल्का इंसुलेटर बनाया, जो गर्मी को बनाए रखता है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर ने ध्रुवीय भालू के लिए ग्लोबल वार्मिग को सबसे बड़ा खतरा बताया है क्योंकि इससे भालुओं के आवास तो नष्ट होते ही हैं साथ ही भोजन खोजने की इनकी क्षमता घटती है।

वैज्ञानिकों ने चेताया है कि यदि जलवायु का यही रुख जारी रहा तो आने वाले समय में ध्रुवीय भालू के निवास खत्म हो सकते हैं। साल 2008 में अमेरिका ने ध्रुवीय भालू को लुप्तप्राय प्रजाति अधिनियम के अंतर्गत सूचीबद्ध किया। मौसम विपरीत होने की वजह से ये धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं। इस वजह से अमेरिका ने इनको लुप्तप्राय प्रजाति में सूचीबद्ध किया है।

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